कर संरचना: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 1: Line 1:
[[भारत]] की कर संरचना प्रणाली काफी विकसित है। [[भारतीय संविधान]] के प्रावधानों के अनुरुप करों व ड्यूटीज को लगाने का अधिकार सरकार के तीनों स्तरों को प्रदान किया गया है। केंद्र सरकार जिन करों व ड्यूटीज को लगा सकती है, वे हैं-  
[[भारत]] की कर संरचना प्रणाली काफी विकसित है। [[भारतीय संविधान]] के प्रावधानों के अनुरुप करों व ड्यूटीज को लगाने का अधिकार सरकार के तीनों स्तरों को प्रदान किया गया है।  
;केंद्र सरकार द्वारा लगाये जाने वाले प्रमुख कर और ड्यूटीज इस प्रकार हैं-  
# आयकर (कृषीय आय पर कर के अतिरिक्त जिसे राज्य सरकार ही लगा सकती है)
# आयकर (कृषीय आय पर कर के अतिरिक्त जिसे राज्य सरकार ही लगा सकती है)
# कस्टम ड्यूटी
# कस्टम ड्यूटी
Line 18: Line 19:
# 4 प्रतिशत  
# 4 प्रतिशत  
# 12.5 प्रतिशत।  
# 12.5 प्रतिशत।  
इसके अतिरिक्त कुछ चीजों पर छूट भी दी गई है और कुछ चुनी हुई चीजों पर 1 प्रतिशत का ही कर लगाया जाता है।
इसके अतिरिक्त कुछ चीजों पर छूट भी दी गई है और कुछ चुनी हुई चीजों पर 1 प्रतिशत का ही कर लगाया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://www.jagranjosh.com/general-knowledge/%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B0%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE-1316241586-2 |title=कर संरचना |accessmonthday=1 अक्टूबर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण जोश |language=हिन्दी}}</ref>
 
==प्रत्यक्ष कर संहिता==
प्रत्यक्ष कर संहिता को लागू करके केंद्र सरकार देश में एक समेकित कर सरंचना का ढांचा तैयार करना चाहती है जिसके द्वारा आयकर, डेविडेन्ड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स, फ्रिंज बेनेफिट टैक्स और वेल्थ टैक्स जैसे सभी प्रत्यक्ष करों में संशोधन करके एक ऐसे प्रभावी, समतुल्य और कार्यकुशल प्रत्यक्ष कर प्रणाली की स्थापना करना चाहती है जिसका लोग स्वत: पालन करें और कर-सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में अपने-आप वृद्धि हो जाए। इसे लागू करने का एक अन्य उद्देश्य वाद-विवाद को कम करना और मुकदमों को कम करना है।
यह कर प्रणाली पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली के अनुरुप होगी। इसके द्वारा अन्तोगत्वा सिंगल यूनीफाइड टैक्सपेयर रिपोर्टिंग सिस्टम की स्थापना हो सकेगी। प्रत्यक्ष कर संहिता के द्वारा सभी प्रत्यक्ष कर एकल संहिता के अंतर्गत आ सकेंगे।




Line 28: Line 25:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:अर्थव्यवस्था]][[Category:गणराज्य संरचना कोश]]
[[Category:अर्थव्यवस्था]][[Category:गणराज्य संरचना कोश]]


__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Revision as of 06:46, 1 October 2012

भारत की कर संरचना प्रणाली काफी विकसित है। भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुरुप करों व ड्यूटीज को लगाने का अधिकार सरकार के तीनों स्तरों को प्रदान किया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा लगाये जाने वाले प्रमुख कर और ड्यूटीज इस प्रकार हैं-
  1. आयकर (कृषीय आय पर कर के अतिरिक्त जिसे राज्य सरकार ही लगा सकती है)
  2. कस्टम ड्यूटी
  3. सेंट्रल एक्साइज
  4. बिक्रीकर
  5. सेवाकर।

राज्य सरकारों द्वारा लगाये जाने वाले प्रमुख कर हैं-

  1. बिक्रीकर (वस्तुओं के राज्यों के भीतर बिकने पर लगाया जाने वाला कर)
  2. स्टैम्प ड्यूटी (सम्पत्ति के हस्तांतरण पर लगाया जाने वाला कर)
  3. स्टेट एक्साइज (शराब के निर्माण पर लगाई जाने वाली ड्यूटी)
  4. कर राजस्व (कृषीय व गैर-कृषीय उद्देश्यों के लिए प्रयोग की जाने वाली भूमि पर लगाया जाने वाला कर) व मनोरंजन व प्रोफेशनल्स पर लगाया जाने वाला कर।
  5. स्थानीय निकाय सम्पत्तियों पर कर लगाने का अधिकार रखती है (इमारतों इत्यादि पर), चुंगी (स्थानीय निकाय के अधिकार क्षेत्र पर प्रवेश करने वाली वस्तुओं या उपभोग पर लगाया जाने वाला कर), बाजारों पर व जल सप्लाई, सीवर इत्यादि पर लगाया जाने वाला कर।

1991 में देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत के बाद से कर संरचना में भारी परिवर्तन आया है। करों की संख्या पहले से काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। किये गये परिवर्तनों में शामिल हैं- कर संरचना को तार्किक बनाना, कस्टम ड्यूटी, कार्पोरेट टैक्स, कस्टम ड्यूटी में कमी करना जिससे कि वे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों यानि आसियान के समतुल्य हो जाएं, देश में वैट को लागू करना इत्यादि।

मूल्य वर्धित कर (वैट)

राज्य स्तर पर वैट की शुरुआत करके देश में कर सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। वैट राज्यों की पहली बिक्री कर प्रणाली के स्थान पर लाया गया है। वैट एक ऐसा कर है जो जिसे वस्तुओं व सेवाओं के अंतिम उपभोग पर लगाया जाता है और अंतोगत्वा इसका भार उपभोक्ता पर पड़ता है। वैट मुख्य रूप से राज्य का विषय है जिसे राज्यों की सूची से उठाया गया है। वर्तमान में वैट की दो मुख्य दरें हैं-

  1. 4 प्रतिशत
  2. 12.5 प्रतिशत।

इसके अतिरिक्त कुछ चीजों पर छूट भी दी गई है और कुछ चुनी हुई चीजों पर 1 प्रतिशत का ही कर लगाया जाता है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कर संरचना (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण जोश। अभिगमन तिथि: 1 अक्टूबर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख