जैन बहिर्यान संस्कार: Difference between revisions

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==जैन बहिर्यान संस्कार / Jain Bahiryaan Sanskar==
==जैन बहिर्यान संस्कार / Jain Bahiryaan Sanskar==
*बहिर्यान का अर्थ बालक को घर से बाहर ले जाने का शुभारम्भ।  
*बहिर्यान का अर्थ बालक को घर से बाहर ले जाने का शुभारम्भ।  
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*यह क्रिया योग्य मुहूर्त अथवा शुक्लपक्ष एवं शुभ [[नक्षत्र]] में सम्पन्न होनी चाहिए।
*यह क्रिया योग्य मुहूर्त अथवा शुक्लपक्ष एवं शुभ [[नक्षत्र]] में सम्पन्न होनी चाहिए।
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Revision as of 07:30, 22 April 2010

जैन बहिर्यान संस्कार / Jain Bahiryaan Sanskar

  • बहिर्यान का अर्थ बालक को घर से बाहर ले जाने का शुभारम्भ।
  • यह संस्कार दूसरे, तीसरे अथवा चतुर्थ महीने में करना चाहिए।
  • प्रथम बार घर से बाहर निकालने पर सर्वप्रथम समारोह पूर्वक बालक को मंदिर को जाकर जिनेन्द्रदेव का प्रथम दर्शन कराना चाहिए।
  • अर्थात जन्म से दूसरे, तीसरे अथवा चौथे महीने में बच्चे को घर से बाहर निकालकर प्रथम ही किसी चैत्यालय अथवा मन्दिर में ले जाकर श्री जिनेन्द्रदेव के दर्शन श्रीफल के साथ मंगलाष्टक पाठ आदि पढ़ते हुए करना चाहिए।
  • फिर यहीं केशर से बच्चे के ललाट में तिलक लगाना आवश्यक है।
  • यह क्रिया योग्य मुहूर्त अथवा शुक्लपक्ष एवं शुभ नक्षत्र में सम्पन्न होनी चाहिए।