पत्तम थानु पिल्लई: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('पत्तम थानु पिल्लई (जन्म 15 जुलाई, 1885 ई.-निधन 1970 ई.) आधुनिक [[...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
m (Adding category Category:केरल के मुख्यमंत्री (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
Line 29: | Line 29: | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
[[Category:केरल]][[Category:राजनीति_कोश]][[Category:राजनीतिज्ञ]] | [[Category:केरल]][[Category:राजनीति_कोश]][[Category:राजनीतिज्ञ]] | ||
[[Category:केरल के मुख्यमंत्री]] |
Revision as of 07:27, 3 September 2011
पत्तम थानु पिल्लई (जन्म 15 जुलाई, 1885 ई.-निधन 1970 ई.) आधुनिक केरल प्रदेश के प्रमुख नेता थे। वे तीन बार वहां के मुख्यमंत्री भी बने।
परिचय
पत्तम थानु का जन्म 15 जुलाई, 1885 ई. को त्रिवेन्द्रम के एक 'नायर' परिवार में हुआ था। कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक लिपिक और अध्यापक का काम किया। फिर 1915 से वे वकालत करने लगे। साथ ही सार्वजनिक कार्यों में भी भाग लेना शुरू किया। त्रावनकोर देशी रियासत थी। शेष भारत की भांति जनता वहां भी सत्ता में भागीदारी की मांग कर रही थी। इसके लिए वहां पत्तन थानु के नेतृत्व में कांग्रेस संगठन बना। उन्होंने वकालत छोड़ दी और उत्तरदायी शासन की स्थापना के लिए 'सत्याग्रह' आरंभ कर दिया। पिल्लई गिरफ्तार कर लिए गए। 1939 में गांधी जी के समर्थन के साथ फिर आंदोलन हुआ और गिरफ्तारियां हुई। पत्तन थानु ने जब त्रावनकोर की मांग का विरोध किया तब तो उनका एक पैर जेल के अंदर और एक बाहर रहने लगा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री
- 1947 में जिस समय रियासत ने 'भारतीय संघ' में विलय का फैसला किया पत्तन थानु जेल के अंदर ही थे।
- वे रिहा हुए और 1948 में हुए निर्वाचन के बाद उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला। लेकिन मतभेद के कारण उन्हें शीघ्र ही इस्तीफा देना पड़ा।
- 1954 में 'प्रजा सोशलिस्ट पार्टी' के टिकट पर चुन कर वे कांग्रेस के सहयोग से फिर मुख्यमंत्री बने। लेकिन वर्ष भर में ही कांग्रेस ने सहयोग वापस ले लिया और मंत्रिमण्डल गिर गया।
- 1960 में नवगठित केरल राज्य के वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस प्रकार उन्हें आधुनिक केरल का निर्माता कहा जा सकता है।
- 1962 में पत्तन थानु को पंजाब का राज्यपाल बनाया गया।
- 1964 से 1968 तक वे आंध्र प्रदेश के राज्यपाल रहे।
निधन
1970 में उनका देहांत हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 453।