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-मार्च, 1964 ई. में
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+फरवरी, 1964 ई. में
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-जुलाई, 1963 ई. में
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-मई, 1965 ई. में
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||[[भारत]] का '[[केंद्रीय सतर्कता आयोग]]' (CVC) [[भारत सरकार]] के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से संबंधित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है। इसकी स्थापना [[फरवरी]], 1964 में संथानम समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई।
||[[भारत]] का '[[केंद्रीय सतर्कता आयोग]]' (CVC) [[भारत सरकार]] के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से संबंधित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है। इसकी स्थापना [[फ़रवरी]], 1964 में संथानम समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई।


{निम्नलिखित में से कौन कल्याणकारी राज्य का समर्थक था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-39, प्रश्न-16
{निम्नलिखित में से कौन कल्याणकारी राज्य का समर्थक था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-39, प्रश्न-16
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+[[जवाहरलाल नेहरू]]
+[[जवाहरलाल नेहरू]]
-जे.एस. मिल
-जे.एस. मिल
||[[जवाहरलाल नेहरू]] [[इंग्लैंड]] के फेवियन समाजवादी विचारों से प्रभावित थे। उनका विश्वास लोकतांत्रिक समाजवाद में था तथा वे कल्याणकारी राज्य में भी विश्वास रखते थे। उन्होंने अपने एक भाषण में लोक कल्याणकारी राज्य को परिभाषित करते हुए कहा था, "सब के लिए अमान अवसर प्रदान करना, अमीरों और गरीबों के बीच अंतर मिटाना और जीवन स्तर को ऊपर उठाना लोक हितकारी राज्य के आधारभूत तत्त्व है।"
||[[जवाहरलाल नेहरू]] [[इंग्लैंड]] के फेवियन समाजवादी विचारों से प्रभावित थे। उनका विश्वास लोकतांत्रिक समाजवाद में था तथा वे कल्याणकारी राज्य में भी विश्वास रखते थे। उन्होंने अपने एक भाषण में लोक कल्याणकारी राज्य को परिभाषित करते हुए कहा था, "सब के लिए अमान अवसर प्रदान करना, अमीरों और ग़रीबों के बीच अंतर मिटाना और जीवन स्तर को ऊपर उठाना लोक हितकारी राज्य के आधारभूत तत्त्व है।"


{निम्नलिखित में तीन ऐसे है, जो एक-दूसरे से मिलते हैं। वह चौथा कौन-सा है, जो इन तीनों से अलग है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-55,प्रश्न-26
{निम्नलिखित में तीन ऐसे है, जो एक-दूसरे से मिलते हैं। वह चौथा कौन-सा है, जो इन तीनों से अलग है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-55,प्रश्न-26
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-व्यक्तिवाद
-व्यक्तिवाद
+समाजवाद
+समाजवाद
||समाजवाद, मूलत: अपने प्रारंभिक समय में काल्पनिक था लेकिन बाद में [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] एवं ऐंजिल्स ने इसको वैज्ञानिक समाजवाद में रूपांतरित कर दिया। वैज्ञानिक समाजवाद, उदारवाद के प्रतिक्रियास्वरूप उत्पन्न हुआ था। उदारवाद, व्यक्तिवाद व बहुलवाद तीनों एक ही धारा के विविध रूप हैं। उदारवाद के ही भीतर से आगे बहुलवाद तीनों एक ही धारा के विविध रूप हैं। उदारवाद के ही भीतर से आगे चलकर विकासवादी समाजवाद की धारा निकली जिसमें बर्नस्टीन जैसे संशोधनवादियों का योगदान रहा। नकारात्मक उदारवाद न्यूनतम राज्य का समर्थक था। तो सकारात्मक उदारवाद व्यक्ति के हित में राज्य के हस्तक्षेप का पक्षधर था। समाजवाद राज्य को सबसे महत्त्वपूर्ण मानता है जिसके माध्यम से पूंजीपतियों को नष्ट करके क्रमश: राज्य विहीन समाज की स्थापना होगी।
||समाजवाद, मूलत: अपने प्रारंभिक समय में काल्पनिक था लेकिन बाद में [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] एवं ऐंजिल्स ने इसको वैज्ञानिक समाजवाद में रूपांतरित कर दिया। वैज्ञानिक समाजवाद, उदारवाद के प्रतिक्रियास्वरूप उत्पन्न हुआ था। उदारवाद, व्यक्तिवाद व बहुलवाद तीनों एक ही धारा के विविध रूप हैं। उदारवाद के ही भीतर से आगे बहुलवाद तीनों एक ही धारा के विविध रूप हैं। उदारवाद के ही भीतर से आगे चलकर विकासवादी समाजवाद की धारा निकली जिसमें बर्नस्टीन जैसे संशोधनवादियों का योगदान रहा। नकारात्मक उदारवाद न्यूनतम राज्य का समर्थक था तो सकारात्मक उदारवाद व्यक्ति के हित में राज्य के हस्तक्षेप का पक्षधर था। समाजवाद राज्य को सबसे महत्त्वपूर्ण मानता है जिसके माध्यम से पूंजीपतियों को नष्ट करके क्रमश: राज्य विहीन समाज की स्थापना होगी।


{संप्रभुता एक विशिष्टता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-25
{संप्रभुता एक विशिष्टता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-25
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-सरकार की
-सरकार की
-[[संसद]] की
-[[संसद]] की
||संप्रभुता राज्य की विशिष्टता होता है।
||संप्रभुता राज्य की विशिष्टता होती है।




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-सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता नहीं करती हैं।
-सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता नहीं करती हैं।
-सहायक अभिकरण नीतियों में सुधार का सुझाव देते हैं।
-सहायक अभिकरण नीतियों में सुधार का सुझाव देते हैं।
||सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता करती हैं। इनका कार्य तथ्यों को इकट्ठा करना तथा महत्त्वपूर्ण विषयों को विचार के लिए कार्यपालिका के सम्मुख प्रस्तु करना है। इनकी सेवा प्रधान सेवा न होकर गौण सेवा होती है। विलोबी ने इन सेवाओं को 'संस्था-मूलक' अथवा 'गृह-प्रबंध संबंधी' क्रियाओं के नाम से पुकारा है।
||सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता करती हैं। इनका कार्य तथ्यों को इकट्ठा करना तथा महत्त्वपूर्ण विषयों को विचार के लिए कार्यपालिका के सम्मुख प्रस्तुत करना है। इनकी सेवा प्रधान सेवा न होकर गौण सेवा होती है। विलोबी ने इन सेवाओं को 'संस्था-मूलक' अथवा 'गृह-प्रबंध संबंधी' क्रियाओं के नाम से पुकारा है।


{समाज में समानता का निहितार्थ किसका अभाव है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-15
{समाज में समानता का निहितार्थ किसका अभाव है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-15
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-बहिष्कार
-बहिष्कार
+लॉबी प्रचार
+लॉबी प्रचार
-विधीत अभियोग
-विधीय अभियोग
-शांतिपूर्ण प्रदर्शन
-शांतिपूर्ण प्रदर्शन
||[[अमेरिका]] में दबाव समूहों द्वारा लॉबी प्रचार विधि का प्रयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत [[विधानमंडल]] के सदस्यों को प्रभावित कर अपने दित में कानून का निर्माण कराया जाता है।
||[[अमेरिका]] में दबाव समूहों द्वारा लॉबी प्रचार विधि का प्रयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत [[विधानमंडल]] के सदस्यों को प्रभावित कर अपने दित में कानून का निर्माण कराया जाता है।
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-विकासशील देशों की प्रशासनिक व्यवस्था से
-विकासशील देशों की प्रशासनिक व्यवस्था से
-प्रशासनिक व्यवस्था की उत्पादकता से
-प्रशासनिक व्यवस्था की उत्पादकता से
-प्रशासनिक व्यवस्था की अधिकारी तंरीकरण से
-प्रशासनिक व्यवस्था की अधिकारी तंत्रीकरण से
+लोक प्रशासन के मानवीय अभिमुखन से
+लोक प्रशासन के मानवीय अभिमुखन से
||लोक प्रशासन के शास्त्रीय मूल्य दक्षता, मितव्ययता, उत्पादकता एवं केंद्रीकरण रहे हैं। वहीं नवीन लोक प्रशासन मानववाद, विकेंद्रीकरण, प्रत्यायोजन, बहुवाद, व्यक्तिगत वृद्धि, वैयक्तिक गरिमा आदि का समर्थन करता है। नवीन लोक प्रशासन मूल्य तटस्थता अस्वीकार करता है। वह नागरिक सहभागिता, अधिकारी तंत्र पर नियंत्रण और नौकरशाही के उत्तरदायित्व का समर्थन करता है।
||लोक प्रशासन के शास्त्रीय मूल्य दक्षता, मितव्ययता, उत्पादकता एवं केंद्रीकरण रहे हैं। वहीं नवीन लोक प्रशासन मानववाद, विकेंद्रीकरण, प्रत्यायोजन, बहुवाद, व्यक्तिगत वृद्धि, वैयक्तिक गरिमा आदि का समर्थन करता है। नवीन लोक प्रशासन मूल्य तटस्थता अस्वीकार करता है। वह नागरिक सहभागिता, अधिकारी तंत्र पर नियंत्रण और नौकरशाही के उत्तरदायित्व का समर्थन करता है।
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-बर्नार्ड बारूच द्वारा
-बर्नार्ड बारूच द्वारा
-विली ब्रांट द्वारा
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||तृतीय विश्व शब्द का प्रयोग सबसे पहले फ्रांसीसी लेखक अल्फ्रेड सॉवी ने वर्ष 1952 में किया था। इस शब्द से सॉवी का संकेत उन अफ्रीकी, एशियाई देशों की तरफ था जो सादियों तक उपनिवेश वाद और साम्राज्यवाद की जकड़ में थे। तृतीय विश्व के देश प्राय: आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए तथा कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले देश हैं। यहां तीव्र जनसंख्या वृद्धि, अस्थिर राजनीतिक व्यवस्था तथा भ्रष्टाचार जैसे समस्य पाई जाती है।
||तृतीय विश्व शब्द का प्रयोग सबसे पहले फ्रांसीसी लेखक अल्फ्रेड सॉवी ने वर्ष 1952 में किया था। इस शब्द से सॉवी का संकेत उन अफ्रीकी, एशियाई देशों की तरफ था जो सदियों तक उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद की जकड़ में थे। तृतीय विश्व के देश प्राय: आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए तथा कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले देश हैं। यहां तीव्र जनसंख्या वृद्धि, अस्थिर राजनीतिक व्यवस्था तथा भ्रष्टाचार जैसी समस्या पाई जाती है।


{निम्न में से कौन-सा कार्य नौकरशाही का नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-44
{निम्न में से कौन-सा कार्य नौकरशाही का नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-44
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-राष्ट्रीय बजट को बनाने में मदद करना
-राष्ट्रीय बजट को बनाने में मदद करना
-अंतर्राष्ट्रीय संधियों को तैयार करने में मदद करना
-अंतर्राष्ट्रीय संधियों को तैयार करने में मदद करना
||कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करना, राष्ट्रीय बजट को बनाने में मदद करना तथा अंतर्राष्ट्रीय संधियों को तैयार करने में मदद करना ये सभी नौकरशाही के अंतर्गत आने वाले कार्य हैं जबकि अध्यादेशों की घोषणा करना, [[राष्ट्रपति]] की अध्यादेश प्रस्थापित करने की शक्ति (अनुच्छेद 123) तथा राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति (अनुच्छेद 213) के अंतर्गत आता है।
||कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करना, राष्ट्रीय बजट को बनाने में मदद करना तथा अंतर्राष्ट्रीय संधियों को तैयार करने में मदद करना ये सभी नौकरशाही के अंतर्गत आने वाले कार्य हैं जबकि अध्यादेशों की घोषणा करना, [[राष्ट्रपति]] की अध्यादेश प्रस्थापित करने की शक्ति (अनुच्छेद 123) तथा [[राज्यपाल]] की अध्यादेश जारी करने की शक्ति (अनुच्छेद 213) के अंतर्गत आता है।


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Revision as of 11:59, 13 February 2018

1 "संथानम समिति' की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना कब की गई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-43

मार्च, 1964 ई. में
फ़रवरी, 1964 ई. में
जुलाई, 1963 ई. में
मई, 1965 ई. में

2 निम्नलिखित में से कौन कल्याणकारी राज्य का समर्थक था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-39, प्रश्न-16

लेनिन
बेंथम
जवाहरलाल नेहरू
जे.एस. मिल

3 निम्नलिखित में तीन ऐसे है, जो एक-दूसरे से मिलते हैं। वह चौथा कौन-सा है, जो इन तीनों से अलग है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-55,प्रश्न-26

उदारवाद
बहुलवाद
व्यक्तिवाद
समाजवाद

4 संप्रभुता एक विशिष्टता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-25

जनता की
राज्य की
सरकार की
संसद की

5 निम्नलिखित में कौन सही है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-48

प्रशासन की मध्यवर्ती सोपान सहायक अभिकरण कार्य सौंपता है।
सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता करती हैं।
सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता नहीं करती हैं।
सहायक अभिकरण नीतियों में सुधार का सुझाव देते हैं।

6 समाज में समानता का निहितार्थ किसका अभाव है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-15

अवरोधों का
विशेषाधिकार का
प्रतिस्पर्द्धा का
सामाजिक वर्गों का

7 निम्नलिखित में से कौन भारत में एकात्मक विशेषता का समर्थन नहीं करता? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-9

अखिल भारतीय सेवाएं
एकल नागरिकता
आपातकालीन प्रावधान
औपचारिक प्रधान के रूप में राष्ट्रपति

8 अमेरिका में दबाव समूहों द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सी विधि प्रयोग में लाई जाती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-108,प्रश्न-24

बहिष्कार
लॉबी प्रचार
विधीय अभियोग
शांतिपूर्ण प्रदर्शन

9 नवीन लोक प्रशासन मुख्यत: संबद्ध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-14

विकासशील देशों की प्रशासनिक व्यवस्था से
प्रशासनिक व्यवस्था की उत्पादकता से
प्रशासनिक व्यवस्था की अधिकारी तंत्रीकरण से
लोक प्रशासन के मानवीय अभिमुखन से

10 'तृतीय विश्व' पदावली का सर्वप्रथम प्रयोग किया गया था: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-23

अल्फ्रेड सोवी द्वारा
फ्रांट्स फैनन द्वारा
बर्नार्ड बारूच द्वारा
विली ब्रांट द्वारा

11 निम्न में से कौन-सा कार्य नौकरशाही का नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-44

कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करना
अध्यादेशों की घोषणा करना
राष्ट्रीय बजट को बनाने में मदद करना
अंतर्राष्ट्रीय संधियों को तैयार करने में मदद करना