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भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
ताऊ का इलाज

right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 22 दिसम्बर 2013

         "कछुआ भैया - कछुआ भैया, तेरे ताऊ की तबियत बहुत ख़राब है... अस्पताल से ख़बर आई है..."
"क्या...?" कछुए का मुँह खुला का खुला रह गया... 'मल्टीटास्किंग' की आदत के चलते कछुए ने अपने खुले मुँह में तुरंत शकरकंदी के एक बड़े से टुकड़े को रख लिया। शकरकंदी का टुकड़ा गरम था और मुँह की क्षमता से अधिक भी, इसलिए कुछ देर अजीब-अजीब तरह से फड़फड़ा-फड़फड़ा कर और हाथों की विभिन्न मुद्राओं के साथ कछुए ने जो कुछ कहा उसका सारांश यह निकला कि उसे तुरंत पास के गाँव में जाना होगा और यहाँ यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि मुझे भी कछुआ के साथ जाना था। ...पूरा पढ़ें

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