राजा उदय प्रताप सिंह: Difference between revisions
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Revision as of 11:25, 14 May 2013
राजा उदय प्रताप सिंह|thumb|250px|right राजा उदय प्रताप सिंह (जन्मः 1933) विश्व हिंदू परिषद के हिंदूवादी नेता तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मानद पदाधिकारी हैं।
जन्म एंव शिक्षा
राजा उदय प्रताप सिंह का जन्म सन 1933 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की रियासत भदरी मे पिता कुँवर त्रिलोचन प्रताप सिंह के यहाँ हुआ। इनके पिता कुँवर त्रिलोचन प्रताप सिंह, भदरी नरेश राजा बजरंग बहादुर सिंह के छोटे भाई थे। राजा बजरंग बहादुर निसंतान थे, इसलिए भतीजे उदय सिंह को गोद लेकर भदरी का उत्तराधिकारी बनाया। उदय सिंह की शिक्षा देश के प्रतिष्ठित दून विद्यालय से हुई। बाद में जापान से उन्होंने कृषि में स्नातक पूरा किया। राजा उदय सिंह को जापान से पर्यावरण विशेषज्ञ की उपाधि मिली।
सामाजिक कार्य
उदय प्रताप सिंह कट्टर हिंदुवादी छवि के व्यक्ति है। विश्व हिंदू परिषद तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपनी अथाह संपत्तिया दान में दिया है। हमेशा से वे संघ के एक सक्रिय कार्यकर्ता रहे है। उत्तर प्रदेश मे सर्वप्रथम प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाने का श्रेय राजा उदय प्रताप सिंह को प्राप्त है। बतौर पर्यावरणविद इन्होंने प्रकृति नामक संस्था की स्थापना की है, जिसका मूल उद्देश्य प्रकृति एंव पर्यावरण को संरक्षित तथा प्रदुषण मुक्त करना है। उदय सिंह कई विद्यालयों के संस्थापक, संरक्षक हैं, उदाहरण के तौर पर भदरी स्थित बजरंग इंटर कालेज, डेरवा स्थित भद्रेश्वर इंटर कालेज आदि।
इंदिरा गाँधी से विवाद
स्वतंत्रता पूर्व नेहरू गाँधी परिवार और भदरी परिवार के अच्छे ताल्लुकात थे। राजा राय साहब बजरंग बतौर स्वतंत्रता सेनानी, पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ कई बार दिखे। राजा बजरंग की पत्नी रानी गिरिजा देवी इंदिरा गाँधी से काफ़ी नजदीक थी। जब उदय सिंह भदरी के प्रमुख हुए, नेहरू गाँधी परिवार से इनके ताल्लुकात खराब होते गए। इंदिरा गाँधी के शासन मे राजा उदय प्रताप सिंह ने अपनी रियासत भदरी को भारत का स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी मजबूरन कुंड़ा में सैन्य दल भेजा गया।
कारावास
वर्ष 2002 में, कुमारी मायावती ने एक राजनैतिक षडयंत्र के तहत आतंकवाद निरोधक कानून का दुरूपयोग करते हुए उदय सिंह के बेटे विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया को के साथ साथ 70 वर्षीय उदय प्रताप सिंह व भतीजे अक्षय प्रताप सिंह को जेल भेजवाया। हालाकि बाद में इनके भतीजे अक्षय को जमानत मिल गई, लेकिन उदय प्रताप और राजा भैया को जमानत नही मिली। इस दौरान इन्हें लगभग एक वर्ष जेल में रहना पड़ा। लोग इन्हें बाबा साहेब, राजा साहेब, महाराज आदि आदरसूचक शब्दों से संबोधित करते है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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