बद्र की लड़ाई: Difference between revisions

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मक्का से अपने प्रव्रजन सन् 622 के बाद, [[मदीना]] में मुसलमान आर्थिक उत्तरजीविका के लिए मक्का के क़ाफ़िलों पर लगातार हमलों पर निर्भर थे। जब उमय्या वंश के प्रमुख अबू सूफ़ियान की रक्षा में एक विशेष धनी क़ाफ़िले की सूचना मुहम्मद तक पहुँची, तब लगभग 300 मुसलमानों के एक हमलावर दल का गठन किया गया, जिसकी अगुआई स्वयं मुहम्मद को करनी थी।  
मक्का से अपने प्रव्रजन सन् 622 के बाद, [[मदीना]] में मुसलमान आर्थिक उत्तरजीविका के लिए मक्का के क़ाफ़िलों पर लगातार हमलों पर निर्भर थे। जब उमय्या वंश के प्रमुख अबू सूफ़ियान की रक्षा में एक विशेष धनी क़ाफ़िले की सूचना मुहम्मद तक पहुँची, तब लगभग 300 मुसलमानों के एक हमलावर दल का गठन किया गया, जिसकी अगुआई स्वयं मुहम्मद को करनी थी।  
==मुसलमानों की जीत==
==मुसलमानों की जीत==
कारवां के मार्ग में मदीना के निकट मार्च 624 में युद्ध के लिए उकसाया। मक्का की फ़ौज की अधिक संख्या (लगभग 1,000 आदमी) के बावजूद, मुसलमानों ने जीत हासिल की और कई प्रमुख मक्कावासी मारे गए। बद्र की सफलता को [[कुरान]] में नए धर्म की दैवीय स्वीकृति के रूप में दर्ज किया गया :''वह तुम नहीं थे, जिसने उनका वध किया, वह ख़ुदा थे''…इसलिए कि वह अनुयायियों को स्वयं द्वारा प्रस्तुत एक कृपालु परीक्षण से परखना चाहते थे । ब्रद में लड़ने वाले मुसलमान '''बद्रियूं''' कहलाए और पैग़ंबर के साथियों के एक समूह में गिने जाते हैं।  
कारवां के मार्ग में मदीना के निकट मार्च 624 में युद्ध के लिए उकसाया। मक्का की फ़ौज की अधिक संख्या (लगभग 1,000 आदमी) के बावजूद, मुसलमानों ने जीत हासिल की और कई प्रमुख मक्कावासी मारे गए। बद्र की सफलता को [[कुरान]] में नए धर्म की दैवीय स्वीकृति के रूप में दर्ज किया गया :<blockquote>'''वह तुम नहीं थे, जिसने उनका वध किया, वह ख़ुदा थे'''…</blockquote>इसलिए कि वह अनुयायियों को स्वयं द्वारा प्रस्तुत एक कृपालु परीक्षण से परखना चाहते थे । ब्रद में लड़ने वाले मुसलमान '''बद्रियूं''' कहलाए और पैग़ंबर के साथियों के एक समूह में गिने जाते हैं।  


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Revision as of 13:32, 20 August 2010

बद्र की लड़ाई सन् 624 ई॰ में पैग़ंबर मुहम्मद की पहली सैन्य विजय थी। मदीना में मुसलमानों की राजनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करने और अरब प्रायद्वीप में इस्लाम को एक सक्षम शक्ति के रूप में स्थापित करने के साथ ही इस युद्ध ने मक्का की प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुँचाई।
मक्का से अपने प्रव्रजन सन् 622 के बाद, मदीना में मुसलमान आर्थिक उत्तरजीविका के लिए मक्का के क़ाफ़िलों पर लगातार हमलों पर निर्भर थे। जब उमय्या वंश के प्रमुख अबू सूफ़ियान की रक्षा में एक विशेष धनी क़ाफ़िले की सूचना मुहम्मद तक पहुँची, तब लगभग 300 मुसलमानों के एक हमलावर दल का गठन किया गया, जिसकी अगुआई स्वयं मुहम्मद को करनी थी।

मुसलमानों की जीत

कारवां के मार्ग में मदीना के निकट मार्च 624 में युद्ध के लिए उकसाया। मक्का की फ़ौज की अधिक संख्या (लगभग 1,000 आदमी) के बावजूद, मुसलमानों ने जीत हासिल की और कई प्रमुख मक्कावासी मारे गए। बद्र की सफलता को कुरान में नए धर्म की दैवीय स्वीकृति के रूप में दर्ज किया गया :

वह तुम नहीं थे, जिसने उनका वध किया, वह ख़ुदा थे

इसलिए कि वह अनुयायियों को स्वयं द्वारा प्रस्तुत एक कृपालु परीक्षण से परखना चाहते थे । ब्रद में लड़ने वाले मुसलमान बद्रियूं कहलाए और पैग़ंबर के साथियों के एक समूह में गिने जाते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ