छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-7: Difference between revisions
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- छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरा का यह सातवाँ खण्ड है।
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- इसी प्रकार प्राणों (इन्द्रियों) में श्रेष्ठता के क्रम से साम की पंचविध उपासना करनी चाहिए।
- ऐसा करके साधक श्रेष्ठतर जीवन प्राप्त करता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1 |
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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-3 |
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