फ़िरोज शाह बहमनी: Difference between revisions
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फ़िरोज शाह बहमनी, [[बहमनी वंश]] का आठवाँ सुल्तान था। इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार उसका शासनकाल बहमनी वंश का सबसे अधिक गौरवशाली काल था। फ़िरोजशाह ने लगभग हर वर्ष पड़ोसी हिन्दू राज्य [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] पर हमले किये। 1406 | फ़िरोज शाह बहमनी, [[बहमनी वंश]] का आठवाँ सुल्तान था। इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार उसका शासनकाल बहमनी वंश का सबसे अधिक गौरवशाली काल था। फ़िरोजशाह ने लगभग हर वर्ष पड़ोसी हिन्दू राज्य [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] पर हमले किये। 1406 ई. में तो वह वस्तुत: नगर में घुस गया और उसने विजयनगर के राजा देवराय प्रथम (1406-12) को संधि करने के बदले में अपनी लड़की देने को मजबूर किया। किन्तु 1420 ई. में सुल्तान को [[कृष्णा नदी]] के उत्तर पंगल के युद्ध में हिन्दुओं से करारी मात खानी पड़ी और वह बिल्कुल टूटा हुआ घर लौटा। फ़िरोज ने अपने जीवन के शेष दो वर्ष इबादत में बिताये और प्रशासन को तुर्की ग़ुलामों के हाथों में छोड़ दिया। फ़िरोज इमारतों का शौक़ीन था। उसने राजधानी [[गुलबर्गा]] को अनेक भव्य इमारतों से अंलकृत किया जिनमें प्रमुख एक मस्जिद है जिसका निर्माण उसने स्पेन की कुर्तुबा (कारडोवा) मस्जिद की शैली पर कराया था। उसने राजधानी के दक्षिण में [[भीमा नदी]] के तट पर [[फ़िरोज़ाबाद]] नगर में विशाल प्राचीरयुक्त राज-प्रासाद भी बनवाया। | ||
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Revision as of 09:12, 25 August 2010
फ़िरोज शाह बहमनी, बहमनी वंश का आठवाँ सुल्तान था। इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार उसका शासनकाल बहमनी वंश का सबसे अधिक गौरवशाली काल था। फ़िरोजशाह ने लगभग हर वर्ष पड़ोसी हिन्दू राज्य विजयनगर पर हमले किये। 1406 ई. में तो वह वस्तुत: नगर में घुस गया और उसने विजयनगर के राजा देवराय प्रथम (1406-12) को संधि करने के बदले में अपनी लड़की देने को मजबूर किया। किन्तु 1420 ई. में सुल्तान को कृष्णा नदी के उत्तर पंगल के युद्ध में हिन्दुओं से करारी मात खानी पड़ी और वह बिल्कुल टूटा हुआ घर लौटा। फ़िरोज ने अपने जीवन के शेष दो वर्ष इबादत में बिताये और प्रशासन को तुर्की ग़ुलामों के हाथों में छोड़ दिया। फ़िरोज इमारतों का शौक़ीन था। उसने राजधानी गुलबर्गा को अनेक भव्य इमारतों से अंलकृत किया जिनमें प्रमुख एक मस्जिद है जिसका निर्माण उसने स्पेन की कुर्तुबा (कारडोवा) मस्जिद की शैली पर कराया था। उसने राजधानी के दक्षिण में भीमा नदी के तट पर फ़िरोज़ाबाद नगर में विशाल प्राचीरयुक्त राज-प्रासाद भी बनवाया।