प्रयोग:दीपिका3: Difference between revisions
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+ग्रीन | +ग्रीन | ||
||ग्रीन एक आदर्शवादी विचारक है जो राज्य को एक सर्वोच्च नैतिक संस्था मानता है जबकि बेंथम, मिल, हॉब्स राज्य मानव-निर्मित यंत्र माना है, जिसका निर्माण व संचालन मानव ने अपने कल्याण के लिए किया है। | ||ग्रीन एक आदर्शवादी विचारक है जो राज्य को एक सर्वोच्च नैतिक संस्था मानता है जबकि बेंथम, मिल, हॉब्स राज्य मानव-निर्मित यंत्र माना है, जिसका निर्माण व संचालन मानव ने अपने कल्याण के लिए किया है। | ||
{"पचास वर्षों के मतभेद एवं एक दशक की अनिश्चितता के बाद दो पुराने शत्रु अब साझेदार होता हैं। यह किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-55 | {"पचास वर्षों के मतभेद एवं एक दशक की अनिश्चितता के बाद दो पुराने शत्रु अब साझेदार होता हैं। यह किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-55 | ||
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||उपरोक्त कथन जॉर्ज डब्ल्यू. बुश का है जिसे उन्होंने वर्ष [[2002]] में नाटो संगठन के रोम ([[इटली]]) सम्मेलन में कहा था। इस सम्मेलन में एक नाटो रूस संयुक्त परिषद का निर्माण किया गया जो रूस एवं नाटो के मध्य संयुक्त परियोजनाओं तथा मुद्दों को क्रियाविंत करने का प्रमुख राजनायिक उपकरण है। इस सम्मेलन में जॉर्ज बुश ने कहा था कि "पचास वर्षों के मतभेद एवं एक दशक की अनिश्चितता के बाद दी पुराने शत्रु अब साझेदार बन गए हैं।" ज्ञातव्य है कि नाटो एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना [[1949]] में हुई थी। | ||उपरोक्त कथन जॉर्ज डब्ल्यू. बुश का है जिसे उन्होंने वर्ष [[2002]] में नाटो संगठन के रोम ([[इटली]]) सम्मेलन में कहा था। इस सम्मेलन में एक नाटो रूस संयुक्त परिषद का निर्माण किया गया जो रूस एवं नाटो के मध्य संयुक्त परियोजनाओं तथा मुद्दों को क्रियाविंत करने का प्रमुख राजनायिक उपकरण है। इस सम्मेलन में जॉर्ज बुश ने कहा था कि "पचास वर्षों के मतभेद एवं एक दशक की अनिश्चितता के बाद दी पुराने शत्रु अब साझेदार बन गए हैं।" ज्ञातव्य है कि नाटो एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना [[1949]] में हुई थी। | ||
{स्वतंत्रता का अधिकार एक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-87,प्रश्न-22 | {स्वतंत्रता का अधिकार एक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-87,प्रश्न-22 | ||
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||स्वतंत्रता का अधिकार एक 'नागरिक अधिकार' (Civil Rights) है। स्वतंत्रता के अधिकार के बिना व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं समाज का विकास संभव नहीं है। लास्की के अनुसार, "स्वतंत्रता से तात्पर्य एवं समाज का विकास संभव नहीं है। लास्की के अनुसार, "स्वतंत्रता से तात्पर्य उस शक्ति से होता है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी इच्छानुसार अपने तरीके से बिना किसी बाहरी बंधन के अपनी जीवन का विकास कर सके।" नागरिक अधिकारों में स्वतंत्रता के साथ-साथ जीवन का अधिकार, राजनीतिक समानता का अधिकार, समाजिक समानता का अधिकार एवं आर्थिक समानता का अधिकार समाहित है। | ||स्वतंत्रता का अधिकार एक 'नागरिक अधिकार' (Civil Rights) है। स्वतंत्रता के अधिकार के बिना व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं समाज का विकास संभव नहीं है। लास्की के अनुसार, "स्वतंत्रता से तात्पर्य एवं समाज का विकास संभव नहीं है। लास्की के अनुसार, "स्वतंत्रता से तात्पर्य उस शक्ति से होता है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी इच्छानुसार अपने तरीके से बिना किसी बाहरी बंधन के अपनी जीवन का विकास कर सके।" नागरिक अधिकारों में स्वतंत्रता के साथ-साथ जीवन का अधिकार, राजनीतिक समानता का अधिकार, समाजिक समानता का अधिकार एवं आर्थिक समानता का अधिकार समाहित है। | ||
{बहुलवाद का समर्थन निम्न में से किस विचारक ने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-65 | {बहुलवाद का समर्थन निम्न में से किस विचारक ने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-65 | ||
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||संप्रभुता की अद्वैतवादिता की धारणा के विरुद्ध जिस विचारधारा का उदय हुआ, उसे हम 'राजनीतिक बहुलवाद' या 'बहुसमुदायवाद' कहते हैं। बहुलवाद का मत है कि सत्ता का केवल एक ही स्त्रोत नहीं है, यह विभिन्न क्षेत्रों में विभाजनीय है और इसे विभाजित किया जाना चाहिए। गियर्क, मैटलैण्ड, फिगिस, डिग्विट, क्रैब, जी.डी.एच. कोल तथा हेराल्ड लास्की बहुलवाद के प्रमुख विचारक हैं। | ||संप्रभुता की अद्वैतवादिता की धारणा के विरुद्ध जिस विचारधारा का उदय हुआ, उसे हम 'राजनीतिक बहुलवाद' या 'बहुसमुदायवाद' कहते हैं। बहुलवाद का मत है कि सत्ता का केवल एक ही स्त्रोत नहीं है, यह विभिन्न क्षेत्रों में विभाजनीय है और इसे विभाजित किया जाना चाहिए। गियर्क, मैटलैण्ड, फिगिस, डिग्विट, क्रैब, जी.डी.एच. कोल तथा हेराल्ड लास्की बहुलवाद के प्रमुख विचारक हैं। | ||
{[[भारत]] के [[उपराष्ट्रपति]] का कार्यकाल कितने वर्ष का है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-52 | {[[भारत]] के [[उपराष्ट्रपति]] का कार्यकाल कितने वर्ष का है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-52 | ||
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(i)उस पार्टी को लोक सभा की कुल सदस्य संख्या की कम से कम 2 प्रतिशत सीटें प्राप्त हों तथा ये सदस्य कम से कम 3 राज्यों से चुने गए हों। | (i)उस पार्टी को लोक सभा की कुल सदस्य संख्या की कम से कम 2 प्रतिशत सीटें प्राप्त हों तथा ये सदस्य कम से कम 3 राज्यों से चुने गए हों। | ||
(iii)वह पार्टी कम से कम 4 राज्यों में राज्य स्तरीय दल की मान्यता प्राप्त हो। | (iii)वह पार्टी कम से कम 4 राज्यों में राज्य स्तरीय दल की मान्यता प्राप्त हो। | ||
{1835 के अपने भाषण में किसने 'समाजवाद' शब्द का बार-बार प्रयोग किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-60 | {1835 के अपने भाषण में किसने 'समाजवाद' शब्द का बार-बार प्रयोग किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-60 | ||
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||वर्तमान में समाजवाद सबसे लोकप्रिय शब्द है। प्रारंभ में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तिवादी और उदारवादी विचारों के विरुद्ध भावों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया। [[1875]] में राबर्ट ओवन की अध्यक्षता में स्थापित 'सब राष्ट्रों के सब वर्गों के समुदाय' में समाजवाद और समाजवादी शब्द का बहुधा प्रयोग किया गया। ज्ञातव्य है कि राबर्ट ओवन ब्रिटिश समाजवाद के संस्थापकों में प्रमुख है जिसने प्रथम बार समाजवाद शब्द का प्रयोग किया। ओवन के विचार उनकी पुस्तकों 'A New View of Sociey' तथा 'The Book of the New Moral Warld' में देखें जा सकते हैं। | ||वर्तमान में समाजवाद सबसे लोकप्रिय शब्द है। प्रारंभ में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तिवादी और उदारवादी विचारों के विरुद्ध भावों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया। [[1875]] में राबर्ट ओवन की अध्यक्षता में स्थापित 'सब राष्ट्रों के सब वर्गों के समुदाय' में समाजवाद और समाजवादी शब्द का बहुधा प्रयोग किया गया। ज्ञातव्य है कि राबर्ट ओवन ब्रिटिश समाजवाद के संस्थापकों में प्रमुख है जिसने प्रथम बार समाजवाद शब्द का प्रयोग किया। ओवन के विचार उनकी पुस्तकों 'A New View of Sociey' तथा 'The Book of the New Moral Warld' में देखें जा सकते हैं। | ||
{"तटस्थता राज्यों की वह अवस्था है जिसमें युद्ध के समय वे इस संघर्ष में भाग नहीं लेते और दोनों युद्धरत पक्षों से अपना शांतिपूर्ण संपर्क बनाए रखते हैं।" यह कथन निम्नांकित में से किसका है-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-76 | {"तटस्थता राज्यों की वह अवस्था है जिसमें युद्ध के समय वे इस संघर्ष में भाग नहीं लेते और दोनों युद्धरत पक्षों से अपना शांतिपूर्ण संपर्क बनाए रखते हैं।" यह कथन निम्नांकित में से किसका है-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-76 | ||
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+माओत्से तुंग | +माओत्से तुंग | ||
{"साम्यवादियों की कोई पितृभूमि नहीं होती है।" कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-46 | {"साम्यवादियों की कोई पितृभूमि नहीं होती है।" कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-46 | ||
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."दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ नहीं है, सिवाय अपना जंजीरों के।" | ."दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ नहीं है, सिवाय अपना जंजीरों के।" | ||
.पिछले सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है। | .पिछले सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है। | ||
{"राज्य विधि का शिशु तथा जनक दोनों ही है।" यह कथन संबंधित है-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-12,प्रश्न-48 | |||
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+मैकाइवर से | |||
-ऑस्टिन से | |||
-हॉब्स से | |||
-क्रैब से | |||
||मैकाइवर ने अपनी पुस्तक "The Modern State' में बहुलवाद के सिद्धांत के क्षेत्र में योगदान करते हुए तर्क दिया है कि राज्य कानून का जनक एवं शिशु दोनों है। यह साधारण कानून का निर्माण करता है और उससे ऊपर है। ये कानून नागरिकों के आपसी संबंधों का तथा राज्य के साथ नागरिकों के संबंधों का नियमन करते हैं। इसके अलावा राज्य का संवैधानिक कानून राज्य से ऊपर है जिसका यह अतिक्रमण नहीं कर सकता। | |||
नोट-कानून का अंग्रेजी समानार्थी शब्द लॉ (Law) है। इसकी उत्पत्ति ट्यूटन (जर्मन) भाषा की Lag (लैग) धातु से हुई है। | |||
{"युद्ध की स्थिति राज्य के व्यक्तित्व की सर्वशक्तिमता को प्रकट करती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-56 | |||
|type="()"} | |||
-ग्रीन | |||
-मुसोलिनी | |||
+हीगल | |||
-हिटलर | |||
||हीगल का कथन है कि "युद्ध की स्थिति राज्य के व्यक्तित्व की सर्वशक्तिमत्ता को प्रकट करती है"। | |||
{निम्न में कौन-सा कथन सही है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-87,प्रश्न-23 | |||
|type="()"} | |||
-स्वतंत्रता और समानता विरोधी हैं | |||
+स्वतंत्रता और समानता पूरक हैं | |||
-स्वतंत्रता और समानता असंगत हैं | |||
-स्वतंत्रता और सत्ता विरोधी हैं | |||
||स्वतंत्रता व समानता एक-दूसरे के पूरक हैं। इसके समर्थक रूसो, ग्रीन, टॉनी, लास्की, मैक्फर्सन आदि विद्बान रहे हैं। स्वतंत्रता और समानता दोनों का ही उद्देश्य मानवीय व्यक्तित्व का उच्चतम विकास है। स्वतंत्रता जहां एक तरफ व्यक्तियों के जीवन पर न्यूनतम प्रतिबंध को स्वीकार करते हुए उनके व्यक्तित्व के विकास के लिए सुविधाएं प्रदान करती है, वहीं दूसरी ओर समनता सभी को समान अवसर प्रदान करती है, अत: स्वतंत्रता व समानता एक-दूसरे के सहायक व पूरक हैं, परस्पर विरोधी नहीं। | |||
{"कर्त्तव्यों के उचित क्रम निर्धारण का नाम नागरिकता है।" नागरिकता की उपर्युक्त परिभाषा किसकी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-66 | |||
|type="()"} | |||
+विलियम आयड की | |||
-[[अरस्तू]] की | |||
-लास्की की | |||
-जे.एस. मिल की | |||
||विलियम बायड ने नागरिकता को परिभाषित करते हुए कहा है कि कर्त्तव्यों के उचित क्रम निर्धारण का नाम नागरिकता है"। | |||
{[[भारत]] के [[उपराष्ट्रपति]] को कौन पदमुक्त कर सकता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-53 | |||
|type="()"} | |||
-[[राज्य सभा]] | |||
-[[लोक सभा]] | |||
+[[राज्य सभा]] व [[लोक सभा]] दोनों | |||
-[[निर्वाचन आयोग]] | |||
||अनुच्छेद 67 के अनुसार, [[उपराष्ट्रपति]] को उसके पद से तभी हटाया जा सकता है जब इस हेतु संकल्प राज्य सभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से पारित हो जाता है और जिससे लोक सभा सहमत है | |||
{संविधान के किस अनुच्छेद के तहत यह उपबंधित है कि 'निर्वाचक नामावली' धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर तैयार नहीं की जाएगी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-156,प्रश्न-112 | |||
|type="()"} | |||
-अनुच्छेद 17 | |||
-अनुच्छेद 29 | |||
+अनुच्छेद 325 | |||
-अनुच्छेद 326 | |||
||संविधान के अनु. 325 के अनुसार, संसद के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिए निर्वाचन के लिए प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्र के लिए एक साधारण निर्वाचक-नामावली होगी और केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या इनमें से किसी के आधार पर कोई व्यक्ति ऐसी किसी नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र नहीं होगा या ऐसे किसी निर्वाचन-क्षेत्र के लिए किसी विशेष निर्वाचन-नामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा नहीं करेगा। | |||
{"पूंजीवाद के सागर के बीच का समाजवादी द्वीप सारे संसार के सर्वहारा वर्ग के क्रांतिकारी आंदोलन के लिए एक प्रकाश पुंज का कार्य करेगा।" यह कथन- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-62,प्रश्न-61 | |||
|type="()"} | |||
-माओत्सेतुंग का | |||
-कार्ल मार्क्स का | |||
+लेनिन का | |||
-स्टालिन का | |||
||वर्तमान में समाजवाद सबसे लोकप्रिय शब्द है। प्रारंभ में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तिवादी और उदारवादी विचारों के विरुद्ध भावों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया। 1875 में राबर्ट ओवन की अध्यक्षता में स्थापित 'सब राष्ट्रों के सब वर्गों के समुदाय' में समाजवाद और समाजवादी शब्द का बहुधा प्रयोग किया गया। ज्ञातव्य है कि राबर्ट ओवन ब्रिटिश समाजवाद के संस्थापकों में प्रमुख है जिसने प्रथम बार समाजवाद शब्द का प्रयोग किया। ओवन के विचार उनकी पुस्तकों 'A New View of Sociey' तथा 'The Book of the New Moral Warld' में देखें जा सकते हैं। | |||
{"समाजवाद परिस्थितियों के अनुसार रंग बदलने वाला गिरगिट का- सा धर्म है।" यह किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-62,प्रश्न-62 | |||
|type="()"} | |||
-सी.ई.एम. जोड | |||
-एच.जे. लास्की | |||
-सी.एल. वेपर | |||
+रैम्जे म्योर | |||
||समाजवाद एक प्रगतिशील और परिवर्तनशील दर्शन तथा कार्यक्रम है। यह बदलते हुए आर्थिक तथा सामाजिक आवश्यकताओं के साथ-साथ अपने स्वरूप में परिवर्तन करता रहता है। समाजवाद के इस परिवर्तनशील स्वरू को दृष्टि में रखते हुए रैम्जे म्योर ने कहा है कि, "समाजवाद परिस्थितियों के अनुसार रंग बदलने वाला गिरगिट का सा धर्म है।" जय प्रकाश नारायण ने कहा था- 'समाजवादी समाज एक ऐसा वर्ग विहीन समाज होगा, जिसमें सब श्रमजीवी होंगे। इस समाज में वैयक्तिक संपत्ति के हित के लिए मनुष्य के श्रम का शोषण नहीं होगा। इस समाज को सारी संपत्ति सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय अथवा सार्वजनिक संपत्ति होगी तथा अनार्जित आय और आय संबंधी भीषण असामनताएं अदैव के लिए समाप्त हो जाएगी। ऐसे समाज में मानव जीवन तथा उसकी प्रगति योजनाबद्ध होगी और सब लोग सबके हित केलिए जीयेंगे।" | |||
{'उपलब्ध समय के अनुसार काम का विस्तार होता जाता है।" यह कथन किसका है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-77 | |||
|type="()"} | |||
-पीटर ड्रकर | |||
+नॉर्थकोर्ट पार्किन्सन | |||
-फ्रेडरिक टेलर | |||
-एल्टन मेयो | |||
||नॉर्थकोर्ट पार्किन्सन के अनुसार, "उपलब्ध समय के अनुसार काम का विस्तार होता जाता है"। | |||
{किसने कहा था, 'हस्त चालित मशीन से निर्मित वस्तुओं से सामंतवादी समाज और वाष्प चालित मशीन से निर्मित वस्तुओं से पूंजीवादी समाज निर्मित होता है?" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-57,प्रश्न-36 | |||
|type="()"} | |||
-जॉन डब्ल्यू. बर्टन | |||
+मार्क्स | |||
-प्लेटो | |||
-लेनिन | |||
||मार्क्स 'इतिहास की आर्थिक व्याख्या' में उत्पादन प्रणाली को निर्णायक बताते हुए कहते हैं कि "हस्त चालित मशीन से निर्मित वस्तुओं से सामंतवादी अमाज और वाष्प चालित मशीनों से निर्मित वस्तुओं से पूंजीवादी समाज निर्मित होता है।" मार्क्स के इतिहास की आर्थिक व्याख्या को 'ऐतिहासिक भौतिकवाद' या 'इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या' भी कहा जाता है। यह द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का पूरक सिद्धांत है। इसके अनुसार, किसी राष्ट्र या समाज के विकास की प्रक्रिया में आर्थिक तत्व अर्थात वस्तुओं के उत्पादन, विनिमय और वितरण प्रणाली की भूमिका सबसे प्रधान होती है। | |||
{'समाजवाद' का संबंध मुख्यतया निम्न में से किस वर्ग से है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-47 | |||
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-पूंजीपति | |||
-सैनिक | |||
+श्रमिक | |||
-उत्पादक | |||
||अपने आधुनिक रूप में समाजवाद का उद्भव 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में माना जाता है। यह व्यक्तिवाद के विरुद्ध एक प्रतिक्रिया एवं प्रगतिशील आंदोलन है। यह पूंजीवाद का विरोधी तथा उत्पादन के साधनों पर समाज का नियंत्रण चाहता है। इसका संबंध मुख्यतया श्रमिक वर्ग से है। | |||
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Revision as of 12:23, 2 November 2017
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