हावड़ा ब्रिज: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 13: | Line 13: | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
इसके पहले हुगली नदी पर तैरता पुल था। पर नदी में पानी बढ़ जाने पर इस पुल पर जाम लग जाता था। 1933 में इसकी जगह बड़ा ब्रिज बनाने का निर्णय हुआ। 1937 से नया पुल बनना शुरू हुआ। इस ब्रिज को बनाने का काम जिस ब्रिटिश कंपनी को सौंपा गया उससे यह जरूर कहा गया था कि वह भारत में बने स्टील का इस्तेमाल करेगा। इस ब्रिज में ज्यादातर भारत का ही स्टील लगा है। | इसके पहले हुगली नदी पर तैरता पुल था। पर नदी में पानी बढ़ जाने पर इस पुल पर जाम लग जाता था। 1933 में इसकी जगह बड़ा ब्रिज बनाने का निर्णय हुआ। 1937 से नया पुल बनना शुरू हुआ। इस ब्रिज को बनाने का काम जिस ब्रिटिश कंपनी को सौंपा गया उससे यह जरूर कहा गया था कि वह भारत में बने स्टील का इस्तेमाल करेगा। इस ब्रिज में ज्यादातर भारत का ही स्टील लगा है। | ||
__NOTOC__ | |||
==सम्बंधित लिंक== | ==सम्बंधित लिंक== | ||
{{पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल}} | {{पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल}} | ||
[[Category:पश्चिम_बंगाल]][[Category:पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल]] [[Category:कोलकाता]] [[Category:कोलकाता के पर्यटन स्थल]] [[Category:पर्यटन कोश]]__INDEX__ | [[Category:पश्चिम_बंगाल]][[Category:पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल]] [[Category:कोलकाता]] [[Category:कोलकाता के पर्यटन स्थल]] [[Category:पर्यटन कोश]]__INDEX__ |
Revision as of 12:40, 8 July 2010
[[चित्र:Howrah-Bridge-Kolkata-2.jpg|thumb|220px|हावड़ा पुल, कोलकाता
Howrah Bridge, Kolkata]]
- पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता का यह एक पर्यटन स्थल है।
- यह पुल आज कोलकाता की पहचान बन चुका है।
- इसे ही रविंद्रा सेतु भी कहा जाता है।
- यह झूलता हुआ पुल है।
- इस पुल पर हमेशा गाड़ियों का आवागमन होता रहता है।
- इस पुल पर आप सुबह के सैर का भी मजा ले सकते हैं।
- यह अपने तरह का छठवाँ सबसे बड़ा पुल है।
स्थापना
हावड़ा ब्रिज कोलकाता (पश्चिम बंगाल ) में स्थित है. इसका निर्माण 1939 में शुरू हुआ और यह 1943 में जनता के लिए खोला गया था। हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने वाला हावड़ा ब्रिज जब बनकर तैयार हुआ था तो इसका नाम था न्यू हावड़ा ब्रिज। 14 जून 1965 को गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर इसका नाम रवींद्र सेतू कर दिया गया पर प्रचलित नाम फिर भी हावड़ा ब्रिज ही रहा।
राशि
अनुमान यह है कि इस बड़े पुल के निर्माण की राशि 333 करोड़ रुपए थी। यह दुनिया में ब्रैकट पुल से एक है। यह इस्पात की 26,500 टन से बनाया गया है। 60,000 वाहनों और पैदल चलने वालों को रोज ढोता है।
इतिहास
इसके पहले हुगली नदी पर तैरता पुल था। पर नदी में पानी बढ़ जाने पर इस पुल पर जाम लग जाता था। 1933 में इसकी जगह बड़ा ब्रिज बनाने का निर्णय हुआ। 1937 से नया पुल बनना शुरू हुआ। इस ब्रिज को बनाने का काम जिस ब्रिटिश कंपनी को सौंपा गया उससे यह जरूर कहा गया था कि वह भारत में बने स्टील का इस्तेमाल करेगा। इस ब्रिज में ज्यादातर भारत का ही स्टील लगा है।