मन चंगा तो कठौती में गंगा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(';कहावत - मन चंगा तो कठौती में गंगा। ;अर्थ - मन जो काम कर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Raidas f.jpeg|thumb|200px|मन चंगा तो कठौती में गंगा]]
;कहावत -  
;कहावत -  
मन चंगा तो कठौती में गंगा।
मन चंगा तो कठौती में गंगा।

Revision as of 16:24, 2 June 2011

thumb|200px|मन चंगा तो कठौती में गंगा

कहावत -

मन चंगा तो कठौती में गंगा।

अर्थ -

मन जो काम करने के लिए अन्त:करण से तैयार हो वही काम करना उचित है।

सम्बंधित कथा

संत रैदास से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। उन्हीं से एक यह है-

  • संत रविदास जूते बनाने का काम करते थे। जिस रास्ते पर वे बैठते थे, वहां से कई ब्राह्मण गंगा स्नान के लिए जाते थे।
  • एक बार एक एक पंडित ने संत रविदास से गंगा स्नान को चलने के लिए कहा तब उन्होंने कि पंडि़त जी मेरे पास समय नहीं है पर मेरा एक काम कर दीजिए, फिर अपनी जेब में से चार सुपारी निकालते हुए कहा कि ये सुपारियां मेरी ओर से गंगा मईया को दे देना।
  • पंडितजी ने गंगा स्नान के बाद गंगा में सुपारी डालते हुए कहा कि रविदास ने आपके लिए भेजी है।
  • तभी गंगा मां प्रकट हुईं और पंडितजी को एक कंगन देते हुए कहा कि यह कंगन मेरी ओर से रविदास को दे देना।
  • हीरे जड़े कंगन को देख कर पंडित के मन में लालच आ गया और उसने कंगन को अपने पास ही रख लिया।
  • कुछ समय बाद पंडित ने वह कंगन राजा को भेंट में दे दिया। रानी ने जब उस कंगन को देखा तो प्रसन्न होकर दूसरे कंगन की मांग करने लगीं।
  • राजा ने पंडित को बुलाकर दूसरा कंगन लाने को कहा। पंडित घबरा गया क्योंकि उसने संत रविदास के लिए दिया गया कंगन खुद रख लिया था और उपहार के लालच में राजा को भेंट कर दिया था।
  • वह संत रविदास के पास पहुंचा और पूरी बात बताई।
  • तब संत रविदास ने अपनी कठौती (पत्थर का बर्तन जिसमें पानी भरा जाता है) में जल भर कर भक्ति के साथ मां गंगा का आवाह्न किया।
  • गंगा मईया प्रसन्न होकर कठौती में प्रकट हुईं और रविदास की विनती पर दूसरा कंगन भी भेंट किया।


शिक्षा

इसीलिए कहा जाता है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा अर्थात अन्त:करण जो कार्य करने को तैयार हो वही काम करना उचित है। [1]

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मन चंगा तो कठौती में गंगा (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 2जून, 2011।

बाहरी कड़ियाँ