देवराय द्वितीय: Difference between revisions

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Revision as of 12:16, 20 April 2011

  • देवराय प्रथम के बाद उसका पुत्र 'रामचन्द्र' 1422 ई. में सिंहासन पर बैठा, परन्तु कुछ महीने बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।
  • रामचन्द्र के बाद उसका भाई 'वीरविजय' गद्दी पर बैठा, लेकिन उसका शासन काल अल्पकालीन रहा।
  • अगला शासक वीरविजय का पुत्र देवराय द्वितीय (1422-1446 ई.) हुआ।
  • देवराय द्वितीय संगम वंश के महान शासकों में था, उसे ‘इमादि देवराय’ भी कहा जाता था।
  • उसने आंध्र प्रदेश में कोंडुबिंदु का दमन कर कृष्णा नदी तक विजयनगर की उत्तरी एवं पूर्वी सीमा को बढ़ाया।
  • देवराय द्वितीय ने आंध्र एवं उड़ीसा के गजपति शासकों को पराजित किया।
  • अपनी सेना में उसने कुछ तुर्क धनुर्धारियों को भर्ती किया थी।
  • देवराय योग्य शासक होने के साथ विद्या तथा विद्वानों का संरक्षक भी था।
  • उसके दरबार में तेलुगु कवि श्रीनाथ कुछ समय तक रहा।
  • खुरासान (फ़ारस) के शासक शाहरुख का राजदूत अब्दुल रज्जाक, देवराय द्वितीय के समय में विजयनगर आया था।
  • फ़रिश्ता के अनुसार, ‘उसने क़रीब दो हज़ार मुसलमानों को अपनी सेना में भर्ती किया एवं उन्हें जागीरें प्रदान कीं।’
  • देवराय द्वितीय ने मुसलमानों को मस्जिद निर्माण की स्वतन्त्रता दे रखी थी।
  • देवराय द्वितीय ने अपने सिंहासनारोहण के समय क़ुरान रखा था।
  • एक अभिलेख में देवराय द्वितीय को ‘गजबेटकर’ (हाथियों का शिकारी) कहा गया है।
  • पौराणिक आख्यानों में उसे इन्द्र का अवतार बताया गया है।
  • 1446 ई. में उसकी मृत्यु हो गई थी।
  • देवराय द्वितीय ने संस्कृत ग्रंथ ‘महानाटक सुधानिधि’ एवं ब्रह्मसूत्र पर एक भाष्य लिखा।
  • वाणिज्य को नियंत्रित एवं नियमित करने के लिए उसने 'लक्कन्ना' या 'लक्ष्मण', जो उसका दाहिना हाथ था, को ‘दक्षिण समुद्र का स्वामी’ बना दिया। अर्थात् विदेश व्यापार का भार सौंप दिया।


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