कादम्बरी -बाणभट्ट: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Kadambari.jpg|thumb|कादम्बरी]]
*'कादम्बरी' [[बाणभट्ट]] की अमर कृति है।  
*'कादम्बरी' [[बाणभट्ट]] की अमर कृति है।  
*यह उनकी ही नहीं समस्त [[संस्कृत]] वाङमय की अनूठी गद्य-रचना है।  
*यह उनकी ही नहीं समस्त [[संस्कृत]] वाङमय की अनूठी गद्य-रचना है।  
Line 9: Line 10:
*कविक्रान्त द्रष्टा होता है। उसका काव्य मानव जीवन के परम लक्ष्य की ओर संकेत करता है। काव्य आत्मा रस है। रस स्वरूप आनन्द है। आनन्द की अनुभूति ही काव्य का परम प्रयोजन है। *बाणभट्ट 'कादम्बरी' के नायक और नायिका के प्रारंभिक लौकिक प्रेम को शापवश जन्मान्तर में समाप्त कर पुन: अलौकिक विशुद्ध प्रेमप्राप्ति द्वारा मानव के लिए आदर्श प्रेम का दिव्य संदेश देते हैं।
*कविक्रान्त द्रष्टा होता है। उसका काव्य मानव जीवन के परम लक्ष्य की ओर संकेत करता है। काव्य आत्मा रस है। रस स्वरूप आनन्द है। आनन्द की अनुभूति ही काव्य का परम प्रयोजन है। *बाणभट्ट 'कादम्बरी' के नायक और नायिका के प्रारंभिक लौकिक प्रेम को शापवश जन्मान्तर में समाप्त कर पुन: अलौकिक विशुद्ध प्रेमप्राप्ति द्वारा मानव के लिए आदर्श प्रेम का दिव्य संदेश देते हैं।


 
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति
 
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
[[Category:साहित्य_कोश]]
[[Category:साहित्य_कोश]]
[[Category:गद्य साहित्य]]
[[Category:गद्य साहित्य]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 11:07, 12 March 2011

thumb|कादम्बरी

  • 'कादम्बरी' बाणभट्ट की अमर कृति है।
  • यह उनकी ही नहीं समस्त संस्कृत वाङमय की अनूठी गद्य-रचना है।
  • कादम्बरी की कथा एक जन्म से सम्बद्ध न होकर चन्द्रपीड तथा पुण्डीक के तीन जन्मों से सम्बद्ध है।
  • कादम्बरी की कथा दो भागों में विभक्त है- पूर्वभाग तथा उत्तरभाग।
  1. पूर्वभाग बाणभट्ट की रचना है और
  2. उत्तरभाग उनके पुत्र भूषणभट्ट (पुलिन्द भट्ट) की।
  • कादम्बरी 'कथा' है। बाण ने स्वयं प्रस्तावना के अन्त में-'धिया निवद्धेयमतिद्वयी कथा' कहकर इसे 'कथा' के रूप में स्पष्ट स्वीकार किया है। तीन जन्मों से सम्बद्ध कादम्बरी की कहानी रोचक शैली में लिखी गई है।
  • बाण को कादम्बरी-कथा लिखने की प्रेरणा गुणाढ्य की 'बृहत्कथा' से प्राप्त हुई है। पैशाची भाषा में निबद्ध 'बृहत्कथा' का संस्कृत रूपान्तर 'कथा सरित्सागर' में आई हुई राजा सुमना की कथा और कादम्बरी की कथा में बहुत कुछ समानता मिलती है। अत: बाण ने कादम्बरी की मूल घटनाओं को बृहत्कथा से लिया हो और अपनी विलक्षण काव्य प्रतिभा से बृहत्कथा के निष्प्राण घटनाचक्रों और पात्रों में सजीवता लाकर उन्हें नवीन कलेवर दिया हो। कादम्बरी में बाण की सबसे अनूठी कल्पना जो प्रेम के अलौकिक स्वरूप और रहस्य का प्रतीक है- वह है नायिका द्वारा नायक की शरीर रक्षा करते हुए पुनर्मिलन की प्रतीक्षा करना। कादम्बरी कालिदास के आशाबन्ध और जननान्तर सौहृद के आदर्श की सजीव अवतारणा है।
  • कविक्रान्त द्रष्टा होता है। उसका काव्य मानव जीवन के परम लक्ष्य की ओर संकेत करता है। काव्य आत्मा रस है। रस स्वरूप आनन्द है। आनन्द की अनुभूति ही काव्य का परम प्रयोजन है। *बाणभट्ट 'कादम्बरी' के नायक और नायिका के प्रारंभिक लौकिक प्रेम को शापवश जन्मान्तर में समाप्त कर पुन: अलौकिक विशुद्ध प्रेमप्राप्ति द्वारा मानव के लिए आदर्श प्रेम का दिव्य संदेश देते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध