पहेली 19 अक्तूबर 2013: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) m ("पहेली 19 अक्तूबर 2013" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि))) |
No edit summary |
||
Line 3: | Line 3: | ||
| [[चित्र:Paheli-logo.png|right|120px]] | | [[चित्र:Paheli-logo.png|right|120px]] | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {[[रावण]] किस [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] को बजाने में निपुण था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[सितार]] | ||
-[[ | -[[सारंगी]] | ||
+[[ | +[[वीणा]] | ||
-[[ | -[[बाँसुरी]] | ||
||[[चित्र: | ||[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|right|120px|रामलीला में रावण]]'रावण' [[रामायण]] का एक विशेष पात्र है। वह स्वर्ण नगरी [[लंका]] का राजा था। [[रावण]] अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिस कारण उसका एक अन्य नाम 'दशानन' अर्थात 'दस मुख वाला' भी था। किसी भी कृति के लिये अच्छे पात्रों के साथ ही साथ बुरे पात्रों का होना अति आवश्यक है। किन्तु रावण में अवगुण की अपेक्षा गुण अधिक थे। जीतने वाला हमेशा अपने को उत्तम लिखता है, अतः [[रावण]] को बुरा कहा गया है। रावण को चारों [[वेद|वेदों]] का ज्ञाता कहा गया है। [[संगीत]] के क्षेत्र में भी रावण की विद्वता अपने समय में अद्वितीय मानी जाती थी। [[वीणा]] बजाने में रावण सिद्धहस्त था। उसने एक [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] भी बनाया था, जो आज के 'बेला' या '[[वायलिन]]' का ही मूल और प्रारम्भिक रूप है। इस वाद्य को '[[रावणहत्था]]' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रावण]] | ||
</quiz> | </quiz> | ||
{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 18 अक्तूबर 2013]] |अगली=[[पहेली 20 अक्तूबर 2013]]}} | {{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 18 अक्तूबर 2013]] |अगली=[[पहेली 20 अक्तूबर 2013]]}} |