जैन धृति संस्कार: Difference between revisions

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==जैन धृति संस्कार / Jain Dhrati Sanskar==
==जैन धृति संस्कार / Jain Dhrati Sanskar==
*'धृति' को 'सीमन्तोन्नयन' अथवा सीमान्त क्रिया भी कहते हैं।  
*'धृति' को 'सीमन्तोन्नयन' अथवा सीमान्त क्रिया भी कहते हैं।  
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*पश्चात यन्त्र-पूजन एवं हवन करना चाहिए।  
*पश्चात यन्त्र-पूजन एवं हवन करना चाहिए।  
*इसके बाद सौभाग्यवती नारियाँ गर्भिणी के केशों में तीन माँग निकालें।  
*इसके बाद सौभाग्यवती नारियाँ गर्भिणी के केशों में तीन माँग निकालें।  
 
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Revision as of 07:28, 22 April 2010

जैन धृति संस्कार / Jain Dhrati Sanskar

  • 'धृति' को 'सीमन्तोन्नयन' अथवा सीमान्त क्रिया भी कहते हैं।
  • इसको सातवें माह के शुभ दिन, नक्षत्र, योग, मुहूर्त आदि में करना चाहिए।
  • इसमें प्रथम संस्कार समान सब विधि कर लेना चाहिए।
  • पश्चात यन्त्र-पूजन एवं हवन करना चाहिए।
  • इसके बाद सौभाग्यवती नारियाँ गर्भिणी के केशों में तीन माँग निकालें।