ईसवाल उदयपुर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "२" to "2") |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "४" to "4") |
||
Line 1: | Line 1: | ||
ईसवाल का मंदिर [[राजस्थान]], [[उदयपुर]] से लगभग ५६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। संवत् 11६1 तथा संवत् | ईसवाल का मंदिर [[राजस्थान]], [[उदयपुर]] से लगभग ५६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। संवत् 11६1 तथा संवत् 1242 के दो अभिलेखों के आधार पर इसका निर्माण काल 11वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में निर्मित किया गया है। संवत् 1242 का अभिलेख, जो मंदिर के जीर्णोद्धार अथवा प्रतिमा स्थापना के समय लगाया गया होगा। यह अभिलेख गुहिल शासक मथनसिंह का है तथा मंदिर के अधिष्ठातादेव 'वोहिगस्वामी' है। | ||
इस गर्भगृह में [[विष्णु]] की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। जिसके चारों ओर चारों दिशाओं में क्रमशः [[गणेश]], [[शक्ति]], [[सूर्य देवता|सूर्य]] तथा [[शिव]] के गौण मंदिर स्थापित हैं। इन मूर्तियों की सौर पूजा में वैष्णव पूजा समावेश के स्पष्ट चिंह दिखाई पड़ते हैं। गर्भगृह के पृष्ठभाग की प्रमुख ताख में सूर्य एवं विष्णु का संयुक्त विग्रह उत्कीर्ण है, जो विष्णु पूजा में सौर पूजा के समावेश को दर्शाता है। | इस गर्भगृह में [[विष्णु]] की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। जिसके चारों ओर चारों दिशाओं में क्रमशः [[गणेश]], [[शक्ति]], [[सूर्य देवता|सूर्य]] तथा [[शिव]] के गौण मंदिर स्थापित हैं। इन मूर्तियों की सौर पूजा में वैष्णव पूजा समावेश के स्पष्ट चिंह दिखाई पड़ते हैं। गर्भगृह के पृष्ठभाग की प्रमुख ताख में सूर्य एवं विष्णु का संयुक्त विग्रह उत्कीर्ण है, जो विष्णु पूजा में सौर पूजा के समावेश को दर्शाता है। |
Revision as of 11:10, 11 June 2010
ईसवाल का मंदिर राजस्थान, उदयपुर से लगभग ५६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। संवत् 11६1 तथा संवत् 1242 के दो अभिलेखों के आधार पर इसका निर्माण काल 11वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में निर्मित किया गया है। संवत् 1242 का अभिलेख, जो मंदिर के जीर्णोद्धार अथवा प्रतिमा स्थापना के समय लगाया गया होगा। यह अभिलेख गुहिल शासक मथनसिंह का है तथा मंदिर के अधिष्ठातादेव 'वोहिगस्वामी' है।
इस गर्भगृह में विष्णु की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। जिसके चारों ओर चारों दिशाओं में क्रमशः गणेश, शक्ति, सूर्य तथा शिव के गौण मंदिर स्थापित हैं। इन मूर्तियों की सौर पूजा में वैष्णव पूजा समावेश के स्पष्ट चिंह दिखाई पड़ते हैं। गर्भगृह के पृष्ठभाग की प्रमुख ताख में सूर्य एवं विष्णु का संयुक्त विग्रह उत्कीर्ण है, जो विष्णु पूजा में सौर पूजा के समावेश को दर्शाता है।