आधुनिक भारत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
कुछ समय पहले [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] को छ: खण्डों में लिखने के लिये एक संयुक्त योजना बनी। आधुनिक भारत 1885 - 1947 काल के एक भाग के रुप में लिखी जानी थी।
'''आधुनिक भारत '''
1885  में  [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना का काल खंड हमारे देश के लम्बे [[इतिहास]] में शायद सबसे बडे परिवर्तन का समय है। फिर भी, यह परिवर्तन अनेक अर्थो में दु:खद रुप में अपूर्ण रहा।
और हमें इसी आधार पर अपना सर्वेक्षण आरम्भ करते है।


कुछ समय पह्ले भारत के इतिहास को छ: खण्डो में लिखने के लिये एक संयुक्त योजना बनी।
1885  का समय था जब [[अंग्रेज़]] इस गुमान में थे कि भारत में उनका राज हमेशा के लिये है। 8 साल पहले देश अकाल के दौर से गुज़रा था उसी बीच ये एक शानदार दरबार लगाये थे। जिसमें [[भारत]] को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग होने की घोषणा की गयी। 1880 के दशक में [[भारतीय सिविल सेवा]] में लगभग नौ सौ पदो में से सोलह को छोडकर सभी पर यूरोपीय ही बैठे थे। 1861 में जब सुप्रीम काउंसिल की सीटों पर भारतीयों को मौका मिला तो उनकी शक्तियो को कम कर दिया और इस संबंध में वितमन्त्री एवलिन बेयरिंग की कही हुई बात ध्यान देने योग्य है-'हम बंगाली बाबू के हाथ में उसके अपने विदायलय एवं नलियो के कार्य भर सौपें तो ब्रिटिश साम्राज्य का विघटन नही होगा।'
आधुनिक भारत १८८५- १९४७ उसी क एक भाग के रुप में लिखी जानी थी।
सैनिक व्यव्स्था जैसे मामलो में तो भारतीयों के हाथ में नाममात्र को भी उत्तरदायित्व नही सौंपा जाता था। 1947 तक कोई भी भारतीय सेना में ब्रिगेडियर से अधिक नही हो सकता था।
१८८५ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का काल खंड हमारे देश के लम्बे इतिहास में शायद सबसे बडे परिवर्तन का समय है। फिर भी ,यह परिवर्तन अनेक अर्थो में दुखद रुप में अपूण रहा।
और हमें इसी आधर पर अपना सर्वेक्श्ण आरम्भ करते है।


१८८५ का समय था जब अंग्रेज इस गुमान में थे कि भारत में उनका राज हमेशा क लिये है । ८ साल पहले देश अकाल के दौर से गुजरा था उसी बीच ये एक शानदार दरबार लगाये थे । जिसमें भारत को ब्रिटिश साम्राज्य क अंग होने की घोषणा की गयी।
१८८० के दशक में भारतीय सिविल सेवा में लगभग नौ सौ पदो में से सोलह को छोडकर सभी पे यूरोपीय ही बैठे थे।
१८६१ में जब सुप्रीम काउंसिल की सीटो पे भारतीय को मौका मिला तो उनकी शक्तियो को कम कर दिया और इस संबंध में वितमन्त्री एवलिन बेयरिगं की कही हुई बात ध्यान देने योग्य है-'हम बंगाली बाबू के हाथ में उसके अपने विदायलय एवं नलियो क कार्य भर सौपें तो ब्रिटिश साम्राज्य का विघटन नही होगा।'
सैनिक व्यव्स्था जैसे मामलो में तो भारतीयों के हाथ में नाममात्र को भी उत्तरदायित्व नही सौंपा जाता था। १९४७ तक कोई भी भारतीय सेना में ब्रिगेडियर से अधिक नही हो सकता था। भारत के ६६२ देसी रज तो अन्त तक
<!-- यदि आप सम्पादन में नये हैं तो कृपया इस संदेश से नीचे सम्पादन कार्य न करें -->


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}

Revision as of 14:22, 22 May 2011

कुछ समय पहले भारत के इतिहास को छ: खण्डों में लिखने के लिये एक संयुक्त योजना बनी। आधुनिक भारत 1885 - 1947 काल के एक भाग के रुप में लिखी जानी थी। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का काल खंड हमारे देश के लम्बे इतिहास में शायद सबसे बडे परिवर्तन का समय है। फिर भी, यह परिवर्तन अनेक अर्थो में दु:खद रुप में अपूर्ण रहा। और हमें इसी आधार पर अपना सर्वेक्षण आरम्भ करते है।

1885 का समय था जब अंग्रेज़ इस गुमान में थे कि भारत में उनका राज हमेशा के लिये है। 8 साल पहले देश अकाल के दौर से गुज़रा था उसी बीच ये एक शानदार दरबार लगाये थे। जिसमें भारत को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग होने की घोषणा की गयी। 1880 के दशक में भारतीय सिविल सेवा में लगभग नौ सौ पदो में से सोलह को छोडकर सभी पर यूरोपीय ही बैठे थे। 1861 में जब सुप्रीम काउंसिल की सीटों पर भारतीयों को मौका मिला तो उनकी शक्तियो को कम कर दिया और इस संबंध में वितमन्त्री एवलिन बेयरिंग की कही हुई बात ध्यान देने योग्य है-'हम बंगाली बाबू के हाथ में उसके अपने विदायलय एवं नलियो के कार्य भर सौपें तो ब्रिटिश साम्राज्य का विघटन नही होगा।' सैनिक व्यव्स्था जैसे मामलो में तो भारतीयों के हाथ में नाममात्र को भी उत्तरदायित्व नही सौंपा जाता था। 1947 तक कोई भी भारतीय सेना में ब्रिगेडियर से अधिक नही हो सकता था।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ