मौलाना मज़हरुल हक़: Difference between revisions

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'''मौलाना मज़हरुल हक़''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Maulana Mazharul Haque'', जन्म- [[22 दिसंबर]], [[1866 ]], बाहपुरा गांव, [[पटना]]; मृत्यु- [[2 जनवरी]], [[1950]]) देश के समर्पित स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर शिक्षाविद, [[बिहार]] के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। ये [[असहयोग आंदोलन]] और [[खिलाफत आंदोलन]] के समर्थक थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=588|url=}}</ref>
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Revision as of 12:25, 23 March 2017

मौलाना मज़हरुल हक़
पूरा नाम मौलाना मज़हरुल हक़
जन्म 22 दिसंबर, 1866
जन्म भूमि बाहपुरा गांव, पटना
मृत्यु 2 जनवरी, 1950
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि स्वतंत्रता सेनानी
धर्म मुस्लिम
संबंधित लेख गांधी जी
अन्य जानकारी मौलाना मज़हरुल हक़ असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन में सम्मलित थे।
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मौलाना मज़हरुल हक़ (अंग्रेज़ी: Maulana Mazharul Haque, जन्म- 22 दिसंबर, 1866 , बाहपुरा गांव, पटना; मृत्यु- 2 जनवरी, 1950) देश के समर्पित स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर शिक्षाविद, बिहार के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। ये असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन के समर्थक थे।[1]

जन्म एंव शिक्षा

मज़हरुल हक़ का जन्म पटना ज़िले के बाहपुरा गांव में 22 दिसंबर, 1866 ई. को एक धनी जमींदार परिवार में हुआ था। आरंभिक शिक्षा के बाद कुछ समय तक पटना और लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने के बाद उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड चले गए। उन्हीं दिनों गांधी जी भी वहां छात्र थे। तभी से दोनों में परिचय हुआ जो जीवन-भर बना रहा। बैरिस्टर बनने के बाद मौलाना मज़हरुल हक़ ने छपरा में वकालत शुरू की।

सार्वजनिक कार्य

मौलाना मज़हरुल हक़ सार्वजनिक कार्यों में भी भाग लेने लगे। बिहार में प्रथम राजनैतिक सम्मेलन आयोजित करने वालों में ये प्रमुख थे। मौलाना मज़हरुल हक़ ने बिहार को अलग प्रदेश बनाने की मांग की।[2]पटना में विश्वविद्यालय की स्थापना पर जोर दिया। मुस्लिम लीग की स्थापना में सहयोग देने के साथ-साथ उन्होंने 1915 की मुंबई कांग्रेस के समय हुए लीग के अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थी। यहीं पर मौलाना मज़हरुल हक़ ने गांधी जी को पटना आने पर अपने घर पर टिकने का निमंत्रण दिया था। वे होमरूल लीग की बिहार शाखा के अध्यक्ष भी रहे।

स्वतंत्रता सेनानी

जब गांधी जी चंपारन के किसानों की दशा देखने के लिए बिहार गए तो पटना में मज़हरुल हक़ से ही उन्हें सर्वप्रथम आवश्यक सुविधा मिली थी। उन्होंने असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया।

स्थापना

'बिहार विद्यापीठ', 'बिहार नेशनल कॉलेज' और प्रसिद्ध 'सदाक़त आश्रम' की स्थापना का श्रेय मज़हरुल हक़ को है।

सम्पादन

मज़हरुल हक़ ने 'मदर लैण्ड' नामक साप्ताहिक पत्र निकाला था। उसके एक लेख को आपत्तिकनक मानकर जब सरकार ने उन पर जुर्माना किया तो हक़ ने जुर्माना न देकर जेल जाना स्वीकार किया था।

निधन

2 जनवरी, 1950 को मज़हरुल हक़ का देहांत हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 588 |
  2. उस समय बिहार बंगाल प्रदेश के अंतर्गत था

संबंधित लेख

  1. REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी