अर्ल: Difference between revisions

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Revision as of 08:41, 2 June 2018

अर्ल काक्विंस और वाइकाउंट के बीच का पद जो अंग्रेेज अमीरों (पियर्स) को दिया जाता है। इस पद का इतिहास प्राचीन है और 1337 ई. तक यह सबसे ऊँचा समझा जाता रहा है। एडवर्ड तृतीय ने अपने पुत्र को इसी से सम्मानित किया था। यह पैतृक होता है और पिता के बाद पुत्र को प्राप्त होता है। संभवत: सम्राट् कन्यूट के समय यह स्कैंडिनेविया से इंग्लैंड में प्रचलित किया गया था। इसका संबंध पहले राज्यशासन से था और अर्ल पहले काउंटी के न्यायाधीश होते थे। 1140 ई. में सर्वप्रथम जफ्रेी डे मैडविल को इसेक्स का अर्ल बनाया गया। पैतृक होने के नाते, पुत्र के न होने पर यह पद पुत्री को मिलता था। कई पुत्रियों के होने पर, सम्राट् एक के पक्ष में अपना निर्णय देता था। विवाहिता पुत्री के पति को पार्लियामेंट में स्थान प्राप्त करने का अधिकार मिलता था। 1337 ई. में बहुत से अर्ल बनाए गए और उनको जागीरें भी दी गई। उनका किसी एक काउंटी से संबंध न था। 1383 ई. में इस पद को केवल पुत्र तक ही सीमित रखने का प्रतिबंध लगाया गया। केवल जीवनपर्र्यंंत इस पद को धारण करने का भी प्रयास हुआ। इसके साथ तलवार बांधना तथा एडवर्ड के समय से कढ़ी हुई सुनहरी टोपी और कालर बांधना भी अनिवार्य हो गया। आगे के इतिहास में यह पद साधारण व्यक्तियों को भी दिया जाने लगा। स्काटलैंड में सर्वप्रथम 1338 ई. में लिंड्जे को क्राफर्ड का अर्ल बनाया गया। आयरलैंड में किल्डेर का अर्ल सबसे बड़ा समझा जाता था। अर्ल का संबोधन 'राइट आनरेबल' और 'लार्ड' है। उसके ज्येष्ठ पुत्र 'वाइकाउंट' और कनिष्ठ पुत्र केवल 'आनरेबुल' केले जाते हैं। उसकी सब पुत्रियाँ (लेडीज़) कहलाती हैं।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 246 |

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