मैसूर हिन्दी प्रचार परिषद, बेंगलूर: Difference between revisions

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* परिषद् द्वारा संचालित हिन्दी प्रवेश, हिन्दी उत्तमा और हिन्दी रत्न उच्च परीक्षाएँ हैं। इन तीन परीक्षाओं को क्रमश: हिन्दी स्तर में मैट्रिक, इंटर और बी.ए. के समकक्ष मान्यता केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्राप्त है।  
* परिषद् द्वारा संचालित हिन्दी प्रवेश, हिन्दी उत्तमा और हिन्दी रत्न उच्च परीक्षाएँ हैं। इन तीन परीक्षाओं को क्रमश: हिन्दी स्तर में मैट्रिक, इंटर और बी.ए. के समकक्ष मान्यता केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्राप्त है।  
* परिषद् का अपना एक बृहद पुस्तकालय है। इसकी अमूल्य साहित्यिक पुस्तकों का उपयोग स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र कर रहे है।  
* परिषद् का अपना एक बृहद पुस्तकालय है। इसकी अमूल्य साहित्यिक पुस्तकों का उपयोग स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र कर रहे है।  
* ‘मैसूर हिन्दी प्रचार परिषद् पत्रिका’ के नाम से परिषद् एक मासिक [[पत्रिका]] भी प्रकाशित करती है।  
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Revision as of 13:47, 25 March 2014

मैसूर हिन्दी प्रचार परिषद, बेंगलूर में स्थित एक हिंदी सेवी संस्था है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश को स्वावलंबी बनाने और देश में भावात्मक एकता लाने के सदुद्देश्य से जिन रचनात्मक कार्यों का सूत्रपात किया था उनमें से राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार भी एक है।

स्थापना

राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार के पुनीत कार्य को संपन्न करने के महान उद्देश्य को लेकर 1943 में मैसूर हिन्दी प्रचार परिषद् की स्थापना हुई।

उद्देश्य

अहिन्दी भाषियों में हिन्दी का प्रचार करना, हिन्दी साहित्य के प्रति रूचि जागृत करना और प्रांतीय भाषाओं से हिन्दी का परस्पर आदान-प्रदान एवं स्नेह बढ़ाना – संस्था के उद्देश्य हैं।

विशेषताएँ

  • परिषद् द्वारा संचालित हिन्दी प्रवेश, हिन्दी उत्तमा और हिन्दी रत्न उच्च परीक्षाएँ हैं। इन तीन परीक्षाओं को क्रमश: हिन्दी स्तर में मैट्रिक, इंटर और बी.ए. के समकक्ष मान्यता केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्राप्त है।
  • परिषद् का अपना एक बृहद पुस्तकालय है। इसकी अमूल्य साहित्यिक पुस्तकों का उपयोग स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र कर रहे है।
  • ‘मैसूर हिन्दी प्रचार परिषद् पत्रिका’ के नाम से परिषद् एक मासिक पत्रिका भी प्रकाशित करती है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लोंढे, शंकरराव। हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 25 मार्च, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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