ग़ालिब: Difference between revisions

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*[http://gdhar.com/2005/06/26/an-ode-to-mirza-ghalibs-haveli/ Mirza Ghalib’s Haveli]
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Revision as of 08:09, 30 May 2010

उर्दू के प्रसिद्ध शायर

जन्म-1797 - मृत्यु-1869

जन्म

ग़ालिब का जन्म आगरा, उत्तर प्रदेश में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम 'मिर्ज़ा असदुल्ला बेग़ ख़ान 'ग़ालिब' था। बाद में वे दिल्ली में बस गए थे। 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह उमरो बेग़म से हुआ था। ग़ालिब ऐशो-आराम की ज़िंदग़ी व्यतीत करते थे। अपव्ययी होने के कारण वे कर्ज में डूबे रहते थे। उनके जीवन का उत्तरार्ध बड़ी विपन्नता में बीता था।

शिक्षा

उर्दू एवं फ़ारसी की प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे शायर हो गये।

बेहतरीन शायर

मिर्ज़ा असदुल्ला बेग़ ख़ान 'ग़ालिब' का स्थान उर्दू के चोटी के शायर के रूप में सदैव अक्षुण्ण रहेगा। उन्होंने उर्दू साहित्य को एक सुदृढ़ आधार प्रदान किया है। उर्दू और फ़ारसी के बेहतरीन शायर के रूप में उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली तथा अरब एवं अन्य राष्ट्रों में भी वे अत्यन्त लोकप्रिय हुए। ग़ालिब की शायरी में एक तड़प, एक चाहत और एक आशिक़ाना अंदाज़ पाया जाता है। जो सहज ही पाठक के मन को छू लेता है।

ग़ालिब का दीवान

उनकी ख़ूबसूरत शायरी का संग्रह 'दीवान-ए-ग़ालिब' के रूप में 10 भागों में प्रकाशित हुआ है। जिसका अनेक स्वदेशी तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

रचनाएं

ग़ालिब ने अपनी रचनाओं में सरल शब्दों का प्रयोग किया है। उर्दू गद्य-लेखन की नींव रखने के कारण इन्हें वर्तमान उर्दू गद्य का जन्मदाता भी कहा जाता है।

  1. उर्दू-ए-हिन्दी तथा
  2. उर्दू-ए-मुअल्ला पत्र संग्रह के इनके दो प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। इनके अलावा ग़ालिब की अन्य गद्य रचनाएँ
  3. नाम-ए-ग़ालिब,
  4. लतायफे गैबी,
  5. दुवपशे कावेयानी आदि हैं।

इनकी रचनाओं में देश की तत्कालीन सामाजिक राजनीतिक तथा आर्थिक स्थिति का वर्णन हुआ है।

निधन

ग़ालिब 72 वर्ष की आयु में परलोक सिधारे।

बाहरी कड़ियाँ