छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-8: Difference between revisions
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Revision as of 14:58, 8 September 2011
- छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरा का यह आठवाँ खण्ड है।
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- इस खण्ड में सप्तविध साम की उपासना का वर्णन है।
- वाणी में 'हुं' हिंकार है, शब्द 'प्र' प्रस्ताव है, 'आ' आदि रूप है, 'उत्' उद्गीथ है, 'प्रति' प्रतिहार है, 'उप' उपद्रव-रूप है और 'नि' निधन का रूप है।
- इस प्रकार जो साधक उपासना से वाणी के सारतत्त्व को प्राप्त कर लेता है, उसे अन्न और अन्न को पचाने की सामर्थ्य प्राप्त होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1 |
खण्ड-1 | खण्ड-2 | खण्ड-3 | खण्ड-4 | खण्ड-5 | खण्ड-6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 | खण्ड-10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 |
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खण्ड-1 से 5 | खण्ड-6 से 10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 से 19 |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-4 | |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-5 | |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-6 |
खण्ड-1 से 2 | खण्ड-3 से 4 | खण्ड-5 से 6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 से 13 | खण्ड-14 से 16 |
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