आलू: Difference between revisions
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Revision as of 06:15, 27 August 2010
आलू भारत की सब्जी की एक महत्वपूर्ण फसल है। आलू का वानस्पतिक नाम सोलेनम टयूबरोसम है और अंग्रेज़ी भाषा में पोटेटो कहा जाता है। अधिक उपज देने वाली किस्में की समय से बुआई, संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, समुचित रोग एवं कीट नियन्त्रण, उचित जल प्रबन्ध द्वारा इसकी उपज बढाई जा सकती है।[1] भारत में आलू की फसल विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में लगाई जाती है, जिससे वर्ष भर आलू प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है आलू की फसल की विभिन्न अवस्थाओं में 80 से अधिक प्रकार के कीट प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े है, लेकिन फसल को आर्थिक रूप से हानि पहुँचाने वाले कीटों की संख्या 10 से 12 है।[2] आलू को खेती ठंडे मौसम में जहाँ पाले का प्रभाव नहीं होता है, सफलतापूर्वक की जा सकती है आलू के कंदों का निर्माण 20 डिग्री सेल्सीयस तापक्रम पर सबसे अधिक होता है।[3]
रंग
आलू का रंग अपर से भूरा व कालापन लिये और यह अन्दर से सफेद होता है।
उत्पत्ति
आलू का उत्पत्ति स्थल दक्षिणी अमेरिका है, जहाँ से यह यूरोप तथा अन्य देशों में फैला।[4] आलू के उत्पादन में चीन और रूस के बाद भारत तीसरे स्थान पर है।
आलू के पोषक तत्व
आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन बी तथा फॉस्फोरस बहुतायत में होता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अल्पपित्त को रोकता है।
आलू का विकास
भारत में आलू विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। तमिलनाडु एवं केरल को छोडकर आलू सारे देश में उगाया जाता है। भारत में आलू की औसत उपज 152 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है जो विश्व औसत से काफी कम है। अन्य फसलों की तरह आलू की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों के रोग रहित बीजो की उपलब्धता बहुत आवश्यक है। इसके अलावा उर्वरकों का उपयोग, सिंचाई की व्यवस्था, तथा रोग नियंत्रण के लिए दवा के प्रयोग का भी उपज पर गहरा प्रभाव पडता है।[5]
आलू के फायदे
- आलू के छिलके ज्यादातर फेंक दिए जाते हैं, जबकि छिलके सहित आलू खाने से ज्यादा शक्ति मिलती है।[6]
- आलू को पीस कर त्वचा पर मले। रंग गोरा हो जाएगा।
- सर्दी में ठण्डी हवाओं से हाथों की त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ने पर कच्चे आलू को पीस कर हाथों पर मलें।[7]
- आलू खाते रहने से रक्तवाहिनियाँबड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पाती।
- कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगायैं।
- पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ आसानी से निकल जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आलू (हिन्दी) ग्रामीण सूचना एवंम ज्ञान केन्द्र। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।
- ↑ आलू की फसल में कीट प्रबंध (हिन्दी) नई दिशाएँ। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।
- ↑ आलू (हिन्दी) डील। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।
- ↑ आलू (हिन्दी) उत्तरा कृषि प्रभा। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।
- ↑ आलू की खेती की उन्नत विधि (हिन्दी) (एच टी एम एल) कृषिसेवा। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।
- ↑ आलू के घरेलू उपचार (हिन्दी) (एच टी एम एल) बिच्छु डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।
- ↑ आलू के असरकारी नुस्खे (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।