करत निपुनई गुन बिना -रहीम: Difference between revisions

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बिना ही निपुणता और बिना ही किसी गुण के जो व्यक्ति बुद्धिमानों के आगे डींग मारता फिरता है। वह मानो वृक्ष पर चढ़कर घोषणा करता है निरी अपनी मूर्खता की।
बिना ही निपुणता और बिना ही किसी गुण के जो व्यक्ति बुद्धिमानों के आगे डींग मारता फिरता है। वह मानो वृक्ष पर चढ़कर घोषणा करता है निरी अपनी मूर्खता की।


{{लेख क्रम3| पिछला=कमला थिर न रहिम कहि -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=कहि रहिम संपति सगे -रहीम}}
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Latest revision as of 11:19, 13 February 2016

करत निपुनई गुन बिना, ‘रहिमन’ निपुन हजूर।
मानहुं टेरत बिटप चढि, मोहि समान को कूर॥

अर्थ

बिना ही निपुणता और बिना ही किसी गुण के जो व्यक्ति बुद्धिमानों के आगे डींग मारता फिरता है। वह मानो वृक्ष पर चढ़कर घोषणा करता है निरी अपनी मूर्खता की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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