प्रयोग:गोविन्द3: Difference between revisions
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[[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|शर्मदार की मौत]] | [[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|शर्मदार की मौत]] | ||
जानवर अपनी बुद्धि का प्रयोग तार्किक धरातल पर नहीं कर सकते। इसीलिए जानवर को दो प्रकार से ही शिक्षित किया जा सकता है- डरा कर और भोजन के लालच से किंतु मनुष्य के लिए एक तीसरा तरीक़ा भी प्रयोग में लाया गया। वह था प्रेम द्वारा सीखना। तीसरा याने प्रेम से | जानवर अपनी बुद्धि का प्रयोग तार्किक धरातल पर नहीं कर सकते। इसीलिए जानवर को दो प्रकार से ही शिक्षित किया जा सकता है- डरा कर और भोजन के लालच से किंतु मनुष्य के लिए एक तीसरा तरीक़ा भी प्रयोग में लाया गया। वह था प्रेम द्वारा सीखना। तीसरा याने प्रेम से सीखने वाला तरीक़ा सबसे अधिक सहज और प्रभावशाली होता है। [[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|पूरा पढ़ें]] | ||
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Revision as of 09:08, 16 July 2012
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