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| {श्रेणी समाजवाद समर्थन करता है?
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| -एक व्यक्ति, दो मत
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| -एक व्यक्ति, एक मत
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| +एक व्यक्ति, जितने हित-उतने मत
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| -उपर्युक्त में से कोई नहीं
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| ||श्रेणी समाजवाद का विकास ब्रिटेन में हुआ। इसके अनुसार, राज्य संप्रभु होगा, सभी शक्तियों का स्त्रोत होगा किंतु वह उसका उपभोग नहीं करेगा वरन् शक्तियों का प्रयोग विभिन्न आर्थिक श्रेणियां करेंगी। श्रेणी समाजवादी व्यावसायिक प्रतिनिधित्व की मांग करते हैं।
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| {निम्न में से कौन विकेंद्रित समाजवाद के प्रबल समर्थक थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-62,प्रश्न-65
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| -[[जयप्रकाश नारायण]]
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| -[[आचार्य नरेंद्र देव]]
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| +[[डॉ. राम मनोहर लोहिया]]
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| -[[आचार्य विनोबा भावे]]
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| ||डॉ. राम मनोहर लोहिया विकेंद्रीकृत समाजवाद के समर्थक थे। पूंजी के संचय तथा बढ़ती हुई बेकारी को रोकने के लिए लोहिया ने छोटी मशीनी पर आधारित उद्योग का समर्थन किया। लोहिया प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण के भी समर्थक थे उन्होंने चौखंभा राज्य की कल्पना की। जिसके अंतर्गत गांव, मण्डल (ज़िला), प्रांत तथा केंद्रीय सरकार इसके चार स्तंभ होगें। 'Wheel of History' इनकी प्रमुख रचना है।
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| {"[[रक्त]] संबंध समाज को जन्म देता है और कालांतर में समाज राज्य को" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-13,प्रश्न-52
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| -लीकॉक का
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| +मैकाइवर का
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| -जैक्स का
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| -गैटल का
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| ||राज्य की उत्पत्ति का सर्वाधिक मान्य सिद्धांत 'विकासवादी सिद्धांत है, जिसके अनुसार राज्य की अचानक उत्पत्ति (जैसा दैवीय सिद्धांत और सामाजिक समझौता सिद्धांत मानते हैं) न होकर क्रमिक विकास का फल है इसमें [[रक्त]] संबंध ने भी अंशत: योगदान दिया है। रक्त संबंध एकता का प्रथम और दृढतम बंधन रहा है। मैकाइवर का कथन है कि "रक्त संबंध समाज को जन्म देता है और कालांतर में समाज राज्य को। "सर हेनरी मेन ने लिखा है कि "समाज के प्राचीनतम इतिहास की आधुनिकतम गवेषणाएं इस निष्कर्ष की ओर इंगित करती हैं कि समूहों को एकता के सूत्र में बांधने वाला प्रारंभिक बंधन रक्त बंधन ही था।"
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| {वह अभिमत कि "प्रतिस्पर्धा संघर्ष और शोषण पर आधारित भौतिक प्रगति समाज को अमानवीयकरण की ओर ले जाती है"। किस विचारक से संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-60
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| |type="()"}
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| -कांट
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| -रूसो
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| +[[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]]
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| -एरिक फ्रॉम
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| ||[[कार्ल मार्क्स]] ने पूंजीवाद की आलोचना सिर्फ आर्थिक आधार पर नहीं की है। मार्क्स के अनुसार, प्रतिस्पर्धा पर आधारित पूंजीवादी समाज उस भौतिक प्रगति को बढ़ावा देता है जो संघर्ष एवं शोषण पर आधारित है तथा अमानवीयकरण की ओर ले जाती है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:'''[[कार्ल मार्क्स]]
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| {समानता के उदारवादी विचार से निम्नलिखित में किस प्रकार की समानता अनुरूप नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-27
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| |type="()"}
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| -कानूनी समानता
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| -सामाजिक समानता
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| -राजनीतिक समानता
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| +आर्थिक समानता
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| ||समानता का उदारवादी विचार 'आर्थिक समानता' के ऊपर सामाजिक समानता, कानूनी समानता, राजनीतिक समानता व नागरिक समानता को मान्यता देता है। 'आर्थिक समानता' समाजवादी समाज की मुख्य विशेषता है। इसके अभाव में राजनीतिक व नागरिक समानता का कोई मूल्य नहीं है। आर्थिक समानता धन के समान वितरण पर बल देती है।
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| {इनमें से कौन राजनीतिक संस्कृति का संघटक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-75,प्रश्न-71
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| |type="()"}
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| -आनुभविक विश्वास
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| +व्यक्तिपरक हित
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| -मूल्य अभिरुचियां
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| -प्रभावी अनुक्रियाएं
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| ||आमंड ने अपने एक निबंध 'कम्पेरेटिव पॉलिटिकल सिस्टम' में 'राजनीतिक संस्कृति' शब्द का उल्लेख किया था। राजनीतिक संस्कृति मोटे तौर पर तीन तत्त्वों का समूह होती हैं-आनुभविक विश्वास, मूल्य अभिरुचियां, प्रभावी अनुक्रियाएं।
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| {[[लोक सभा]] में किसी विधेयक पर आम बहस किस स्तर पर होती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-146,प्रश्न-58
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| |type="()"}
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| -विधेयक की प्रस्तुति के समय
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| +द्वितीय वाचन के समय
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| -तृतीय वाचन के समय
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| -प्रतिवेदन स्तर पर
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| ||विधेयक को पुन:स्थापित करने का प्रक्रम उसका प्रथम वाचन होता है। द्वितीय वाचन में विधेयक पर विचार-दिमर्श होता है। सभा के सदस्य उसी स्तर पर आम बहस करते हैं। द्वितीय वाचन में ही सभा विधेयक को प्रवर समिति या दोनों सभाओं की संयुक्त समिति को सौंप सकती है। द्वितीय वाचन में ही विधेयक पर खंडश: विचार भी होता है। प्रभारी सदस्य का यह प्रस्ताव कि विधेयक या यथासंशोधित विधेयक पारित किया जाए विधेयक का तृतीय वाचन कहलाता है।
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| {[[लोक सेवा आयोग|संघ लोक सेवा आयोग]] का प्रधान कौन होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-156,प्रश्न-116
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| |type="()"}
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| -एक [[राष्ट्रपति]]
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| +एक अध्यक्ष
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| -[[सर्वोच्च न्यायालय]] का एक न्यायाधीश
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| -मंत्रिमंडल का एक मंत्री
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| ||संघ लोक सेवा अयोग [[भारत]] के [[संविधान]] द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार की लोक सेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है। संघ लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष तथा दस सदस्य होते हैं। आयोग का प्रधान, अध्यक्ष होता है।
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| {समाजवादी विचार का संबंध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-63,प्रश्न-67
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| |type="()"}
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| -राजनीतिक समानता से
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| +आर्थिक समानता से
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| -शैक्षिक समानता से
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| -सांस्कृतिक समानता से
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| ||समाजवादी विचार धारा उदारवाद-व्यक्तिवाद के प्रतिक्रिया स्वरूप उत्पन्न हुई। जहां पूंजीवाद स्वतंत्रता को केन्द्रीय धारणा मानता है, वहीं समाजवाद व्यक्ति की समानता को आधारभूत मानता है। समानता में भी यह आर्थिक समानता पर सर्वाधिक बल देता है। व्यक्तिवाद जहां व्यक्ति को महत्त्व देता है, वहीं समाजवाद समाजकेन्द्रित अवधारणा को समाजवाद उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व का पक्षधर है। समाजवाद आर्थिक व्यवस्था को नियोजित करके सबके उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। इसी संदर्भ में लैडलर ने कहा है कि "प्रजातांत्रिक आदर्श का आर्थिक पक्ष वास्तव में समाजवादी ही है।"
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| {"मंत्रिपरिषद जहाज रूपी शासन को चलाने वाला पहिया है।" यह किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-77,प्रश्न-81
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| |type="()"}
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| -मेरियट
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| -लास्की
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| +रैम्जे म्योर
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| -बेजहाट
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| ||संसदीय व्यवस्था में मंत्रिमण्डल ([[प्रधानमंत्री]] के नेतृत्व) कार्यपालिका की शक्तियों का प्रयोग करती है। शासन संचालन का पूरा दायित्व इसी पर होता है। इसी संदर्भ में रैम्जेम्योर ने कहा है कि "यह जहाज रूपी राज्य को घुमाने वाला चक्र है।" मंत्रिमण्डल के उत्तर दायित्त्व के बारे में मार्ले ने लिखा है कि "मंत्रिमण्डल के सब मंत्री साथ-साथ डूबते है तथा साथ-साथ तैरते हैं।"
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| {लाखों लोग [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] को देवता के रूप में पूजते हैं और अन्य लाखों लोग एक दुष्ट के रूप में घृणा करते हैं", यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-41 | | {लाखों लोग [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] को देवता के रूप में पूजते हैं और अन्य लाखों लोग एक दुष्ट के रूप में घृणा करते हैं", यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-41 |