प्रताप सिंह कैरों: Difference between revisions

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[[चित्र:Pratapsingh-kairon.jpg|thumb|प्रताप सिंह कैरों]]
'''प्रताप सिंह कैरों''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Partap Singh Kairon'' जन्म: [[1 अक्टूबर]] [[1901]] - मृत्य: [[6 फ़रवरी]] [[1965]]) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, [[पंजाब]] के भूतपूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रमुख नेता थे। उस समय 'पंजाब' के अन्तर्गत [[हरियाणा]] और [[हिमाचल प्रदेश]] भी थे।
'''प्रताप सिंह कैरों''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Partap Singh Kairon'' जन्म: [[1 अक्टूबर]] [[1901]] - मृत्य: [[6 फ़रवरी]] [[1965]]) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, [[पंजाब]] के भूतपूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रमुख नेता थे। उस समय 'पंजाब' के अन्तर्गत [[हरियाणा]] और [[हिमाचल प्रदेश]] भी थे।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==

Revision as of 14:15, 20 September 2013

thumb|प्रताप सिंह कैरों प्रताप सिंह कैरों (अंग्रेज़ी: Partap Singh Kairon जन्म: 1 अक्टूबर 1901 - मृत्य: 6 फ़रवरी 1965) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रमुख नेता थे। उस समय 'पंजाब' के अन्तर्गत हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी थे।

जीवन परिचय

प्रताप सिंह का जन्म 1 अक्टूबर 1901 को अमृतसर ज़िले के 'कैरों' नामक ग्रामक ग्राम में हुआ था। खालसा कालेज से बी.ए. कर अमरीका गए और वहाँ के मिशिगन विश्वविद्यालय से एम.ए. किया; और वहीं वे भारत की राजनीति की ओर अग्रसर हुए। भारतीय स्वतंत्रता के लिये अमरीका में 'ग़दर पार्टी' के नाम से जो संस्था स्थापित हुई थी, उसके कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। भारत वापस आने पर 1926 ई. में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और तब से स्वतंत्रता प्राप्त होने तक कांग्रेस के आंदोलनों में निरंतर भाग लेते रहे और जेल गए।

पंजाब के मुख्यमंत्री

भारत के स्वाधीन होने के पश्चात विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और पंजाब के मुख्यमंत्री बने। जिन दिनों वे मुख्यमंत्री थे उन दिनों पंजाब की राजनीतिक स्थिति अत्यंत विस्फोटक थी। उन दिनों मास्टर तारासिंह के नेतृत्व में स्वतंत्र पंजाब का आंदोलन जोरों से चल रहा था। प्रांत में एक प्रकार की अराजकता फैली हुई थी। कैरों ने अपने सुदृढ़ व्यक्तित्व और राजनीतिक दूरदर्शिता से आंदोलन का सामना किया और उनकी कूटनीति आंदोलन के मुख्य स्तंभ मास्टर तारा सिंह और संत फतह सिंह में फूट उत्पन्न करने में सफल हुई तथा आंदोलन छिन्न भिन्न हो गया। वे एक स्थिर और प्रभावशाली शासक के रूप में उभरकर सामने आए। उन्होंने अपने प्रदेश की आर्थिक अवस्था को विकसित करने का सर्वागीण प्रयास किया। उद्योग और कृषि दोनों ही क्षेत्रों में पंजाब में अभूतपूर्व उन्नति की। 1962 ई. में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो कैरों ने अपने प्रदेश से जन और धन से जैसी सहायता की वह अपने आप में एक इतिहास है।

विशेष योगदान

1929 में शिरोमणि अकाली दल में सम्मिलित होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया। कैरों ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया और 1932 में पाँच वर्ष के लिए जेल में बंद कर दिये गये। भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रताप सिंह कैरों ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में विकास के अनेक कार्य पूरे किये। इनमें मुख्य भांखरा-नंगल बांध, कुरुक्षेत्र और पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी, लुधियाना का कृषि विश्वविद्यालय, हिसार का पशु चिकित्सा कॉलेज प्रमुख थे। इन्होंने पंजाब के औद्योगीकरण के लिए भी कई कदम उठाये।[1]

निधन

अपने कार्यकाल के दौरान ही उन पर व्यक्तिगत पक्षपात और भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें 1964 ई. में मुख्यमंत्री पद का परित्याग करना पड़ा। उसके कुछ ही दिनों बाद 1965 के आरंभ में एक दिन जब वह मोटर कार द्वारा दिल्ली से वापस लौट रहे थे, मार्ग में कुछ लोगों ने उन्हें गोली मार दी और तत्काल उनकी मृत्यु हो गई।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- भारतीय चरित कोश | लेखक- लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' | पृष्ठ संख्या- 486

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

  1. REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी