लुई ब्रेल: Difference between revisions
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*कालान्तर में स्वयं लुई ब्रेल ने आठ वर्षो के परिश्रम से ब्रेल लिपि में अनेक संशोधन किये और अंततः 1829 में छह बिन्दुओ पर आधारित ऐसी [[लिपि]] बनाने में सफल हुये। | *कालान्तर में स्वयं लुई ब्रेल ने आठ वर्षो के परिश्रम से ब्रेल लिपि में अनेक संशोधन किये और अंततः 1829 में छह बिन्दुओ पर आधारित ऐसी [[लिपि]] बनाने में सफल हुये। | ||
*लुई ब्रेल के वजह से नेत्रहीनों को पढ़ने का | *लुई ब्रेल के वजह से नेत्रहीनों को पढ़ने का मौक़ा मिला। | ||
*1837 में [[फ्रांस]] का सक्षिप्त इतिहास नामक पुस्तक भी ब्रेल लिपि में छापी गई थी, परन्तु फिर भी संसार ने इसे मान्यता देने में बहुत समय लगाया। | *1837 में [[फ्रांस]] का सक्षिप्त इतिहास नामक पुस्तक भी ब्रेल लिपि में छापी गई थी, परन्तु फिर भी संसार ने इसे मान्यता देने में बहुत समय लगाया। | ||
*सन 1854 में लुई ब्रेल की मृत्यु के दो वर्ष चश्चात् फ्रांसीसी सरकार ने इसे सरकारी मान्यता प्रदान की। | *सन 1854 में लुई ब्रेल की मृत्यु के दो वर्ष चश्चात् फ्रांसीसी सरकार ने इसे सरकारी मान्यता प्रदान की। |
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thumb|250px|लुई ब्रेल लुई ब्रेल (जन्म - 4 जनवरी 1809; मृत्यु - 6 जनवरी 1852) नेत्रहीनों के लिये ब्रेल लिपि का निर्माण करने के लिये प्रसिद्ध हैं।
- ब्रेल लिपि के निर्माण से नेत्रहीनों के पढ़ने की कठिनाई को मिटाने वाले लुई स्वयं भी नेत्रहीन थे।
- लुई ब्रेल का जन्म फ्रांस के छोटे से ग्राम कुप्रे में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था।
- कालान्तर में स्वयं लुई ब्रेल ने आठ वर्षो के परिश्रम से ब्रेल लिपि में अनेक संशोधन किये और अंततः 1829 में छह बिन्दुओ पर आधारित ऐसी लिपि बनाने में सफल हुये।
- लुई ब्रेल के वजह से नेत्रहीनों को पढ़ने का मौक़ा मिला।
- 1837 में फ्रांस का सक्षिप्त इतिहास नामक पुस्तक भी ब्रेल लिपि में छापी गई थी, परन्तु फिर भी संसार ने इसे मान्यता देने में बहुत समय लगाया।
- सन 1854 में लुई ब्रेल की मृत्यु के दो वर्ष चश्चात् फ्रांसीसी सरकार ने इसे सरकारी मान्यता प्रदान की।
- ब्रेल लिपि की असीम क्षमता और प्रबल प्रभाविकता के कारण सन् 1950 के विश्व ब्रेल सम्मेलन में ब्रेल को 'विश्व ब्रेल' का स्थान मिल गया।
- सन 2009 में 4 जनवरी को जब लुई ब्रेल के जन्म को पूरे दो सौ वर्षों का समय पूरा हुआ तो लुई ब्रेल जन्म द्विशती के अवसर पर हमारे देश ने उन्हें पुनः पुर्नजीवित करने का प्रयास किया जब इस अवसर पर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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