मंडी हिमाचल प्रदेश: Difference between revisions
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मंडी शहर, मध्य हिमाचल प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। मुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह नगर हिमाचल के तेजी से विकसित होते शहरों में एक है। मंडी शहर [[रावी नदी]] के ऊँचे कग़ार पर राज्य की राजधानी [[शिमला]] से पश्चिमोत्तर में स्थित है। | मंडी शहर, मध्य हिमाचल प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। मुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह नगर हिमाचल के तेजी से विकसित होते शहरों में एक है। मंडी शहर [[रावी नदी]] के ऊँचे कग़ार पर राज्य की राजधानी [[शिमला]] से पश्चिमोत्तर में स्थित है। |
Revision as of 05:29, 23 July 2010
मंडी सुंदरनगर से काफ़ी नज़दीक है और यह शहर लगभग राज्य के बीचो-बीच बसा हुआ है। व्यास नदी के किनारे बसा हिमाचल प्रदेश का ऐतिहासिक नगर मंडी लंबे समय से व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। मंडी नाम संस्कृत शब्द मंडोइका से बना है जिसका अर्थ होता है खुला क्षेत्र। इसके आस-पास का इलाक़ा पर्वतीय है। जिससे होकर व्यास और सतलुज नदियाँ बहती हैं। किंवदन्ती के अनुसार मंडी मांडव्य ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध है।
स्थिति
मंडी शहर, मध्य हिमाचल प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। मुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह नगर हिमाचल के तेजी से विकसित होते शहरों में एक है। मंडी शहर रावी नदी के ऊँचे कग़ार पर राज्य की राजधानी शिमला से पश्चिमोत्तर में स्थित है।
यातायात और परिवहन
मंडी शहर सड़क मार्ग द्वारा शिमला और उत्तर व पश्चिम में स्थित शहरों से जुड़ा हुआ है।
कृषि और खनिज
मंडी शहर कृषि उत्पाद और इमारती लकड़ी का व्यापार केन्द्र है। इनकी उपजाऊ घाटियों में अनाज, चावल, मक्का और अन्य फ़सलों की खेती होती है।
उद्योग और व्यापार
हथकरघा बुनाई और हस्तशिल्प मंडी शहर के मुख्य उद्योग हैं। मंडी शहर तिब्बत (चीन) के साथ व्यापार के शुरुआती केन्द्र की भूमिका भी निभाता है। मंडी शहर बड़ी मात्रा में सेंधा नमक का खनन होता है।
जनसंख्या
मंडी शहर की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 26,858 है।
पर्यटन
मंडी में भूतनाथ महादेव का मन्दिर है। इनकी पूजा नगर के अधिष्ठातृ देव के रूप में होती है। कहा जाता है कि मंडी की नगरी को बसाने वाले राजा अजबरसेन ने इस मन्दिर में प्रतिष्ठापित मूर्ति को प्राप्त किया था। 1520 ई. में बना त्रिलोकनाथ का मन्दिर कला की दृष्टि से उत्कृष्ट स्मारक है। इसके स्तम्भों पर पुष्पों तथा पशु-पक्षियों का मूर्तिमय अंकन बड़े कौशल से किया गया है। मंडी से 2 मील पूर्व रवालसर नामक सरोवर है, जिसे हिन्दू, बौद्ध तथा सिक्ख धर्म पवित्र मानते हैं। कहा जाता है कि गुरु नानकदेव इस स्थान पर एक बार आए थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 685 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
- भारत ज्ञानकोश से पेज संख्या 248