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परिचय

चैनपुर सहरसा जिलान्तर्गत, जिला मुख्यालय से 10 किलोमिटर के दुरी पर अवस्थित एक गाव है. बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में कोशी नदी के बेसिन में बसल चैनपुर गाम सहरसा जिला मुख्यालय से १० किलोमीटर के दूरी पर अवस्थित है. यह गाव अपने शिक्षा संस्कार और विद्वान सबके कारन से पुरे मिथिला में प्रसिद्ध है.

इतिहास

इस गाव के आदि पुरुष श्री भागीरथ ठाकुर को माना जाता है और गाव के लोक अपने को भागीरथ ठाकुर के ही वंशज मानते है. परंपरागत विश्वास के अनुसार आज से लगभग २५० साल पहले इस गाव में भागीरथ बाबा आये थे. ऐसि भि मान्यता है यह गाव बहुत प्राचिन है. किम्वदन्ति है कि जब आठवी सदी में शंकराचार्य शास्त्रार्थ करने के लिये मंडन मिश्र के पास महिषी आये थे तब वे चैनपुर होकर हि गये थे..चैन्पुर गाव के नीलकंठ महादेव मन्दिर मे क पूजा कर्ने के उपरान्त वे धेमरा नदी (धर्ममूला) पार कर के महिषी पहुन्चे थे. यह अख्यायन शायद शंकर विजय नामक प्रबंध ग्रन्थ में उपलब्ध है. साथ ही, इस गाव मे ढेरो प्राचीन मूर्तिया भि प्राप्त हुइ है.ये सब अद्वितीय है जैसे कि सूर्य भगवान् के आदमकद मूर्ति, विष्णु भगवन के मूर्ति आदि आदि. अवश्य हि यह गाव बहुत प्राचीन है, लेकिन इस्के पौराणिकता को सिद्ध करने का कोइ सबूत शायद उपलब्ध नहीं है. कुछ अपठनीय लेख भी उपलब्ध है जिसको पध्ने के बाद शायद इस गाव कि पौराणिकता सिद्ध हो सकती है.

संरचना

इस गाव कि बनाबट अद्भुत है.आस पास के किसी भी गाव कि संरचना ऐसी नहीं है. लगता है कि कोई मन्जा हुआ कलाकार अपने कला का प्रदर्शन कर्ने मे कोई कसर नही छोडा गाव के संरचना का योजना बनाने में. चार-चार सीधा सामानांतर सड़क जो गाव के एक छोड़ से दूस्ररे छोड़ तक जाती है एवम पुनः इन चारो सडको को समकोण पर काटती पांच छ: टा सड़क. गाम के शुरू में पश्चिम भाग में टीला पर विराज्मान आदि काली मंदिर तो दूसरी ओर नीलकंठ महादेव मदिर पूरब में दूसरे टीला पर. प्रतीत होता है कि शिव एवं शिवा दोनो ओर से गाव कि रक्षा के लिये स्वयं विराजमान है. साथ ही गाव के मध्य में दुर्गा स्थान, सम्पूर्ण शक्ति को संतुलित करते हुए प्रतीत होता है. गाव के चारो ओर पानी बहने कि उत्तम व्यवस्था घोर आश्चर्य उत्पन्न करती है.

शिक्षा एवम सन्स्कृति

5 प्रथमिक विद्यालय, दो मिड्डल स्कूल, दो हाई स्कूल, एक संस्कृत महाविद्यालय है. धार्मिक स्थान के रूप में नीलकंठ मंदिर, काली मंदिर (बुढ़िया काली आ नवकि काली), दुर्गा मंदिर, विष्णु घर, हनुमान थान, ब्रहम बाबा, राधा कृष्ण कुटी, मार्कंडेय बाबा के काली मंदिर इत्यादि दर्शनीय स्थल है. गाव में तालाब, इनार के कमी नहि है.

गाव में सभी पर्व त्यौहार संपूर्ण उमंग, उत्साह आ धार्मिक वातावरण में मनाया जाता है. काली पूजा एवम फगुआ कुछ ज्यादा हि प्रसिद्ध है.दशहरा आ शिवरात्रि, कृष्णाष्टमी, रामनवमी आ हनुमान जयंती आदि त्योहार भी परम श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है.

गाव के रत्न=

पं अमृत्नाथ झा, पं अर्जुन झा, पं गंगाधर मिश्र, पं छोटू बाबु, श्री कृष्ण मिश्र, स्व.भ्रिगुदेव झा, पं इन्द्रानन झा, पं शिलानंद झा, पं. मधुकांत झा 'मधुकर'....,

गुनी बाबा, नुनु बाबा, श्री नारायण ठाकुर, श्री जय नारायण ठाकुर, श्री यदु झा, श्री भूप नारायण ठाकुर (गबैया बाबा), वीरन गोसाईं...........

पं हरेकृष्ण मिश्र, स्व. गुनी ठाकुर, श्री तुलाकृष्ण झा, श्री दीना नाथ मिश्र, श्री हरे कृष्ण झा, श्री गिरीश चन्द्र झा, श्री रतिश चन्द्र झा, श्री सतीश चन्द्र मिश्र, श्री शशि कान्त झा, श्री भाल चन्द्र मिश्र ...

स्व. गंगाधर झा, श्री उमा कान्त झा, स्व. घुघुर बाबु, श्री अरुण ठाकुर, श्री मनोज झा, श्री सरोज कुमार ठाकुर, श्री आशीष भरद्वाज, श्री शैलेश मिश्र, श्री लड्डू बाबु, श्री डी.न.ठाकुर, श्री रविन्द्र नारायण ठाकुर, श्री राम चन्द्र ठाकुर ....................

अमर शहीद भोला ठाकुर, स्व. जनार्दन झा, स्व. अनिरुद्ध मिश्र, स्व. बिह नारायण ठाकुर (स्वतंत्रता सेनानी), अमर शहीद परसमनि झा


पडोसी गाव

पडरी, बनगाव, महिशि, बलहि, तेघरा, बसौना, बलहा, गढिया, ......




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