प्रयोग:दीपिका3: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 12: | Line 12: | ||
-ब्यूरो ऑफ़ बजट | -ब्यूरो ऑफ़ बजट | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[ब्रिटेन]] में [[वित्त मंत्रालय]] को 'राजकोष विभाग' (Her Majesty's Treasury) कहते हैं तथा इस विभाग के प्रमुख ( | ||[[ब्रिटेन]] में [[वित्त मंत्रालय]] को 'राजकोष विभाग' (Her Majesty's Treasury) कहते हैं तथा इस विभाग के प्रमुख (कैबिनेट मंत्री) को 'चांसलर ऑफ़ द एक्सचेकर' कहते हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में इस पर जॉर्ज ओस्बर्न (12 मई, 2010 से) हैं। | ||
{'लेक्चर्स ऑन दी प्रिंसिपल्स ऑफ़ पॉलिटिकल ऑब्लिगेशन' के लेखक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-201,प्रश्न-3 | |||
{'लेक्चर्स ऑन दी | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+टी.एच. ग्रीन | +टी.एच. ग्रीन | ||
Line 28: | Line 27: | ||
-नगर राज्यों के विनाश का | -नगर राज्यों के विनाश का | ||
-अभिभावक वर्ग द्वारा उत्पादन वर्ग की महिलाओं के शोषण का | -अभिभावक वर्ग द्वारा उत्पादन वर्ग की महिलाओं के शोषण का | ||
+ | +पत्नियों और संपत्ति के साम्यवाद का | ||
||प्लेटो ने पत्नियों और संपत्ति के साम्यवाद का समर्थन किया है। प्लेटो ने साम्यवादी योजना को दो भागों, पहला संपत्ति का साम्यवाद तथा दूसरा परिवार अथवा स्त्रियों का साम्यवाद में विभाजित किया। प्लेटो शासकों और सैनिकों के लिए संपत्ति व परिवार का निषेध करता है। यह शासक और सैनिक वर्गों को सामूहिक रूप से राज्य का अभिभावक मानता है, प्लेटो का मानना है कि यदि अभिभावक वर्ग के पास परिवार और संपत्ति होगी तो वे अपने कर्त्तव्य पथ से विचलित होंगे और आदर्श राज्य का विनाश होगा। | ||प्लेटो ने पत्नियों और संपत्ति के साम्यवाद का समर्थन किया है। [[प्लेटो]] ने साम्यवादी योजना को दो भागों, पहला संपत्ति का साम्यवाद तथा दूसरा परिवार अथवा स्त्रियों का साम्यवाद में विभाजित किया। प्लेटो शासकों और सैनिकों के लिए संपत्ति व परिवार का निषेध करता है। यह शासक और सैनिक वर्गों को सामूहिक रूप से राज्य का अभिभावक मानता है, प्लेटो का मानना है कि यदि अभिभावक वर्ग के पास परिवार और संपत्ति होगी तो वे अपने कर्त्तव्य पथ से विचलित होंगे और आदर्श राज्य का विनाश होगा। | ||
{निम्न में से किसमें राज्य की उत्पत्ति के ऐतिहासिक सिद्धांत के तत्व पाए जाते हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-23 | {निम्न में से किसमें राज्य की उत्पत्ति के ऐतिहासिक सिद्धांत के तत्व पाए जाते हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-23 | ||
Line 37: | Line 36: | ||
-राजतंत्र, बल, पारस्पतिक समझौते, राजनीतिक नेतृत्व | -राजतंत्र, बल, पारस्पतिक समझौते, राजनीतिक नेतृत्व | ||
-रक्त संबंध, संविदात्मक समझौते, धर्म अराजकता | -रक्त संबंध, संविदात्मक समझौते, धर्म अराजकता | ||
||राज्य की उत्पत्ति की सही व्याख्या ऐतिहासिक या विकासवादी सिद्धांत द्वारा ही की गई है। इस सिद्धांत के अनुसार, राज्य का विकास एक लंबे समय से चला आ रहा है और आदिकालीन समाज की क्रमिक विकास करते-करते इसने वर्तमान राष्ट्रीय राज्य के स्वरूप को प्राप्त किया है। राज्य के उत्पत्ति के ऐतिहासिक सिद्धांत के प्रमुख तत्व हैं- (1) रक्त | ||राज्य की उत्पत्ति की सही व्याख्या ऐतिहासिक या विकासवादी सिद्धांत द्वारा ही की गई है। इस सिद्धांत के अनुसार, राज्य का विकास एक लंबे समय से चला आ रहा है और आदिकालीन समाज की क्रमिक विकास करते-करते इसने वर्तमान राष्ट्रीय राज्य के स्वरूप को प्राप्त किया है। राज्य के उत्पत्ति के ऐतिहासिक सिद्धांत के प्रमुख तत्व हैं- (1) रक्त संबंध (2) मनुष्य की स्वाभाविक सामाजिक प्रवृत्तियां, (3) [[धर्म]] (4) युद्ध (5) आर्थिक गतिविधियां, (6) राजनीतिक चेतना। | ||
{निम्नलिखित में से कौन लोकतंत्र का आवश्यक अभिलक्षण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-15 | {निम्नलिखित में से कौन लोकतंत्र का आवश्यक अभिलक्षण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-15 | ||
Line 53: | Line 52: | ||
-बार्कर | -बार्कर | ||
-ब्राइस | -ब्राइस | ||
||"राजनीतिक संप्रभुता राज्य के उन प्रभावों का समूह है, जो कानून के पीछे रहती है।" यह कथन गिलक्राइस्ट का है। राजनीतिक विद्वानों ने वैधानिक प्रभुसत्ता तथा राजनीतिक प्रभुसत्ता में अंतर किया है। वैधानिक संप्रभुता वह है जिसके पास कानून निर्माण तथा उसे लागू करने की सर्वोच्च शक्ति होती है तथा यही सत्ता कानून को परिवर्तित या निरस्त कर सकते है। ब्रिटिश की [[संसद]] वैधानिक संप्रभुता का सर्वोत्तम उदाहरण है। इसकी सर्वशक्तिमत्ता के बारे में डायसी ने कहा है कि "यह किसी अवयस्क को वयस्क घोषित कर सकती है, राजद्रोही को मृत्यु के बाद भी ताड़ित कर सकती है, यह अवैध बच्चे को वैध बना सकती है। यदि यह उचित समझे तो | ||"राजनीतिक संप्रभुता राज्य के उन प्रभावों का समूह है, जो कानून के पीछे रहती है।" यह कथन गिलक्राइस्ट का है। राजनीतिक विद्वानों ने वैधानिक प्रभुसत्ता तथा राजनीतिक प्रभुसत्ता में अंतर किया है। वैधानिक संप्रभुता वह है जिसके पास कानून निर्माण तथा उसे लागू करने की सर्वोच्च शक्ति होती है तथा यही सत्ता कानून को परिवर्तित या निरस्त कर सकते है। ब्रिटिश की [[संसद]] वैधानिक संप्रभुता का सर्वोत्तम उदाहरण है। इसकी सर्वशक्तिमत्ता के बारे में डायसी ने कहा है कि "यह किसी अवयस्क को वयस्क घोषित कर सकती है, राजद्रोही को मृत्यु के बाद भी ताड़ित कर सकती है, यह अवैध बच्चे को वैध बना सकती है। यदि यह उचित समझे तो किसी व्यक्ति को अपने मामले में न्यायाधीश बना सकती है।" परंतु राजनीतिक संप्रभुता निर्वाचक मण्डल की शक्ति का द्योतक है यही संसद को बनाती है तथा उसे बदल सकती है। डायसी के शब्दों में "जिस संप्रभु को वकील लोग मानते हैं (विधिक संप्रभुता), उसके पीछे दूसरा संप्रभु रहता है। इस संप्रभु के पीछे वैधानिक संप्रभु को सिर झुकाना पड़ता है। जिस इच्छा को राज्य के नागरिक मानते हैं वही राजनीति संप्रभु है।" | ||
{किसने कहा "आदमी के लिए युद्ध वही है जो औरत के लिए मातृत्व है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-13 | {किसने कहा "आदमी के लिए युद्ध वही है जो औरत के लिए मातृत्व है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-13 | ||
Line 69: | Line 68: | ||
+जॉन ऑस्टिन को | +जॉन ऑस्टिन को | ||
-ए.वी. डायसी को | -ए.वी. डायसी को | ||
||जॉन ऑस्टिन के अनुसार "कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" या "कानून संप्रभु की आज्ञा (आदेश) है।" ऑस्टिन के कानून को इस परिभाषा में तीन तत्व निहित है- (i) संप्रभुता (ii) आदेश (समादेश) (iii) शास्ति-अर्थात संप्रभु के आदेश की अवहेलना करने वाले को दण्ड देने की शक्ति। इस प्रकार ऑस्टिन ने कानून को संप्रभु आदेश (समादेश) माना है। ऑस्टिन ने अपनी पुस्तक में संप्रभुता की | ||जॉन ऑस्टिन के अनुसार "कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" या "कानून संप्रभु की आज्ञा (आदेश) है।" ऑस्टिन के कानून को इस परिभाषा में तीन तत्व निहित है- (i) संप्रभुता (ii) आदेश (समादेश) (iii) शास्ति-अर्थात संप्रभु के आदेश की अवहेलना करने वाले को दण्ड देने की शक्ति। इस प्रकार ऑस्टिन ने कानून को संप्रभु आदेश (समादेश) माना है। ऑस्टिन ने अपनी पुस्तक में संप्रभुता की एकलवादी अवधारणा का प्रतिपादन किया है। | ||
{ओम्बुड्समैन की संस्था सर्वप्रथम कहां स्थापित की गई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-191,प्रश्न-5 | {ओम्बुड्समैन की संस्था सर्वप्रथम कहां स्थापित की गई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-191,प्रश्न-5 |
Revision as of 12:26, 13 December 2017
|