बिचित्र: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''विचित्र चित्रकार / Vichitra chitrkar'''<br /> {{incomplete}} विचित्र 17वीं शत...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 7: Line 7:


मुग़ल चित्रकारों में शायद वह सबसे प्रखर दरबारी शैली वाले कलाकार थे। व्यक्तिचित्र और महत्वपूर्ण अवसरों की स्मृति के चित्र बनाने में विचित्र माहिर थे। उनकी कला तकनीक दोषरहित थी तथा उसमें शाही शिष्टाचार का समावेश दिखाई देता था। उनकी पहले की कृतियों में कुछ कोमल और रूमानी गुण मौजूद हैं, लेकिन बाद की रचनाओं की स्पष्ट, सधी रेखाएँ और चमकीले रंग उन्हें मात्र तटस्थ पूर्णतावादी होने से सर्वथा बचाते रहे थे। यूरोपीय चित्रकला और अनुकृतियों में उनकी रूचि थी और उन्होंने इनकी ध्यानपूर्वक कुछ प्रतिकृतियाँ बनाकर अध्ययन भी किया था, जिसके कारण उन्हीं की तरह इन्होंने अपने कुछ चित्रों में छाया का प्रयोग किया और महान व्यक्तियों के आसपास यूरोपीय बाल-फरिश्ते मंडराते दिखाये थे। अन्य दरबारी चित्रकारों की तरह विचित्र भी भारतीय प्राकृतिक दृश्यों का उपयोग यूरोपीय दृष्टि से करते थे, संभवत: यूरोपीय कृतियों के प्रभाव में उनके चित्र उनके अपने स्थान और काल के भव्य दर्पण हैं।
मुग़ल चित्रकारों में शायद वह सबसे प्रखर दरबारी शैली वाले कलाकार थे। व्यक्तिचित्र और महत्वपूर्ण अवसरों की स्मृति के चित्र बनाने में विचित्र माहिर थे। उनकी कला तकनीक दोषरहित थी तथा उसमें शाही शिष्टाचार का समावेश दिखाई देता था। उनकी पहले की कृतियों में कुछ कोमल और रूमानी गुण मौजूद हैं, लेकिन बाद की रचनाओं की स्पष्ट, सधी रेखाएँ और चमकीले रंग उन्हें मात्र तटस्थ पूर्णतावादी होने से सर्वथा बचाते रहे थे। यूरोपीय चित्रकला और अनुकृतियों में उनकी रूचि थी और उन्होंने इनकी ध्यानपूर्वक कुछ प्रतिकृतियाँ बनाकर अध्ययन भी किया था, जिसके कारण उन्हीं की तरह इन्होंने अपने कुछ चित्रों में छाया का प्रयोग किया और महान व्यक्तियों के आसपास यूरोपीय बाल-फरिश्ते मंडराते दिखाये थे। अन्य दरबारी चित्रकारों की तरह विचित्र भी भारतीय प्राकृतिक दृश्यों का उपयोग यूरोपीय दृष्टि से करते थे, संभवत: यूरोपीय कृतियों के प्रभाव में उनके चित्र उनके अपने स्थान और काल के भव्य दर्पण हैं।
[[Category:कला_कोश]][[Category:मुग़ल_साम्राज्य]][[Category:मध्य_काल]]__INDEX__

Revision as of 10:05, 13 May 2010

विचित्र चित्रकार / Vichitra chitrkar

40px पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार करने में सहायता कर सकते हैं।

विचित्र 17वीं शताब्दी के, मुग़ल दरबार के चित्रकार थे। जो जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब (संभवत:) के शासनकाल के दौरान सक्रिय रहे थे।

कहा जाता है कि इस बात की संभावना है कि विचित्र का पालन-पोषण दरबार में हुआ था। उनकी सबसे पुरानी ज्ञात कृति लगभग 1615 की है, जो उनकी शैली में पूर्ण परिपक्वता दिखाती है। संभवत: वह 1660 तक चित्रकारी करते रहे थे। 1616 में बने मुग़ल बादशाह जहाँगीर के एक चित्र में उन्होंने स्वयं को भी शामिल किया था,जिसमें वह लगभग 30 वर्ष के थे और उन्होंने हिंदू दरबारियों जैसे कपड़े पहने हुये थे।

मुग़ल चित्रकारों में शायद वह सबसे प्रखर दरबारी शैली वाले कलाकार थे। व्यक्तिचित्र और महत्वपूर्ण अवसरों की स्मृति के चित्र बनाने में विचित्र माहिर थे। उनकी कला तकनीक दोषरहित थी तथा उसमें शाही शिष्टाचार का समावेश दिखाई देता था। उनकी पहले की कृतियों में कुछ कोमल और रूमानी गुण मौजूद हैं, लेकिन बाद की रचनाओं की स्पष्ट, सधी रेखाएँ और चमकीले रंग उन्हें मात्र तटस्थ पूर्णतावादी होने से सर्वथा बचाते रहे थे। यूरोपीय चित्रकला और अनुकृतियों में उनकी रूचि थी और उन्होंने इनकी ध्यानपूर्वक कुछ प्रतिकृतियाँ बनाकर अध्ययन भी किया था, जिसके कारण उन्हीं की तरह इन्होंने अपने कुछ चित्रों में छाया का प्रयोग किया और महान व्यक्तियों के आसपास यूरोपीय बाल-फरिश्ते मंडराते दिखाये थे। अन्य दरबारी चित्रकारों की तरह विचित्र भी भारतीय प्राकृतिक दृश्यों का उपयोग यूरोपीय दृष्टि से करते थे, संभवत: यूरोपीय कृतियों के प्रभाव में उनके चित्र उनके अपने स्थान और काल के भव्य दर्पण हैं।