बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-1: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('इस अध्याय में छह ब्राह्मण हैं। *प्रथम ब्राह्मण में...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(No difference)

Revision as of 06:22, 5 September 2011

इस अध्याय में छह ब्राह्मण हैं।

  • प्रथम ब्राह्मण में, सृष्टि-रूप यज्ञ' को अश्वमेध यज्ञ के विराट अश्व के समान प्रस्तुत किया गया है। यह अत्यन्त प्रतीकात्मक और रहस्यात्मक है। इसमें प्रमुख रूप से विराट प्रकृति की उपासना द्वारा 'ब्रह्म' की उपासना की गयी है।
  • दूसरे ब्राह्मण में, प्रलय के बाद 'सृष्टि की उत्पत्ति' का वर्णन है।
  • तीसरे ब्राह्मण में, देवताओं और असुरों के 'प्राण की महिमा' और उसके भेद स्पष्ट किये गये हैं।
  • चौथे ब्राह्मण में, 'ब्रह्म को सर्वरूप' स्वीकार किया गया है और चारों वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) के विकास क्रम को प्रस्तुत किया गया है।
  • पांचवें ब्राह्मण में, सात प्रकार के अन्नों की उत्पत्ति का उल्लेख है और सम्पूर्ण सृष्टि को 'मन, वाणी और प्राण' के रूप में विभाजित किया गया है।
  • छठे ब्राह्मण में, 'नाम, रूप और कर्म' की चर्चा की गयी है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख