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===स्केबीज (खुजली/ कण्डू रोग/ माईट-स्केबीज/ Scabies)===
===स्केबीज (खुजली/ कण्डू रोग/ माईट-स्केबीज/ Scabies)===
[[चित्र:causes_scabies.jpg|परजीवी 'स्केबी' / सार्कोप्टिस|thumb|250px]]
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स्केबीज चर्म रोग का संक्रमण परजीवी 'स्केबी' / सार्कोप्टिस/ सारकॉपटिस स्केबीज नामक एक छोटे से कीटाणु/ कीड़े के कारण हो जाता है। यह छूत की बीमारी तो है, लेकिन यह हवा, पानी अथवा सांस द्वारा नहीं फैलती है। यह एक रोगी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैलती है। इसलिए परिवार में एक व्यक्ति से यह सारे परिवार में ही अकसर फैल जाती है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को छूने मात्र ही से यह रोग नहीं हो जाता बल्कि नज़दीकी एवं काफ़ी लंबे अरसे तक रोग-ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में रहने से यह फैलता है। यह नमी की स्थिति के चलते पनपता है। आम तौर पर बच्चों को इसका सबसे अधिक खतरा बना रहता है और बच्चों में यह रोग बहुत आम है। यह सामान्यतया उन लोगों को होती है जो साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते।  
स्केबीज चर्म रोग का संक्रमण परजीवी 'स्केबी' / सार्कोप्टिस/ सारकॉपटिस स्केबीज नामक एक छोटे से कीटाणु/ कीड़े के कारण हो जाता है। यह छूत की बीमारी तो है, लेकिन यह हवा, पानी अथवा सांस द्वारा नहीं फैलती है। यह एक रोगी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैलती है। इसलिए परिवार में एक व्यक्ति से यह सारे परिवार में ही अकसर फैल जाती है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को छूने मात्र ही से यह रोग नहीं हो जाता बल्कि नज़दीकी एवं काफ़ी लंबे अरसे तक रोग-ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में रहने से यह फैलता है। यह नमी की स्थिति के चलते पनपता है। आम तौर पर बच्चों को इसका सबसे अधिक ख़तरा बना रहता है और बच्चों में यह रोग बहुत आम है। यह सामान्यतया उन लोगों को होती है जो साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते।  


इस के बारे में विशेष ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस का संक्रमण होने पर लगभग एक महीने या उस से भी ज़्यादा समय तक मरीज़ को बिल्कुल खुजली नहीं होती और इस दौरान तो उसे यह भी पता नहीं होता कि उसे कोई चर्म रोग है। लेकिन इस दौरान भी उस के द्वारा यह रोग आगे दूसरे लोगों को तो अवश्य फैल सकता है।
इस के बारे में विशेष ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस का संक्रमण होने पर लगभग एक महीने या उस से भी ज़्यादा समय तक मरीज़ को बिल्कुल खुजली नहीं होती और इस दौरान तो उसे यह भी पता नहीं होता कि उसे कोई चर्म रोग है। लेकिन इस दौरान भी उस के द्वारा यह रोग आगे दूसरे लोगों को तो अवश्य फैल सकता है।

Revision as of 14:07, 15 July 2012

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स्केबीज (खुजली/ कण्डू रोग/ माईट-स्केबीज/ Scabies)

परजीवी 'स्केबी' / सार्कोप्टिस|thumb|250px स्केबीज चर्म रोग का संक्रमण परजीवी 'स्केबी' / सार्कोप्टिस/ सारकॉपटिस स्केबीज नामक एक छोटे से कीटाणु/ कीड़े के कारण हो जाता है। यह छूत की बीमारी तो है, लेकिन यह हवा, पानी अथवा सांस द्वारा नहीं फैलती है। यह एक रोगी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैलती है। इसलिए परिवार में एक व्यक्ति से यह सारे परिवार में ही अकसर फैल जाती है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को छूने मात्र ही से यह रोग नहीं हो जाता बल्कि नज़दीकी एवं काफ़ी लंबे अरसे तक रोग-ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में रहने से यह फैलता है। यह नमी की स्थिति के चलते पनपता है। आम तौर पर बच्चों को इसका सबसे अधिक ख़तरा बना रहता है और बच्चों में यह रोग बहुत आम है। यह सामान्यतया उन लोगों को होती है जो साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते।

इस के बारे में विशेष ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस का संक्रमण होने पर लगभग एक महीने या उस से भी ज़्यादा समय तक मरीज़ को बिल्कुल खुजली नहीं होती और इस दौरान तो उसे यह भी पता नहीं होता कि उसे कोई चर्म रोग है। लेकिन इस दौरान भी उस के द्वारा यह रोग आगे दूसरे लोगों को तो अवश्य फैल सकता है।

लक्षण

स्कबीज में पहले पूरे शरीर पर छोटे-छोटे दाने हो सकते हैं जिन में अत्यधिक खुजली होती है, जो रात के समय में अत्यधिक परेशान करती है। लेकिन आम तौर पर ये दाने और खुजली हाथों की उँगलियों के बीच, कोहनी पर, कलाई पर, कमर के चारों तरफ, शरीर के अंदरुनी/ प्रजनन अंगों, जननेंद्रिय पर अधिक होती है। इन स्थानों पर छोटी-छोटी फुंसियाँ, लाल रंग के दाने (रैशेज), खरोंचों के निशान आदि बन जाते हैं। इन दानों पर खुजली करने से संक्रमण बढ़ता है, पस वाले फोड़े बन जाते हैं जिस की वजह से शरीर के विभिन्न भागों में गांठें (लिम्फ नॉड्स) सूज जाती हैं और बुखार हो जाता है। स्कबीज के लाल रंग के दाने|thumb|250px साधारणतयः स्कबीज़ चर्म रोग से मृत्यु हो जाना सुनने में नहीं आता, लेकिन अगर छोटे बच्चों को यह त्वचा रोग हो तो उन का विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत है। इन में रोग - प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटि) तो वैसे ही कम होती है - अगर पस पड़ने से, बुखार होने से, संक्रमण रक्त में चला जाए (सैप्टीसीमिया) तो यह जान लेवा सिद्ध हो सकता है।

उपाय

इस स्केबीज़ चर्म रोग के इलाज के लिए कुछ ध्यान देने योग्य बातें ये भी हैं, घर में एक भी सदस्य को स्केबीज़ होने पर पूरे परिवार का एक साथ इलाज होना लाज़मी है।

इस बीमारी के पूर्ण इलाज के लिए बहुत ही प्रभावशाली लगाने वाली दवाईयां उपलब्ध हैं। इन का प्रयोग आप अपने चिकित्सक से मिलने के पश्चात् कर सकते हैं। इस संक्रमण में डाक्टर परमेथ्रिन नामक दवा (स्केबियोल) इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। यह सफेद रंग का एक घोल होता है। जिसे प्रभावित क्षेत्र और गले के नीचे-नीचे शरीर के सभी भागों में इसे ब्रुश से लगाया जाता है। सारे शरीर की चमड़ी पर इसे लगाना बहुत ज़रूरी है। अगर मरीज़ इस केवल उन जगहों पर ही लगाएंगे जहां पर ये दाने हैं तो बीमारी का नाश नहीं हो पाएगा। 24 घंटे के अंतराल पर यह दवाई ऐसे ही शरीर पर दो बार लगाई जाती है। और उस के बाद नहा लिया जाता है। इस दवाई का शरीर पर 48 घंटे लगे रहना बहुत ज़रूरी है।

विश्व विख्यात पुस्तक जहां कोई डाक्टर न हो के लेखक डेविड वर्नर इस पुस्तक में स्केबीज़ पर एक पेस्ट लगाने की सलाह देते हैं। इसे तैयार करने की विधि इस प्रकार है - थोड़े से पानी में नीम के कुछ पत्ते उबाल लें। इस हल्दी के पावडर के साथ मिला कर एक गाढ़ी पेस्ट बना लें। सारे शरीर को अच्छी तरह से साबुन लगा कर धोने के पश्चात् इस पेस्ट का सारे शरीर विशेषकर उंगलियों के बीच के हिस्सों, टांगों के अंदरूनी हिस्सों (inside portion of thighs) एवं पैरों की उंगलियों के बीच लेप कर दें। उस के बाद सूर्य की रोशनी में कुछ समय खड़े हो जायें। अगले तीन दिनों तक रोज़ाना यह लेप करें, लेकिन नहाएं नहीं। चौथे दिन मरीज़ नहाने के बाद साफ़ सुथरे, सूखे कपड़े पहने। चमड़ी रोग विशेषज्ञ से मिलने से पहले आप इस घरेलु पेस्ट का उपयोग तो अवश्य कर ही सकते हैं, लेकिन प्रोपर डायग्नोसिस एवं यह पता करने के लिए कि रोग जड़ से खत्म हो गया है या नहीं, इस के लिए चर्म-रोग विशेषज्ञ से मिलना तो ज़रूरी है ही।

स्केबीज़ से डरिए नहीं, इस का इलाज तो बहुत आसान है ही, रोकथाम भी बड़ी आसान है। साफ़-स्वच्छ जीवन-शैली, रोज़ाना नहा धो-कर कपड़े बदलने से इससे बचा जा सकता है। कपड़े गंदे न पहनें, अधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें। कपड़े और बिस्तर की सफाई का ध्यान रखें और सूर्य की रोशनी में इन्हें अच्छी तरह सुखाएं। और हां, छोटे बच्चों को भी यह रोग होने पर तुरंत चिकित्सक से मिलें।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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