निर्मला जैन: Difference between revisions
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{{सूचना बक्सा साहित्यकार | |||
|चित्र=Nirmala-jain.jpg | |||
|चित्र का नाम=निर्मला जैन | |||
|पूरा नाम=निर्मला जैन | |||
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|जन्म=[[1932]] | |||
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|कर्म-क्षेत्र=हिंदी आलोचक | |||
|मुख्य रचनाएँ= 'आधुनिक हिंदी काव्य में रूप विधाएं', 'रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र' | |||
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|भाषा=[[हिंदी]] | |||
|विद्यालय= | |||
|शिक्षा= | |||
|पुरस्कार-उपाधि=हरजीमल डालमिया पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार | |||
|प्रसिद्धि= | |||
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|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
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|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
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'''निर्मला जैन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nirmala Jain'') का [[हिंदी]] आलोचना संसार में विशिष्ट स्थान है। निर्मला जैन का जन्म [[1932]] में हुआ था। आलोचना की डगर मुश्किल होती है और उस डगर पर अगर कोई स्त्री हो तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। इन्हीं मुश्किलों के बीच से रास्ता बनाते हुए डॉ. निर्मला जैन ने हिंदी आलोचना को मजबूती प्रदान की है। उनका काम ऐसा है कि उनके हिस्से में ज्यादातर नाराजगी ही आती है खासकर तब, जब वह किसी खेमेबाजी में भरोसा न करती हों और अपने ऊपर किसी का दबाव न आने देती हों। | '''निर्मला जैन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nirmala Jain'') का [[हिंदी]] आलोचना संसार में विशिष्ट स्थान है। निर्मला जैन का जन्म [[1932]] में हुआ था। आलोचना की डगर मुश्किल होती है और उस डगर पर अगर कोई स्त्री हो तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। इन्हीं मुश्किलों के बीच से रास्ता बनाते हुए डॉ. निर्मला जैन ने हिंदी आलोचना को मजबूती प्रदान की है। उनका काम ऐसा है कि उनके हिस्से में ज्यादातर नाराजगी ही आती है खासकर तब, जब वह किसी खेमेबाजी में भरोसा न करती हों और अपने ऊपर किसी का दबाव न आने देती हों। | ||
==प्रमुख रचनाएँ== | ==प्रमुख रचनाएँ== |
Revision as of 07:01, 23 December 2012
निर्मला जैन
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पूरा नाम | निर्मला जैन |
जन्म | 1932 |
कर्म-क्षेत्र | हिंदी आलोचक |
मुख्य रचनाएँ | 'आधुनिक हिंदी काव्य में रूप विधाएं', 'रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र' |
भाषा | हिंदी |
पुरस्कार-उपाधि | हरजीमल डालमिया पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
अद्यतन | 12:31, 23 दिसम्बर 2012 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
निर्मला जैन (अंग्रेज़ी: Nirmala Jain) का हिंदी आलोचना संसार में विशिष्ट स्थान है। निर्मला जैन का जन्म 1932 में हुआ था। आलोचना की डगर मुश्किल होती है और उस डगर पर अगर कोई स्त्री हो तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। इन्हीं मुश्किलों के बीच से रास्ता बनाते हुए डॉ. निर्मला जैन ने हिंदी आलोचना को मजबूती प्रदान की है। उनका काम ऐसा है कि उनके हिस्से में ज्यादातर नाराजगी ही आती है खासकर तब, जब वह किसी खेमेबाजी में भरोसा न करती हों और अपने ऊपर किसी का दबाव न आने देती हों।
प्रमुख रचनाएँ
- 'आधुनिक हिंदी काव्य में रूप विधाएं'
- 'रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र'
- 'आधुनिक साहित्य: मूल्य और मूल्यांकन'
- 'आधुनिक साहित्य: रूप और संरचना'
- 'समाजवादी साहित्य : विकास की समस्याएं' और 'पाश्चात्य साहित्य चिंतन'
सम्मान और पुरस्कार
- हरजीमल डालमिया पुरस्कार
- तुलसी पुरस्कार
- रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख