देवनागरी लिपि: Difference between revisions
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Revision as of 13:14, 10 April 2010
देवनागरी लिपि / Devnagri Script
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- इसे नागरी लिपि भी कहा जाता है।
- भारतीय लिपि है, जिसका उपयोग संस्कृत, प्राकृत, हिंदी भाषा और मराठी भाषाओं में होता है।
- इसका विकास उत्तर भारतीय ऐतिहासिक गुप्त लिपि से हुआ, हालांकि अंतत: इसकी व्युत्पत्ति ब्राह्मी वर्णाक्षरों से हुई, जिससे सभी आधुनिक भारतीय लिपियों का जन्म हुआ है।
- सातवीं शताब्दी से इसका उपयोग हो रहा है, लेकिन इसके परिपक्व स्वरूप का विकास 11वीं शताब्दी में हुआ।
- देवनागरी की विशेषता अक्षरों के शीर्ष पर लंबी क्षैतिज रेखा है, जो आधुनिक उपयोग में सामान्य तौर पर जुड़ी हुई होती है, जिससे लेखन के दौरान शब्द के ऊपर अटूट क्षैतिक रेखा का निर्माण होता है।
- देवनागरी को बाएं से दाहिनी ओर लिखा जाता है।
- इसमें 48 अक्षरों, 34 व्यंजनों और 14 स्वर तथा संयुक्ताक्षर का उपयोग होता है।
- हालांकि यह लिपि मूलत: वर्णाक्षरीय है, लेकिन उपयोग में यह आक्षरिक है, जिसमें प्रत्येक व्यंजन के अंत में एक लघु ध्वनि को मान लिया जाता है, बशर्ते इससे पहले वैकल्पिक स्वर के चिह्न का उपयोग न किया गया हो।
- देवनागरी को स्वर चिह्नों के बिना भी लिखा जाता रहा है।