उपग्रह प्रमोचन यान-3: Difference between revisions

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उपग्रह प्रमोचन यान-3 (एसएलवी-3), (Satellite Launch Vehicle) [[भारत]] का पहला प्रायोगिक उपग्रह प्रमोचन यान, [[18 जुलाई]] 1980 को सफलतापूर्वक शार केंद्र, श्रीहरिकोटा से तब प्रमोचित किया गया जब [[रोहिणी उपग्रह]] आरएस-1 को कक्षा में स्थापित किया गया था। एसएलवी -3, 22 मी. ऊँचा, संपूर्णतः ठोस, 17 टन वजन का चार चरण यान है, जो 40 कि.ग्रा. भारवाली श्रेणी के नीतभारों को पृथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है। उसने उड़ान में यान को पूर्व-निर्धारित प्रपथ पर चलाने के लिए एक विवृत पाश निर्देशन (संचित अक्षनति कार्यक्रम के साथ) का उपयोग किया। [[अगस्त]] [[1979]] में एसएलवी -3 की पहली प्रयोगात्मक उड़ान, केवल आंशिक रूप से सफल थी। [[जुलाई]] [[1980]] के प्रमोचन के अलावा, [[मई]] [[1981]] और [[अप्रैल]] [[1983]] में सुदूर संवेदी संवेदकों का वहन करने वाले कक्षीय रोहिणी उपग्रहों का प्रमोचन किया गया।
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उपग्रह प्रमोचन यान-3 (एसएलवी-3), (Satellite Launch Vehicle) [[भारत]] का पहला प्रायोगिक उपग्रह प्रमोचन यान, [[18 जुलाई]] 1980 को सफलतापूर्वक शार केंद्र, श्रीहरिकोटा से तब प्रमोचित किया गया जब [[रोहिणी उपग्रह]] आरएस-1 को कक्षा में स्थापित किया गया था।  
* एसएलवी -3, 22 मी. ऊँचा, संपूर्णतः ठोस, 17 टन वजन का चार चरण यान है, जो 40 कि.ग्रा. भारवाली श्रेणी के नीतभारों को [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की निम्न कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है। उसने उड़ान में यान को पूर्व-निर्धारित प्रपथ पर चलाने के लिए एक विवृत पाश निर्देशन (संचित अक्षनति कार्यक्रम के साथ) का उपयोग किया।  
* [[अगस्त]] [[1979]] में एसएलवी -3 की पहली प्रयोगात्मक उड़ान, केवल आंशिक रूप से सफल थी।  
* [[जुलाई]] [[1980]] के प्रमोचन के अलावा, [[मई]] [[1981]] और [[अप्रैल]] [[1983]] में सुदूर संवेदी संवेदकों का वहन करने वाले कक्षीय रोहिणी उपग्रहों का प्रमोचन किया गया।





Revision as of 07:53, 16 March 2012

[[चित्र:Launch Vehicles.jpg|thumb|विभिन्न प्रमोचन यान|350px]] उपग्रह प्रमोचन यान-3 (एसएलवी-3), (Satellite Launch Vehicle) भारत का पहला प्रायोगिक उपग्रह प्रमोचन यान, 18 जुलाई 1980 को सफलतापूर्वक शार केंद्र, श्रीहरिकोटा से तब प्रमोचित किया गया जब रोहिणी उपग्रह आरएस-1 को कक्षा में स्थापित किया गया था।

  • एसएलवी -3, 22 मी. ऊँचा, संपूर्णतः ठोस, 17 टन वजन का चार चरण यान है, जो 40 कि.ग्रा. भारवाली श्रेणी के नीतभारों को पृथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है। उसने उड़ान में यान को पूर्व-निर्धारित प्रपथ पर चलाने के लिए एक विवृत पाश निर्देशन (संचित अक्षनति कार्यक्रम के साथ) का उपयोग किया।
  • अगस्त 1979 में एसएलवी -3 की पहली प्रयोगात्मक उड़ान, केवल आंशिक रूप से सफल थी।
  • जुलाई 1980 के प्रमोचन के अलावा, मई 1981 और अप्रैल 1983 में सुदूर संवेदी संवेदकों का वहन करने वाले कक्षीय रोहिणी उपग्रहों का प्रमोचन किया गया।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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