चने जोर गरम बाबू: Difference between revisions

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Revision as of 12:46, 9 February 2015

चने जोर गरम बाबू
विवरण चने जोर गरम बाबू एक प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत है।
रचनाकार कवि प्रदीप
फ़िल्म बंधन (1940)
संगीतकार सरस्वती देवी
गायक/गायिका अरुण कुमार
अन्य जानकारी कवि प्रदीप का मूल नाम 'रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी' था। प्रदीप हिंदी साहित्य जगत और हिंदी फ़िल्म जगत के एक अति सुदृढ़ रचनाकार रहे। कवि प्रदीप 'ऐ मेरे वतन के लोगों' सरीखे देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं।

चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम
मेरे चने हैं चटपटे भैया और बड़े लासानी
और कैसे चाव से खाते देखो और रमजानी
और चुन्‍नू मुन्‍नू की जबान भी हो गयी पानी पानी
और कहें कबीर सुनो भई साधो सुनो गुरू की बानी ।।

पढ़ें मदरसे काजी बन तो चंद दिनों का ठाट
और पढ़ लिख कर सब चल दोगे तुम अपनी अपनी बाट
फिर कोई तुममें अफसर होगा कोई गवरनर लाट
तब मैं आऊंगा दफ्तर घूमने लिये चने की चाट
चने जोर गरम ।।

मेरा चना बना है आला
इसमें डाला गरम मसाला
चखते जाना जी तुम लाला
कहता हूं मैं दिल्‍ली वाला
इसका स्‍वाद है बड़ा निराला ।।

आई चने की बहार
खाते जाना जी सरकार
मेरे चने जायकेदार ।
अगर तुमको ना होय एतबार
मैं कहता हूं ललकार ।।

देख लो मेरा ये दरबार
जहां पर खड़े सिलसिलेवार
रियासत भर के सरदार
एक से एक सभी हुसियार
ये देखो मेरे सूबेदार
ये देखो मेरे तहसीलदार
ये हैं मेरे थानेदार
और ये बड़े सिपहसालार
वानर सेना के सरदार
चने जोर गरम बाबू
मैं लाया मजेदार चने जोर गरम ।।


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