शुंग भृत्य: Difference between revisions

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Latest revision as of 09:57, 12 April 2013

शुंग भृत्य पुराणों में 'कण्व' या 'काण्वायन' राजाओं को कहा गया है। कण्व वंश (लगभग 73 ई.पू. पूर्व से 18 ई.पू.) शुंग वंश के बाद मगध का शासनकर्ता वंश था। इस वंश का संस्थापक वासुदेव शुंग वंश के अन्तिम राजा देवभूति का ब्राह्मण अमात्य था। देवभूति के विरुद्ध षड़यंत्र कर वासुदेव ने मगध के राजसिंहासन पर अधिकार कर लिया।

  • यह तो स्पष्ट ही है कि वासुदेव कण्व शुंग राजा देवभूति का अमात्य था।
  • कण्व वंश में चार राजा हुए, जिन्हें 'शुंग-भृत्य' कहा गया है। यह कहने का अभिप्राय: शायद यह है कि नाममात्र को इनके समय में भी शुंगवंशी राजा ही सिंहासन पर विराजमान थे, यद्यपि सारी शक्ति इन भृत्यों के हाथ में ही थी।
  • सम्भवत: इसीलिए कण्वों के बाद जब आंध्रों के मगध साम्राज्य पर अधिकार कर लेने का उल्लेख आता है तो यह लिखा गया है कि उन्होंने कण्व और शुंग-दोनों को परास्त कर शक्ति प्राप्त की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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