छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-4: Difference between revisions
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Revision as of 14:58, 8 September 2011
इस अध्याय में सत्रह खण्ड हैं।
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- प्रथम तीन खण्डों में राजा जनश्रुति और गाड़ीवान रैक्व का संवाद है। उन संवादों के माध्यम से रैक्व राजा जनश्रुति को 'वायु' और 'प्राण' की श्रेष्ठता के विषय में बताता है।
- चतुर्थ से नवम खण्ड तक जाबाल-पुत्र सत्यकाम की कथा है, जिसमें वृषभ, अग्नि, हंस और जल पक्षी के माध्यम से 'ब्रह्म' का उपदेश दिया गया है और
- दशम से सत्रहवें खण्ड तक सत्यकाम जाबाल के शिष्य उपकोसल को विभिन्न अग्नियों द्वारा तथा अन्त में आचार्य सत्यकाम द्वारा 'ब्रह्मज्ञान' दिया गया है तथा यज्ञ का ब्रह्मा कौन है, इस ओर संकेत किया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1 |
खण्ड-1 | खण्ड-2 | खण्ड-3 | खण्ड-4 | खण्ड-5 | खण्ड-6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 | खण्ड-10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 |
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खण्ड-1 से 5 | खण्ड-6 से 10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 से 19 |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-4 | |
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खण्ड-1 से 2 | खण्ड-3 से 4 | खण्ड-5 से 6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 से 13 | खण्ड-14 से 16 |
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