शील विमर्श: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('==शील-विमर्श== जिन आचरणों के पालन से चित्त में शान्ति क...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
जिन आचरणों के पालन से चित्त में शान्ति का अनुभव होता है, ऐसे सदाचरणों को सदाचार (शील) कहते हैं सामान्यतया आचरणमात्र को शील कहते हैं। चाहे वे अच्छे हों, चाहे बुरे, फिर भी रूढ़ि से सदाचार ही शील कहे जाते हैं किन्तु केवल सदाचार का पालन करना ही शील नहीं है, अपितु बुरे आचरण भी 'शील' (दु:शील) हैं अच्छे और बुरे आचरण करने के मूल में जो उन आचरणों को करने को प्रेरणा देने वाली एक प्रकार की भीतरी शक्ति होती है, उसे चेतना कहते हैं। वह चेतना ही वस्तुत: 'शील' है। इसके अतिरिक्त चैतसिक 'शील' संवरशील और अव्यतिक्रम शील- ये तीन शील और होते हैं- | जिन आचरणों के पालन से चित्त में शान्ति का अनुभव होता है, ऐसे सदाचरणों को सदाचार (शील) कहते हैं सामान्यतया आचरणमात्र को शील कहते हैं। चाहे वे अच्छे हों, चाहे बुरे, फिर भी रूढ़ि से सदाचार ही शील कहे जाते हैं किन्तु केवल सदाचार का पालन करना ही शील नहीं है, अपितु बुरे आचरण भी 'शील' (दु:शील) हैं अच्छे और बुरे आचरण करने के मूल में जो उन आचरणों को करने को प्रेरणा देने वाली एक प्रकार की भीतरी शक्ति होती है, उसे चेतना कहते हैं। वह चेतना ही वस्तुत: 'शील' है। इसके अतिरिक्त चैतसिक 'शील' संवरशील और अव्यतिक्रम शील- ये तीन शील और होते हैं- | ||
*[[चेतना शील बौद्ध निकाय|चेतना शील]] | *[[चेतना शील बौद्ध निकाय|चेतना शील]] |
Revision as of 06:26, 15 July 2010
जिन आचरणों के पालन से चित्त में शान्ति का अनुभव होता है, ऐसे सदाचरणों को सदाचार (शील) कहते हैं सामान्यतया आचरणमात्र को शील कहते हैं। चाहे वे अच्छे हों, चाहे बुरे, फिर भी रूढ़ि से सदाचार ही शील कहे जाते हैं किन्तु केवल सदाचार का पालन करना ही शील नहीं है, अपितु बुरे आचरण भी 'शील' (दु:शील) हैं अच्छे और बुरे आचरण करने के मूल में जो उन आचरणों को करने को प्रेरणा देने वाली एक प्रकार की भीतरी शक्ति होती है, उसे चेतना कहते हैं। वह चेतना ही वस्तुत: 'शील' है। इसके अतिरिक्त चैतसिक 'शील' संवरशील और अव्यतिक्रम शील- ये तीन शील और होते हैं-
- चेतना शील
- चैतसिक शील
- संवर शील
- अव्यतिक्रम शील
- चारित्त शील
- वारित्त शील
- नित्य शील
- अष्टाङ्ग शील
- दश शील
- चातुपरिशुद्धि शील