विष्णु शर्मा: Difference between revisions

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आचार्य विष्णु शर्मा प्रसिद्ध संस्कृत नीतिपुस्तक पंचतन्त्र के रचयिता थे। नीतिकथाओं में पंचतन्त्र का पहला स्थान है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र 80 वर्ष के क़रीब थी। वे दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर में रहते थे। पंचतंत्र की रचना ईसा-पूर्व दूसरी और तीसरी शताब्दियों के बीच हुई थी।[1]

पंचतंत्र की रचना

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

महिलारोप्य के राजा अमरशक्ति के तीन मूर्ख पुत्र थे जो राजनीति एवं नेतृत्व गुण सीखने में असफल रहे। विष्णु शर्मा राजनीति तथा नीतिशास्त्र सहित सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे। विष्णु शर्मा को दरबार में बुलाकर घोषणा की कि यदि वे उसके पुत्रों को कुशल राजसी प्रशासक बनाने में सफल होते हैं तो वह उन्हें सौ गाँव तथा बहुत सा स्वर्ण देगा।

विष्णु शर्मा हँसे और कहा कि हे राजन् मैं अपनी विद्या को बेचता नहीं, मुझे किसी उपहार की इच्छा या लालच नहीं है। आपने मुझे विशेष सम्मान सहित बुलाया है, इसलिये मैं आपके पुत्रों को छह महीने के भीतर कुशल प्रशासक बनाने की शपथ लेता हूँ। राजा ने हर्षपूर्वक तीनों राजकुमारों की जिम्मेदारी विष्णु शर्मा को दे दी।

विष्णु शर्मा ने उन्हें शिक्षित करने हेतु कुछ कहानियों की रचना की जिनके माध्यम से वे उन्हें नीति सिखाया करते थे। शीघ्र ही राजकुमारों ने इसमें रुचि लेना आरम्भ कर दिया तथा नीति सीखने में सफलता प्राप्त की। इन कहानियों का संकलन पाँच समूहों में पंचतन्त्र के नाम से कोई 2000 साल पहले (ईसा-पूर्व दूसरी और तीसरी शताब्दियों के मध्य) बना।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 विष्णु शर्मा/परिचय (हिंदी) गद्य कोश। अभिगमन तिथि: 25 नवम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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