आरगाँव की लड़ाई: Difference between revisions

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*आरगाँव की लड़ाई, 29 नवम्बर 1803 ई. में [[आर्थर वेलेस्ली]] के नेतृत्व में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] और [[नागपुर]] के भोंसला शासक के नेतृत्व में [[मराठा]] दल के बीच हुई।
*आरगाँव की लड़ाई, 29 नवम्बर 1803 ई. में [[आर्थर वेलेजली]] के नेतृत्व में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] और [[नागपुर]] के भोंसला शासक [[रघुजी भोंसले द्वितीय]] के नेतृत्व में [[मराठा]] दल के बीच हुई।
*यह लड़ाई द्वितीय मराठा युद्ध के सिलसिले में हुई थी।
*यह लड़ाई द्वितीय मराठा युद्ध के सिलसिले में हुई थी।
*इसमें भोंसला की सेना निर्णायक ढंग से परास्त हुई और अंग्रेज़ी सेना का [[गवीलगढ़]] के क़िले पर अधिकार हो गया।
*इसमें रघुजी भोंसले द्वितीय की सेना निर्णायक ढंग से परास्त हुई और अंग्रेज़ी सेना का [[गवीलगढ़]] के क़िले पर अधिकार हो गया।
*भोंसला राजा ने दिसम्बर 1803 ई. में [[देवगढ़ की सन्धि]] करके अंग्रेज़ों का आश्रित होना स्वीकार कर लिया।
*रघुजी भोंसले द्वितीय ने दिसम्बर 1803 ई. में [[देवगढ़ की सन्धि]] करके अंग्रेज़ों का आश्रित होना स्वीकार कर लिया।


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  • आरगाँव की लड़ाई, 29 नवम्बर 1803 ई. में आर्थर वेलेजली के नेतृत्व में अंग्रेज़ों और नागपुर के भोंसला शासक रघुजी भोंसले द्वितीय के नेतृत्व में मराठा दल के बीच हुई।
  • यह लड़ाई द्वितीय मराठा युद्ध के सिलसिले में हुई थी।
  • इसमें रघुजी भोंसले द्वितीय की सेना निर्णायक ढंग से परास्त हुई और अंग्रेज़ी सेना का गवीलगढ़ के क़िले पर अधिकार हो गया।
  • रघुजी भोंसले द्वितीय ने दिसम्बर 1803 ई. में देवगढ़ की सन्धि करके अंग्रेज़ों का आश्रित होना स्वीकार कर लिया।


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