अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क: Difference between revisions
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Revision as of 11:00, 13 July 2011
- अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क पुर्तग़ाली अधिकार में आये भारतीय क्षेत्र का दूसरा वायसराय था।
- वह फ़्रांसिस्को-द-अल्मेडा के बाद 1509 ई. में पुर्तग़ालियों का गवर्नर बनकर भारत आया था।
- उसने पूर्व में पुर्तग़ाली साम्राज्य की स्थापना के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण ठिकानों में पुर्तग़ाली शासन और व्यापारी कोठियाँ स्थापित कीं।
- कुछ स्थानों में उसने पुर्तग़ाली बस्तियाँ बसाईं, तथा भारतीयों और पुर्तग़ालियों में विवाह सम्बन्धों को प्रोत्साहित किया।
- अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क ने ऐसे स्थानों में क़िले बनवाये, जहाँ पर न तो पुर्तग़ाली बस्तियाँ बसाई जा सकती थीं और न ही जो जीते जा सकते थे।
- उसने स्थानीय राजाओं को पुर्तग़ाल के राजा की प्रभुता स्वीकार करने और उसे भेंट देने को प्रेरित किया।
- उसने बीजापुर के सुल्तान से 1510 ई. में गोआ छीन लिया, 1511 ई. में मलक्का पर और 1515 ई. में ओर्जुम पर अधिकार कर लिया।
- अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क अपने उद्देश्य को पूरा करने में ग़लत-सही तरीक़ों का ख्याल नहीं करता था।
- कालीकट के राजा जमोरिन की हत्या उसने ज़हर देकर करवा दी, जिसने पुर्तग़ालियों के आगमन पर उनसे मित्रता का व्यवहार किया था।
- पुर्तग़ालियों की हिन्दुस्तानी औरतों से शादी कर यहाँ बसने की नीति सफल नहीं हुई और इसके परिणाम स्वरूप पुर्तग़ाली भारतीयों की मिश्रित जाति बन गई, जिससे पूर्व में पुर्तग़ाली साम्राज्य की स्थापना में कोई ख़ास मदद नहीं मिली।
- अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क ने मुसलमानों के नर-संहार की नीति अपनाई, जिससे पुर्तग़ालियों के साथ हिन्दुस्तानियों की हमदर्दी भी ख़त्म हो गई।
- इस प्रकार अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क ने जिस पुर्तग़ाली साम्राज्य की स्थापना का स्वप्न देखा था, वह उसकी मृत्यु के बाद बिखर गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 18।