मौलाना मोहम्मद अब्दुल बरी: Difference between revisions

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'''मौलाना मोहम्मद अब्दुल बरी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Maulana Muhammad Abdul Bari'', जन्म: [[1878]] [[लखनऊ]]) [[उत्तर प्रदेश]] के प्रमुख क्रान्तिकारियों में से एक क्रान्तिकारी थे। उन्हें पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था से सख्त नफरत थी। उन्होंने एक रूढ़िवादी मुस्लमान के रूप में अपना जीवन जिया। उनका मानना था कि [[भारत]] में मुस्लिम सम्प्रदाय की बदहाली का कारण ब्रिटिश प्रभाव था। उन्होंने ज़माते-उमेला-इहिन्द की स्थापना की। उन्होंने खिलाफत आन्दोलन में अहम भूमिका निभाई।<ref name="Kranti">{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/krantikari%201857-1947.php/|title= उत्तरप्रदेश के क्रांतिकारी|accessmonthday= 14फरवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=kranti1857|language=हिन्दी}}</ref>
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*पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था से मौलाना मोहम्मद अब्दुल बरी को सख्त नफ़रत थी।
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*मौलाना मोहम्मद अब्दुल बरी ने 'ज़माते-उमेला-इहिन्द' की स्थापना की।
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*[http://www.kranti1857.org/krantikari%201857-1947.php/ उत्तर प्रदेश के क्रांतिकारी]
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Latest revision as of 13:42, 14 February 2017

मौलाना मोहम्मद अब्दुल बरी (अंग्रेज़ी: Maulana Muhammad Abdul Bari, जन्म: 1878, लखनऊ, उत्तर प्रदेश) भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे।

  • पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था से मौलाना मोहम्मद अब्दुल बरी को सख्त नफ़रत थी।
  • एक रूढ़िवादी मुसलमान के रूप में उन्होंने अपना जीवन जिया।
  • उनका मानना था कि भारत में मुस्लिम सम्प्रदाय की बदहाली का कारण ब्रिटिश प्रभाव था।
  • मौलाना मोहम्मद अब्दुल बरी ने 'ज़माते-उमेला-इहिन्द' की स्थापना की।
  • भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध 'ख़िलाफ़त आन्दोलन' में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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