जे. आर. डी. टाटा: Difference between revisions

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'''जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा''' (जन्म- [[29 जुलाई]], [http://www.tatasteel100.com/people/index-jrd.asp 1904], पेरिस, [[फ़्राँस]]; मृत्यु- [[29 नवम्बर]], 1993, जिनेवा, स्विट्ज़रलैण्ड) [[भारत]] के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में जे. आर. डी. टाटा का नाम सर्वोपरि है। इन्होंने ही देश की पहली वाणिज्यिक विमान सेना टाटा एयरलाइंस शुरू की थी जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमानसेवा एयर इंडिया बन गई। '''इस कारण जे. आर. डी. टाटा को भारत के नागरिक उड्डयन का पिता भी कहा जाता है।'''
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
कुशल विमान चालक जे. आर. डी. टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 ई. में पेरिस में हुआ था। यह रतनजी दादाभाई टाटा व उनकी [[फ़्रांसीसी]] पत्नी सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। उनके पिता भारत के अग्रणी उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे। जे. आर. डी. टाटा की माँ फ़्रांसीसी थीं इसलिए उनके बचपन का ज़्यादातर वक़्त फ़्राँस में बीता, इसलिए फ्रेंच उनकी पहली [[भाषा]] थी। उन्होंने कैथेडरल और जॉन कोनोन स्कूल [[मुंबई]] में अपनी पढ़ाई पूरी की। जे. आर. डी. ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की। मात्र 34 वर्ष की आयु में वे टाटा संस के चेयरमैन बने। दशकों तक उन्होंने विशालकाय टाटा समूह की कंपनियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपनी पैतृक कम्पनी के अध्यक्ष पद पर पहुँचने से पहले सबसे नीचे स्तर से काम सम्भालना सीखा। इस प्रकार उन्हें अपने उद्योग के विभिन्न समूहों को समझने का अवसर मिला। इसी जानकारी से वे उद्योग को विभिन्न दिशाओं में बढ़ाने में सफल हुए।
कुशल विमान चालक जे. आर. डी. टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 ई. में पेरिस में हुआ था। यह रतनजी दादाभाई टाटा व उनकी [[फ़्रांसीसी]] पत्नी सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। उनके पिता भारत के अग्रणी उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे। जे. आर. डी. टाटा की माँ फ़्रांसीसी थीं इसलिए उनके बचपन का ज़्यादातर वक़्त फ़्राँस में बीता, इसलिए फ़्रेंच उनकी पहली [[भाषा]] थी। उन्होंने कैथेडरल और जॉन कोनोन स्कूल [[मुंबई]] में अपनी पढ़ाई पूरी की। जे. आर. डी. ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की। मात्र 34 वर्ष की आयु में वे टाटा संस के चेयरमैन बने। दशकों तक उन्होंने विशालकाय टाटा समूह की कंपनियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपनी पैतृक कम्पनी के अध्यक्ष पद पर पहुँचने से पहले सबसे नीचे स्तर से काम सम्भालना सीखा। इस प्रकार उन्हें अपने उद्योग के विभिन्न समूहों को समझने का अवसर मिला। इसी जानकारी से वे उद्योग को विभिन्न दिशाओं में बढ़ाने में सफल हुए।


जे. आर. डी. टाटा उसूलों के बेहद पक्के व्यक्ति थे। उन्होंने व्यापार में सफलता के साथ-साथ उच्च नैतिक मानदंडों को भी कायम रखा। उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह ने नई बुलंदियों को छुआ। उनके काल में टाटा समूह की कंपनियों की संख्या 15 से बढ़कर 100 से ज़्यादा हो गई। साथ ही टाटा समूह की परिसंपत्ति 62 करोड़ से बढ़कर 10 हज़ार करोड़ की हो गई।
जे. आर. डी. टाटा उसूलों के बेहद पक्के व्यक्ति थे। उन्होंने व्यापार में सफलता के साथ-साथ उच्च नैतिक मानदंडों को भी कायम रखा। उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह ने नई बुलंदियों को छुआ। उनके काल में टाटा समूह की कंपनियों की संख्या 15 से बढ़कर 100 से ज़्यादा हो गई। साथ ही टाटा समूह की परिसंपत्ति 62 करोड़ से बढ़कर 10 हज़ार करोड़ की हो गई।
==टाटा एयरलाइंस कम्पनी==
==टाटा एयरलाइंस कम्पनी==
जे. आर. डी. पहले शख़्स थे जिन्हें वर्ष [[1929]] में भारत में पहला पायलट लाइसेंस मिला। उड्डयन क्षेत्र की अग्रणी हस्ती लुईस ब्लेरियोट की प्रेरणा से उन्होंने [[1932]] में भारत की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की। कम्पनी के विमान की [[मुम्बई]] और कराची के बीच की पहली उड़ान के विमान चालक वे स्वयं ही थे। [[1953]] में विमान सेवाओं का राष्ट्रीयकरण करने के बाद ये एयर इंडिया के अध्यक्ष बने। सरकार ने इन्हें अनेक उद्योगों की सलाहकार समितियों में रखा।  
जे. आर. डी. पहले शख़्स थे जिन्हें वर्ष 1929 में भारत में पहला पायलट लाइसेंस मिला। उड्डयन क्षेत्र की अग्रणी हस्ती लुईस ब्लेरियोट की प्रेरणा से उन्होंने 1932 में भारत की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की। कम्पनी के विमान की [[मुम्बई]] और कराची के बीच की पहली उड़ान के विमान चालक वे स्वयं ही थे। 1953 में विमान सेवाओं का राष्ट्रीयकरण करने के बाद ये एयर इंडिया के अध्यक्ष बने। सरकार ने इन्हें अनेक उद्योगों की सलाहकार समितियों में रखा।  
==पुरस्कार==
==पुरस्कार==
जे. आर. डी. टाटा  को वर्ष [[1954]] में फ़्राँस सरकार ने 'लेजियन डी ऑनर' के खिताब से नवाजा गया। उन्हें उद्योग तथा राष्ट्र निर्माण में बेहतरीन योगदान के लिए वर्ष [[1992]] में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया।  
जे. आर. डी. टाटा  को वर्ष 1954 में फ़्राँस सरकार ने 'लेजियन डी ऑनर' के खिताब से नवाजा गया। उन्हें उद्योग तथा राष्ट्र निर्माण में बेहतरीन योगदान के लिए वर्ष 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया।  
==मृत्यु==
==मृत्यु==
अनेक संस्थाओं और विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित जे. आर. डी. टाटा का 89 वर्ष की आयु में वर्ष [[29 नवम्बर]], [[1993]] में जिनेवा (स्विट्ज़रलैण्ड) में निधन हो गया। मरणोपरांत उन्हें पेरिस में दफ़नाया गया।
अनेक संस्थाओं और विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित जे. आर. डी. टाटा का 89 वर्ष की आयु में वर्ष [[29 नवम्बर]], 1993 में जिनेवा (स्विट्ज़रलैण्ड) में निधन हो गया। मरणोपरांत उन्हें पेरिस में दफ़नाया गया।


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Revision as of 11:22, 12 November 2011

thumb|200px| जे. आर. डी. टाटा
J. R. D Tata

जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा (जन्म- 29 जुलाई, 1904, पेरिस, फ़्राँस; मृत्यु- 29 नवम्बर, 1993, जिनेवा, स्विट्ज़रलैण्ड) भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में जे. आर. डी. टाटा का नाम सर्वोपरि है। इन्होंने ही देश की पहली वाणिज्यिक विमान सेना टाटा एयरलाइंस शुरू की थी जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमानसेवा एयर इंडिया बन गई। इस कारण जे. आर. डी. टाटा को भारत के नागरिक उड्डयन का पिता भी कहा जाता है।

जीवन परिचय

कुशल विमान चालक जे. आर. डी. टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 ई. में पेरिस में हुआ था। यह रतनजी दादाभाई टाटा व उनकी फ़्रांसीसी पत्नी सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। उनके पिता भारत के अग्रणी उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे। जे. आर. डी. टाटा की माँ फ़्रांसीसी थीं इसलिए उनके बचपन का ज़्यादातर वक़्त फ़्राँस में बीता, इसलिए फ़्रेंच उनकी पहली भाषा थी। उन्होंने कैथेडरल और जॉन कोनोन स्कूल मुंबई में अपनी पढ़ाई पूरी की। जे. आर. डी. ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की। मात्र 34 वर्ष की आयु में वे टाटा संस के चेयरमैन बने। दशकों तक उन्होंने विशालकाय टाटा समूह की कंपनियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपनी पैतृक कम्पनी के अध्यक्ष पद पर पहुँचने से पहले सबसे नीचे स्तर से काम सम्भालना सीखा। इस प्रकार उन्हें अपने उद्योग के विभिन्न समूहों को समझने का अवसर मिला। इसी जानकारी से वे उद्योग को विभिन्न दिशाओं में बढ़ाने में सफल हुए।

जे. आर. डी. टाटा उसूलों के बेहद पक्के व्यक्ति थे। उन्होंने व्यापार में सफलता के साथ-साथ उच्च नैतिक मानदंडों को भी कायम रखा। उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह ने नई बुलंदियों को छुआ। उनके काल में टाटा समूह की कंपनियों की संख्या 15 से बढ़कर 100 से ज़्यादा हो गई। साथ ही टाटा समूह की परिसंपत्ति 62 करोड़ से बढ़कर 10 हज़ार करोड़ की हो गई।

टाटा एयरलाइंस कम्पनी

जे. आर. डी. पहले शख़्स थे जिन्हें वर्ष 1929 में भारत में पहला पायलट लाइसेंस मिला। उड्डयन क्षेत्र की अग्रणी हस्ती लुईस ब्लेरियोट की प्रेरणा से उन्होंने 1932 में भारत की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की। कम्पनी के विमान की मुम्बई और कराची के बीच की पहली उड़ान के विमान चालक वे स्वयं ही थे। 1953 में विमान सेवाओं का राष्ट्रीयकरण करने के बाद ये एयर इंडिया के अध्यक्ष बने। सरकार ने इन्हें अनेक उद्योगों की सलाहकार समितियों में रखा।

पुरस्कार

जे. आर. डी. टाटा को वर्ष 1954 में फ़्राँस सरकार ने 'लेजियन डी ऑनर' के खिताब से नवाजा गया। उन्हें उद्योग तथा राष्ट्र निर्माण में बेहतरीन योगदान के लिए वर्ष 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

मृत्यु

अनेक संस्थाओं और विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित जे. आर. डी. टाटा का 89 वर्ष की आयु में वर्ष 29 नवम्बर, 1993 में जिनेवा (स्विट्ज़रलैण्ड) में निधन हो गया। मरणोपरांत उन्हें पेरिस में दफ़नाया गया।


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