यह रहीम माने नहीं -रहीम: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:04, 21 April 2018
यह ‘रहीम’ माने नहीं , दिल से नवा न होय । चीता, चोर, कमान के, नवे ते अवगुन होय ॥
- अर्थ
चीते का, चोर का और कमान का झुकना अनर्थ से ख़ाली नहीं होता है। मन नहीं कहता कि इनका झुकना सच्चा होता है। चीता हमला करने के लिए झुककर कूदता है। चोर मीठा वचन बोलता है, तो विश्वासघात करने के लिए। कमान (धनुष) झुकने पर ही तीर चलाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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