ओड़छा मध्य प्रदेश: Difference between revisions

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*[[औरंगजेब]] के राज्यकाल में छत्रसाल की शक्त् बुंदेलखंड में बढ़ी हुई थी।  
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*ओड़छा की रियासत वर्तमान काल तक बुंदेलखंड में अपना विशेष महत्त्व रखती आई है।  
*ओड़छा की रियासत वर्तमान काल तक बुंदेलखंड में अपना विशेष महत्त्व रखती आई है।  
*यहाँ के राजाओं ने हिंदी के कवियों को सदा प्रश्रय दिया है।  
*यहाँ के राजाओं ने हिन्दी के कवियों को सदा प्रश्रय दिया है।  
*महाकवि केशवदास वीरसिंहदेव के राजकवि थे।  
*महाकवि केशवदास वीरसिंहदेव के राजकवि थे।  
*ओड़छे में जिन पुरानी इमारतों के खंडहर हैं, उनमें मुख्य हैं- जहांगीर-महल जिसे वीरसिंहदेव ने जहांगीर के लिए बनवाया था यद्यपि जहांगीर इस महल में वीरसिंहदेव के जीवनकाल में कभी न ठहर सका, केशवदास का भवन, प्रवीण राय का भवन (प्रवीण राय, वीरसिंह देव के दरबार की प्रसिद्ध गायिका थी जिसकी केशवदास ने अपने ग्रंथों में बहुत प्रशंसा की है)।  
*ओड़छे में जिन पुरानी इमारतों के खंडहर हैं, उनमें मुख्य हैं- जहांगीर-महल जिसे वीरसिंहदेव ने जहांगीर के लिए बनवाया था यद्यपि जहांगीर इस महल में वीरसिंहदेव के जीवनकाल में कभी न ठहर सका, केशवदास का भवन, प्रवीण राय का भवन (प्रवीण राय, वीरसिंह देव के दरबार की प्रसिद्ध गायिका थी जिसकी केशवदास ने अपने ग्रंथों में बहुत प्रशंसा की है)।  

Revision as of 08:05, 20 July 2011

  • किंवदंती के अनुसार मध्यकाल में यहां पड़िहार राजपूतों का राज्य था और उन्होंने अपनी राजधानी यहीं बनाई थी।
  • चंदेलों के परास्त होने पर ओड़छा भी श्रीहत हो गया किंतु बुंदेलों का प्रभुत्व स्थापित होने पर राजा रुद्रप्रताप ने पुन: एक बार ओड़छा को राजधानी बनाकर उसकी श्रीवृद्धि की।
  • वे ही वर्तमान ओड़छा के बसाने वाले माने जाते हैं।
  • उन्होंने सोमवार 3 अप्रैल 1531 ई0 में इस नगर को पुन: बसाया था।
  • यहाँ के क़िले को बनने में आठ वर्ष लग गए थे।
  • इनके पुत्र और उत्तराधिकारी भारतीचंद्र के समय ही में ओड़छा के महल बनकर तैयार हुए थे (1539 ई0)।
  • इसी वर्ष राजधानी भी गढ़कुंडार से पूरी तरह से ओड़छा में ले आई गई थी।
  • अकबर के समय यहां के राजा मधुकर शाह थे जिनके साथ मुग़ल सम्राट के कई युद्ध किए थे।
  • जहांगीर ने वीरसिंहदेव बुंदेला को जो ओड़छा राज्य की बड़ौनी जागीर के स्वामी थे पूरे ओड़छा राज्य की गद्दी दी थी।
  • वीरसिंहदेव ने ही अकबर के शासनकाल में जहांगीर के कहने से अकबर के विद्वान् दरबारी अबुलफजल की हत्या करवा दी थी।
  • शाहजहां ने बुन्देलों से कई असफल लड़ाइयां लड़ीं। किंतु अंत में जुझारसिंह को ओड़छा का राजा स्वीकार कर लिया गया।
  • बुन्देलखण्ड की लोक-कथाओं का नायक हरदौल वीरसिंहदेव का छोटा पुत्र एवं जुझारसिंह का छोटा भाई था।
  • औरंगजेब के राज्यकाल में छत्रसाल की शक्त् बुंदेलखंड में बढ़ी हुई थी।
  • ओड़छा की रियासत वर्तमान काल तक बुंदेलखंड में अपना विशेष महत्त्व रखती आई है।
  • यहाँ के राजाओं ने हिन्दी के कवियों को सदा प्रश्रय दिया है।
  • महाकवि केशवदास वीरसिंहदेव के राजकवि थे।
  • ओड़छे में जिन पुरानी इमारतों के खंडहर हैं, उनमें मुख्य हैं- जहांगीर-महल जिसे वीरसिंहदेव ने जहांगीर के लिए बनवाया था यद्यपि जहांगीर इस महल में वीरसिंहदेव के जीवनकाल में कभी न ठहर सका, केशवदास का भवन, प्रवीण राय का भवन (प्रवीण राय, वीरसिंह देव के दरबार की प्रसिद्ध गायिका थी जिसकी केशवदास ने अपने ग्रंथों में बहुत प्रशंसा की है)।


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