Difference between revisions of "कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ख"
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− | | | + | | 1- [[खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे]] |
− | 1- [[खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे]] | + | | अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना। |
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− | अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना। | ||
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|2- [[खोदा पहाड़ निकली चुहिया]]। | |2- [[खोदा पहाड़ निकली चुहिया]]। | ||
− | | | + | | अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना। |
− | अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना। | ||
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− | |3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर… | + | |3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर… खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥ |
− | खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥ | + | | अर्थ - किसान को खेत में ख़ूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फ़सल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है। |
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− | अर्थ - किसान को खेत में ख़ूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फ़सल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है। | ||
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|4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै। | |4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै। | ||
− | | | + | | अर्थ - कृषक बनिये के कर्ज़ से कभी नहीं निकल पाता है। |
− | अर्थ - कृषक बनिये के कर्ज़ से कभी नहीं निकल पाता है। | ||
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|5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत। | |5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत। | ||
− | | | + | | अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फ़सल अच्छी होती है।। |
− | अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फ़सल अच्छी होती है।। | ||
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− | |6- खनिके काटै घनै मोरावै। | + | |6- खनिके काटै घनै मोरावै। तव बरदा के दाम सुलावै।। |
− | तव बरदा के दाम सुलावै।। | + | | अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और ख़ूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है। |
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− | अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और ख़ूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है। | ||
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|7- खग जाने खग ही की भाषा।। | |7- खग जाने खग ही की भाषा।। | ||
− | | | + | | अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं। |
− | अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं। | ||
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|8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।। | |8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।। | ||
− | | | + | |अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता। |
− | अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता। | ||
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|9- ख़रबूज़े को देखकर ख़रबूज़ा रंग बदलता है। | |9- ख़रबूज़े को देखकर ख़रबूज़ा रंग बदलता है। | ||
− | | | + | |अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना। |
− | अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना। | ||
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|10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार। | |10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार। | ||
− | | | + | |अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है। |
− | अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है। | ||
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|11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता। | |11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता। | ||
− | | | + | |अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता। |
− | अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता। | ||
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|12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय। | |12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय। | ||
− | | | + | |अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते। |
− | अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते। | ||
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− | |13- ख़ाली बनिया क़यास करे, | + | |13- ख़ाली बनिया क़यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे। |
− | इस कोठी का धान उस कोठी में धरे। | + | | अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे-सीधे काम करता रहता है। |
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− | अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे | ||
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|14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं। | |14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं। | ||
− | | | + | | अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है। |
− | अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है। | ||
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|15- ख़ुदा गंजे को नाख़ून न दे। | |15- ख़ुदा गंजे को नाख़ून न दे। | ||
− | | | + | | अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है। |
− | अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है। | ||
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|16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। | |16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। | ||
− | | | + | | अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे। |
− | अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे। | ||
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|17- खुशामद से ही आमद है।। | |17- खुशामद से ही आमद है।। | ||
− | | | + | | अर्थ - खुशामद से ही धन आता है। |
− | अर्थ - खुशामद से ही धन आता है। | ||
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|18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे। | |18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे। | ||
− | | | + | | अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है। |
− | अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है। | ||
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|19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा। | |19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा। | ||
− | | | + | | अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को। |
− | अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को। | ||
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|20- खेती,खसम लेती। | |20- खेती,खसम लेती। | ||
− | | | + | | अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है। |
− | अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है। | ||
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|21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का। | |21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का। | ||
− | | | + | | अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का। |
− | अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का। | ||
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|22- खेत रहना। | |22- खेत रहना। | ||
− | | | + | | अर्थ - रणभूमि में मारा जाना। |
− | अर्थ - रणभूमि में मारा जाना। | ||
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|23- खेल खेलना। | |23- खेल खेलना। | ||
− | | | + | | अर्थ - परेशान करना। |
− | अर्थ - परेशान करना। | ||
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|24- खटाई में पड़ना। | |24- खटाई में पड़ना। | ||
− | | | + | |अर्थ - टल जाना। |
− | अर्थ - टल जाना। | ||
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|25- ख़्याली पुलाव पकाना। | |25- ख़्याली पुलाव पकाना। | ||
− | | | + | |अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना। |
− | अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना। | ||
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|26- ख़ाक छानना। | |26- ख़ाक छानना। | ||
− | | | + | |अर्थ - मारा-मारा फिरना। |
− | अर्थ - मारा-मारा फिरना। | ||
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|27- ख़ाक में मिलाना। | |27- ख़ाक में मिलाना। | ||
− | | | + | |अर्थ - नष्ट करना। |
− | अर्थ - नष्ट करना। | ||
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|28- खिचड़ी पकाना। | |28- खिचड़ी पकाना। | ||
− | | | + | |अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना। |
− | अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना। | ||
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|29- खुले हाथ। | |29- खुले हाथ। | ||
− | | | + | |अर्थ - उदार होना। |
− | अर्थ - उदार होना। | ||
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|30- खूँटे के बल कूदना। | |30- खूँटे के बल कूदना। | ||
− | | | + | |अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना। |
− | अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना। | ||
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|31- ख़ून का घूँट पीना। | |31- ख़ून का घूँट पीना। | ||
− | | | + | |अर्थ - ग़ुस्सा पचा जाना। |
− | अर्थ - ग़ुस्सा पचा जाना। | ||
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|32- ख़ून खुश्क होना। | |32- ख़ून खुश्क होना। | ||
− | | | + | |अर्थ - भयभीत होना। |
− | अर्थ - भयभीत होना। | ||
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|33- ख़ून खौलना / उबलना। | |33- ख़ून खौलना / उबलना। | ||
− | | | + | |अर्थ - जोश में आना। |
− | अर्थ - जोश में आना। | ||
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|34- ख़ून-पसीना एक करना। | |34- ख़ून-पसीना एक करना। | ||
− | | | + | |अर्थ - कड़ी मेहनत करना। |
− | अर्थ - कड़ी मेहनत करना। | ||
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Revision as of 08:12, 1 March 2017
kahavat lokokti muhavare varnamala kramanusar khojean
kahavat lokokti muhavare | arth |
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1- khisayani billi khanbha noche | arth - saphalata n milane par doosaroan ko dosh dena. |
2- khoda paha d nikali chuhiya. | arth - ummid se bahut kam phal milana. |
3- kheti kare khad se bhare, so man kothi mean le dhar… khad p de to hove kheti, nahian to rahe nadi ki reti॥ | arth - kisan ko khet mean khoob khad dalani chahie, jisase zyada fasal ghar mean aye. bina khad ke dharati sookhi nadi ke ret ki tarah rahati hai. |
4- kheti karai vanik ko dhavai, aisa doobai thah n pavai. | arth - krishak baniye ke karz se kabhi nahian nikal pata hai. |
5- khad p de to khet, nahian to koo da ret. | arth - khet mean khad dali jati hai to fasal achchhi hoti hai.. |
6- khanike katai ghanai moravai. tav barada ke dam sulavai.. | arth - eekh ko j d se khodakar katane aur khoob nicho dakar perane se hi labh hota hai, tabhi bailoan ka dam bhi vasool hota hai. |
7- khag jane khag hi ki bhasha.. | arth - apane varg ke log hi ek doosare ko samajh sakate haian. |
8- khyali pulav se pet nahian bharata.. | arth - keval sochane se kam poora nahian ho jata. |
9- kharabooze ko dekhakar kharabooza rang badalata hai. | arth - ek doosare ki dekha dekhi kam karana. |
10- khee khoje aur ko tako khub taiyar. | arth - jo doosaroan ka bura chahata hai usaka apana bura hota hai. |
11- khak dale chaand nahian chhipata. | arth - achchhe adami ki nianda karane se usaka kuchh nahian big data. |
12- khal odhae sianh ki, syar sianh nahian hoy. | arth - oopari roop badalane se gun avagun nahian badalate. |
13- khali baniya qayas kare, is kothi ka dhan us kothi mean dhare. | arth - bekam adami ulte-sidhe kam karata rahata hai. |
14- khuda ki lathi mean avaz nahian. | arth - koee nahian janata ki bhagavan kab , kaise aur kyoan dand deta hai. |
15- khuda ganje ko nakhoon n de. | arth - ochha aur besamajh adami adhikar pakar apani hi hani kar baithata hai. |
16- khuda deta hai to chhappar pha d kar deta hai. | arth - eeshvar jisako chahe malamal kar de. |
17- khushamad se hi amad hai.. | arth - khushamad se hi dhan ata hai. |
18- khooantean ke bal bachh da koode. | arth - kisi ki shah pakar hi adami ak d dikhata hai. |
19- khet khae gadaha, mar khae julaha. | arth - dosh kisi ka dand kisi aur ko. |
20- kheti,khasam leti. | arth - koee kam apane hath se karane par hi thik hota hai. |
21- khel –khila di ka, paisa madari ka. | arth - mehanat kisi ki labh kisi doosare ka. |
22- khet rahana. | arth - ranabhoomi mean mara jana. |
23- khel khelana. | arth - pareshan karana. |
24- khataee mean p dana. | arth - tal jana. |
25- khyali pulav pakana. | arth - vyarth ki kalpana karana. |
26- khak chhanana. | arth - mara-mara phirana. |
27- khak mean milana. | arth - nasht karana. |
28- khich di pakana. | arth - aandar hi aandar shadyantr rachana. |
29- khule hath. | arth - udar hona. |
30- khooante ke bal koodana. | arth - koee sahara milane par ak dana. |
31- khoon ka ghooant pina. | arth - gussa pacha jana. |
32- khoon khushk hona. | arth - bhayabhit hona. |
33- khoon khaulana / ubalana. | arth - josh mean ana. |
34- khoon-pasina ek karana. | arth - k di mehanat karana. |